गूंज | Short Story |

अब्दुल भाई ज़रा जल्दी से कोई सस्ते में अच्छा मोबाइल दिखा दें। 

दानिश ने जल्दबाजी दिखाते हुए अब्दुल भाई से कहा।

लाल चौक पर अब्दुल भाई की दुकान सदाबहार है। उनका काम तो दर्ज़ी का है। जो वह अपने अब्बा से सीखते हुए आज खुद कर रहे हैं।

अब्दुल भाई इंसान खुशमिजाज़ है। इखलाक अच्छा है। ज़माने की सूझबूझ है। उनकी दुकान का एक कोना हमेशा खाली रहता, जिसको वह मौके के हिसाब से काम में लाते थे। जैसे ईद पर वह जगह सेंवईं और बच्चों के खिलौने से सज जाती, तो दीवाली पर पटाखों और दियों से जगमगा जाती। और होली पर रंगों से तो रक्षाबंधन पर राखियों से।

इस तरह अब्दुल भाई की यह सदाबहार दुकान चलती रहती। और साथ में इनकी सिलाई मशीन भी।

अब्दुल भाई हर दिल अज़ीज़ इंसान थे। क्योंकि यह हर मौके पर सब का साथ निभाते थे।

जब मोबाइल चलन में आया। और हर दूसरे हाथ में दिखने वाला मोबाइल हर किसी की चाहत बन गई। चाहत इस लिए कि ज़रूरत का तो पता नहीं मगर दिखाने के लिए बहुतों ने मोबाइल रखना शुरू कर दिया था।

अब्दुल भाई ने भी मौका गनीमत जाना। और उनकी दुकान का वह कोना सज गया मोबाइल से। और उन की दुकान पर इस तरह मोबाइल देख कर हर कोई अब्दुल भाई की तारीफ करना नहीं भूलता था। क्योंकि उन्होंने देखा कि हर किसी को मोबाइल की ज़रूरत होगी। और हर कोई खरीदना चाहेगा तो क्यों ना हम ही कमाई कर लें। और इस तरह उन की मोबाइल की दूकान चल निकली।

मुहल्ले में जिस को भी मोबाइल खरीदना होता वह अब्दुल भाई के पास ही आता।

और आज दानिश एक बार फिर अब्दुल भाई की दुकान पर मोबाइल लेने आया था।

दानिश जो कि एक अमीर परिवार का लड़का था। जहां पर पैसों की कोई दिक्कत नहीं थी।

क्यों दानिश भाई आप तो हमेशा महंगा वाला मोबाइल देखते और खरीदते हैं। फिर आज यह सस्ता वाला मोबाइल, बात कुछ समझ नहीं आई?

अब्दुल भाई ने दानिश के चेहरे को देखते पूछा। क्योंकि दानिश को कोई भी सस्ती चीज़ पसंद नहीं आती थी। लेकिन आज सस्ता वाला मोबाइल का सुन कर अब्दुल भाई को कुछ अजीब लगा।

हां, वह कई दिनों से मां कह रही हैं कि मेरा भी एक मोबाइल ला दो। मैंने उन से कहा भी कि क्या ज़रूरत है आप को मोबाइल की? जब किसी से बात करना हो तो मेरे मोबाइल से कर लेना। मगर वह मान ही नहीं रहीं हैं। इस लिए मैंने सोचा कोई सस्ता वाला दे कर अपनी जान छुड़ाऊं। आप जल्दी से दिखा दें। फिर मुझे कुछ काम से भी जाना है।

आमिर ने बेज़ारी से कहा।

अब्दुल भाई ने दो-तीन मोबाइल दानिश के सामने रखे। जिसमें से उसने किसी भी मोबाइल के फीचर, कैमरे या कोई और भी चीज़ देखने के बजाय उसमें से सबसे सस्ता वाला मोबाइल देख कर बोला, कि इस को दे दो।

अब्दुल भाई ने एक बार उस मोबाइल को देखा और एक बार उसके बेज़ार चेहरे को देखा। 

अब्दुल भाई के मन में अजीब से ख्यालात आ रहे थे। जिसको उन्होंने झिड़कते हुए दानिश को मोबाइल पैक कर के दे दिया। दानिश पैसा देकर चला गया।

 मगर अब्दुल भाई सोचने पर मजबूर हो गये कि इतना अमीर आदमी जिस के हाथ में आई फोन था। वह अपनी मां के लिए एक सस्ता मोबाइल ढूंढ रहा था।

अब्दुल भाई.....

अब्दुल भाई, किस सोच में गुम हैं? कई बार आवाज़ दी। आप ने नहीं सुना।

तैमूर ने हंसते हुए कहा।

तैमूर जो कि एक मिडिल क्लास परिवार का लड़का था। जिस पर घर की ज़िम्मेदारी थी। जो अकेला कमाने वाला था।

अरे कुछ बस ऐसे ही, तुम बताओ कैसे आना हुआ?

अब्दुल भाई ने अपने ख्यालों को पीछे छोड़ा। और तैमूर की तरफ देखते हुए बोले।

कोई अच्छा सा मोबाइल दिखा दीजिए। आमिर ने खुशी से कहा।

अब्दुल भाई ने कई मोबाइल उसके सामने रख दिये। 

तैमूर सभी मोबाइल को उलट-पुलट कर देखने लगा। 

लगता है मोबाइल बदलने का इरादा है?

अब्दुल भाई ने तैमूर का चेहरा देखते हुए पूछा। क्योंकि तैमूर ने कुछ दिन पहले ही एक सस्ता वाला मोबाइल लिया था।

नहीं, अब्दुल भाई मैं यह मोबाइल मां के लिए ले रहा हूं। वह तो कभी कहेंगी नहीं। मैंने जब अपना मोबाइल लिया था तभी सोचा था कि मां के लिए भी ले लूं। मगर पैसे की वजह से ले नहीं सका। लेकिन मुझे अच्छा नहीं लग रहा था कि मेरे पास मोबाइल है। और मां के पास नहीं।

इस लिए आज यह मोबाइल मैं मां के लिए ले रहा हूं। 

तैमूर मोबाइल देखते-देखते अब्दुल भाई को बताता चला गया।

आप यह दे दें। यह अच्छा है।

आमिर ने एक मोबाइल अब्दुल भाई को देते हुए कहा। जो कि बहुत महंगा था।

जब मां के लिए ले रहे हैं तो कोई सस्ता वाला ले लें। उनको ज़्यादा काम तो होगा नहीं। फिर क्या ज़रूरत इतने पैसे लगा कर महंगे मोबाइल लेने की।

अब्दुल भाई अभी कुछ देर पहले दानिश वाले ख्यालात को तैमूर के सामने बोलते हुए कहते हैं।

अब्दुल भाई मैं यह मां के लिए ले रहा हूं। मां के किसी भी चीज़ की कोई कीमत नहीं होती है। जब मां अनमोल है। तो उससे जुड़ी हर चीज़ अनमोल है।

तैमूर ने मुस्कुराते हुए कहा। खुशी उसके चेहरे से साफ झलक रही थी।

अब्दुल भाई ने एक नज़र तैमूर को देखा। और मोबाइल पैक करने लगे। और तैमूर पैसे गिनने लगा।

अब्दुल भाई....मां अपने बच्चों के लिए हमेशा बेहतर करने के लिए खुद की खुशियों को कुर्बान कर देती है। 

कुदरत ने आज हमें मौका दिया है। हम क्यों अपनी जन्नत गंवाएं।

आमिर ने मोबाइल लेते हुए अब्दुल भाई से कहा। और पैसे देकर दुकान से निकल गया।

अब्दुल भाई ने देखा, तैमूर का चेहरा खुशी से तमतमा रहा था। यूं जैसे उस ने कोई जंग जीत ली हो।

और अब्दुल भाई को अपने आस-पास एक गूंज सुनाई दे रही थी..... कुदरत ने आज हमें मौका दिया है। हम क्यों अपनी जन्नत गंवाएं।

-Little_Star




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