सिपाही | Poetry | AG | दिल को छू लेने वाली
सिपाही.... सिपाही एक मरता है ना जाने जीते कितने हैं ना जाने कितने मरते हैं मगर उस एक मरने से कोई बेटा है खोता तो कोई खोता यहां है भाई किसी की मांग उजड़ी तो किसी ने बाप को खोया बहुत रिश्ते यहां पर हैं हर एक रिश्ता बहुत तड़पा दुखी तो हैं यहां सब ही मगर जो गम है बीवी का समझ सकता ना कोई है नहीं है हल यहां कोई हर एक रिश्ता अधूरा है हर एक रिश्ता यहां तन्हा घड़ी भर की तसल्ली और सिसकना ज़िन्दगी भर है सजे मेडल दीवारों पर मगर वह घर बहुत वीरान खनकते थे हंसी झरने वह अब खामोश है कमरे सिपाही घर जो आता जब हर एक चेहरा दमकता था नहीं है आस अब कोई यहां अब कौन आयेगा धड़कते दिल चले सांसें चले है ज़िंदगानी यह मगर उन चलती सांसों को सम्हालना है बहुत मुश्किल चले है ज़िन्दगी सबकी रूके ना सुबह-शाम कुछ भी मगर इन चलते लम्हों में बहुत कुछ टूट जाता है बहुत कुछ रूठ जाता है बहुत कुछ छूट जाता है वह एक सैनिक के मरने से हज़ारों बच तो जाते हैं मगर उस एक सैनिक से बहुत से दिल धड़कते थे हर एक सोचे यदि अपना वतन पे जान कौन देता शहादत यूं नहीं मिलते गंवानी जान पड़ती है सलामी यूं ही मिलती है मिटे है जो