चलो एक फूल चुनते हैं | poetry |
चलो एक फूल चुनते हैं....... चलो एक फूल चुनते हैं सजाते हैं कोई आंगन महकाते हैं कोई गुलशन वह एक गुलशन जो छोटा सा फरिश्ते हैं जहां नन्हें मगर खुशियां नहीं कोई तरसती आंख सिकुड़ते लब हर एक नज़रों से पूछे है मिली कैसी सज़ा है यह जो हम बच्चों ने काटी है यह सच है जी रहे हैं हम मगर बस जी रहे हैं हम कोई लम्हा तो ऐसा ही खुशी हम से गले मिलती इन्हीं नन्ही ख्वाहिश को चले हम पंख देते हैं बहुत लम्बी बहुत ऊंची नहीं इन की कोई ख्वाहिश चलो कुछ पल समेंटें हम खुशी दो पल की दे दें हम चलो एक बीज नया बो दें उम्मीद दे दें कुछ आंखों में अंदेरी रात नहीं है चांद दिया फिर एक जला दें हम मुहब्बत के वह पन्ने कुछ चलो इन को पढ़ा दें हम वह तिनका जब बड़ा हो तब मुहब्बत को वह फैलाये किसी आंगन में फिर वह एक कोई पौधा नया बो दे अकेला एक चला जो तू बना फिर कारवां वह तो चलो एक राह बनाते हैं इन्हीं नन्हें सितारों से सजाते आसमां फिर हैं.... -Little_Star