शाद अब्बासी की शायरी | Shad Abbasi

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चेहरे का खद व खाल नेकाबों में खो गया

आबे रवां चमकते सराबों में खो गया

गुम हो गया हूं राग व तरन्नुम की भीड़ में 

मैं ऐसा लफ्ज़ हूं जो किताबें में खो गया।


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सांसों का ऐतबार हमें शाद किया हुआ 

हर सांस जैसे मौत की तलवार हो गई 

-शाद अब्बासी 

سانسوں کا اعتبار ہمیں  شاد کیا ہوا 

ہر سانس جیسے موت کی تلوار ہو گئی 

شاد عباسی 




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समझ रहा था यह ज़ादे सफर हमारा है 

खुशी से झूमता गाता शज़र हमारा है 

बड़ा फरेब दिया उम्र की बहारों ने

बड़े ही फख्र से कहता था घर हमारा है 

-शाद अब्बासी 

سمجھ رہا تھا یہ زیادہ سفر ہمارا ہے 

خوشی سے جھومتا گاتا شجر ہمارا ہے 

بڑا فریب دیا عمر کی بہاروں نے 

بڑے ہی فخر سے کہتا تھا گھر ہمارا ہے 

شاد عباسی 


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दिल धड़कने की सदा और ना गम की आहट

चाप कदमों की ना आवाज़ सनम आती है 

आने वाला नहीं अब कोई यकीन है मुझको

फिर भी क्यों नींद मुझे रात में कम आती है 

-शाद अब्बासी 


دل دھڑکنے کی صدا اور نہ گم کی اہٹ 

چاپ قدموں کی نہ آواز صنم اتی ہے 

انے والا ہے نہیں اب کوئی یقین ہے مجھ کو 

پھر بھی کیوں نیند مجھے رات میں کم اتی ہے 

شاد عباسی 



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