जलता दिया | Perfect Sad Poetry|Little _Star | ऐसी बेहतरीन नज़्म जो शायद ना पढ़ा हो आपने
जलता दिया.....
कहते हैं जिसे दूल्हा, और सर का ताज सब
वह ताज जो टूटा तो, बिखरे फिर बहुत हम
ख़ामोश लब बहुत और, आंख की नमी वह
दिल का वह तुकड़ा रेज़ा, रेज़ा बहुत हुआ
गुज़रे दिनों की याद, आंखों में आ गयी
हर एक लम्हा गुज़रा, तेरे साथ याद में
अश्कों से चेहरा तर है, और खामोश है जुबां
हर याद है तेरी साथ, मगर साथ तू नहीं
वादा वह करता साथ का, तन्हा मगर वह कर गया
वादा वह ज़िन्दगी का, और ज़िंदा नहीं है वह
जाने ना दूंगी तुझको, आसानी से इतना हमदम
ऐसा वह मेरा कहना, और फिर वह एक पल
तन्हा चला गया वह, और तन्हा फिर रह गये हम
एक लफ्ज़ ना निकला मुंह से, खामोश हो लिये
टूटा वह दिल कुछ ऐसे, कि चूर-चूर हो गया
तुकड़ा हर एक दिल का, और दिल में सजा लिया
अश्कों को यूं सजाया, अंदर ही अंदर अपने
मानो वह जैसे मोती, हो कीमती बहुत ही
मसरूफ हो गये हम, हर पल कुछ ऐसे जैसे
फुरसत से बैठे गर तो, फांसी मिले सज़ा में
नन्हा सा एक दिया मैं, कहता वह जिसको अंजुम
जलता था जो फलक पर, तारों की तरह हर दम
मिट अब रहा दिया वह, अंदर ही अंदर जल कर
आगोश में अब तू ले ले, मिट्टी के ऐ घरौंदे!
मिट्टी का यह दिया अब, मिट्टी की चाहत रखता
चमकेगा फिर सितारा, रात आयेगी जगमगाती
हर एक निगाह फिर होगी, ऐ आसमां तुम्हीं पर
-Little_Star
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