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Showing posts from February, 2021

रेटिंग गेम नहीं ज़िन्दगी | रेटिंग | Rating | Ola| Zomato | Swiggy

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  रेटिंग गेम नहीं ज़िन्दगी रेटिंग आज कल बहुत चलन में है । रेटिंग क्या है? जब हमारा व्यवहार किसी से होता है हम किसी से मिलते हैं, या कोई हमारे घर आता है और हम उसके जाने के तुरंत बाद उस इंसान का व्यवहार उसकी बातचीत के बिना पर उसको रेटिंग देने में ज़रा भी देर नहीं लगाते कि वह बोलते कैसे थे और खाते कैसे थे। अक्सर घरों में तो मेहमान जाते भी नहीं हैं और लोग किचन में या दूसरे कमरे में ही रेटिंग देना शुरू कर देते हैं कि वह चाय कैसे पी रहे हैं और उनको बात करने की तमीज़ भी नहीं है और इस तरह की ना जाने कितनी ही बातों से सामने वाले को रेटिंग दे देते हैं। ऐसा नहीं है कि सामने वाले को सिर्फ खराब रेटिंग ही मिले। बहुत सारे लोगों को बहुत अच्छी भी रेटिंग मिल जाती है। यह बात तो हो गयी उस रेटिंग की जो हम यों ही देते रहते हैं। लेकिन अब तो रेटिंग ज़रूरत बन गयी है। आप कहीं ola से गये हैं तो payment के साथ आप को rating भी करनी होती है कि driver का व्यवहार कैसा है उसने समय से पहुंचाया या नहीं आदि।  इस तरह की बातों के लिए driver को रेटिंग करना ज़रूरी है क्योंकि driver की यही rating देख कर तो हम ola से गाड़ी बुक

आजकल | Little_Star | Story | AG | Lockdown Story | Little Star | Friends | poetry

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  #coronavirus आजकल बड़ी ही सादा ज़िन्दगी है आज-कल सब मिलजुल कर पकाते हैं और मिलजुल कर ही खाते हैं सब साथ में हैं रहते किसी को कहीं जाने की जल्दी नहीं किसी को किसी से कोई काम नहीं सब अपना काम खुद ही करते साथ-ही-साथ सब का काम भी करते न किसी को नये कपड़े की फ़िक्र ना किसी को मॉल जाने की इच्छा सब लोग हैं घर में और कर रहे वह काम जो करने की इच्छा थी बरसों से मन में मगर वक्त नहीं था किसी के पास सुबह का नाश्ता साथ में हो रहा है दोपहर का खाना जो खाते नहीं साथ आज हर काम हो रहा है साथ अब शाम की चाय भी एक बार ही बन रही वरना कौन कब आये ये सोच के एक-एक कप ना जाने कितनी बार बनती। बाप बेटा कैरम भी खेल रहे हैं क्या सास और क्या बहू ताश की बाज़ी लगी है सबकी। घर का काम हो रहा जल्दी, क्योंकि सब मिलजुल हैं कर रहे कभी कोई पकैड़े तल कर वाह वाही ले रहा कभी कोई सब्ज़ी काट कर ही कॉलर को अकड़ा रहा जिस को नहीं आ रहा कुछ भी वह भी नहीं है आज पीछे नहीं आता तो क्या हुआ सीख लेंगे आज हम भी कोई रोटी को इंडिया गेट बना कर ही खुश है तो कोई चावल की खिचड़ी पका के है हंस रहा यह वक्त है मुश्किल लेकिन फिर भी सब खुश हैं और साथ ह

Khadai Paneer | AG | Cost of 1 Plate 2 servings of Kadai Paneer | AG | Love

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 Cost of 1 Plate 2 servings of Kadai Paneer  कड़ाही पनीर कड़ाही पनीर एक बहुत ज़्यादा पसंद की जाने वाली डिश है। कड़ाही पनीर बनाने में आसान और खाने में स्वादिष्ट भी है। कड़ाही पनीर को लंच,डिनर और ब्रेकफास्ट तीनों में खाया जा सकता है। कड़ाही पनीर को रोटी, पराठा और नान के साथ खा सकते हैं। कड़ाही पनीर बनाने के लिए जिन चीजों की ज़रूरत पड़ती है उसके नाम और दाम की लिस्ट यहां दे रहे हैं जिस से कोई भी आसानी से कड़ाही पनीर बना सकता है। हर जगह सामान सब्ज़ी हर चीज़ का अलग दाम होति है। मान लीजिए कोई टमाटर होलसेल में लेता है तो उसको सस्ता है लेकिन अलग कोई टमाटर रिटेल मंडी से लेता है तो वही टमाटर अक्सर डबल दाम में मिलता है। आप यह मान कर चलें कि दो लोग के लिए कड़ाही पनीर बनाने के लिए ₹100 से ₹150 तक में बन जायेगी। दो लोगों के लिए कड़ाही पनीर बनाने के लिए सामग्री लिस्ट...... सामग्री:- पनीर   300 ग्राम प्याज़  3 मीडियम साइज़ टमाटर 3 मीडियम साइज़ अदरक पेस्ट  2 चम्मच लहसुन   2 चम्मच लाल मिर्च पाउडर 1 चम्मच धनिया पाउडर  आधा चम्मच हल्दी पाउडर  1/4 चम्मच नमक   स्वादानुसार साबुत लाल मिर्च  1 पीस  हरी मिर्च 3 स

Judayi | जुदाई | Little_Star | sad Poetry |AG | Judayi Poetry

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  जुदाई...... एक खत जो लिखा उसको खुशियों के झरोखों से लफ्ज़ो के नगीनों से हर लफ्ज़ महकते थे हर शब्द खनकते थे बातें जो बहुत सी थी लिख सब भी रही थे वह फूलों की नगरया से खुशबू की सियाही से रंगों के धनक भी थे चुनरी की लगन भी थी ज़ेवर की चमक थी ही चूड़ी की खनक भी थी हर बात मुकम्मल थी और खत भी मुकम्मल था जो नाम लिखा उसका और खत को जो मोड़ा था वह दर्द जो दिल में था आंखों में समाया था लफ़्ज़ों से बचाया था पलकों से छिपाया था  आंखों का जो तारा था  आंखों से छिपाया था  एक अश्क जो छलका था आंखों के किनारे से एक बूंद ही काफी था जो आंख से टपका था और खत पे जो फैला था एक बूंद ही भारी था एक पन्ने के लेटर पे एक बूंद ही भारी था। #Little_Star कभी जो अश्क आ जाये तेरी आंखों में गलती से..…  लॉकडाउन कविता....  सबसे अलग..... इमोजीज़ लाइफ...... यह दौर नहीं है खत का शायद Massage का ज़माना है Fb और insta की कहानी है मैसेज लिखते हैं मुहब्बत का वह और कर देते हैं delete all  भी आज वह कहां और तुम कहां हर तन्हाई का साथी है यहां याद उनकी जो आ जाए कभी Watsapp और massenger है ना बातें वह जो दिल की है हो जाती यहां अक्सर कभी