बेताब लम्हें | यंग लड़ियों की पहली पसंद| Little _Star



बेताब लम्हें...

दिल ओ जां से भी ज़्यादा 

रगे दिल के बहुत ही पास 

वह एक बंदा प्यारा सा  

किसी रिश्ते के रिश्ते से 

वह आया था मेरे घर पर 

वह शादी थी बहन की जो 

अटेंड करने वह आया था 

दिखे जब भी वह शादी में 

वह फिर आंख चमक जाए 

और दिल भी मचल जाए 

आ जाए लबों पर फिर 

वह एक मुस्कान धीमी सी 

और वह सुर्ख आरिज़ को 

छुपा पाना हो मुश्किल जब 

वह जुमलों की बयां बाज़ी 

और वह शोखियां लब पर 

हंसी झरना लबों का वह 

और हाज़िर जवाबी वह   

मुहब्बत की निशानी सब 

मुहब्बत हो गई मुझको

मगर अंजान बंदा वह 

और मैं नादान सी बंदी 

मुहब्बत को ना समझे वह 

जता मैं भी ना पायी थी  

सितम उस पर दिखे हर दम 

नज़र अपनी झुका तो लूं 

मगर बेताब यह धड़कन 

कदम बहके, उठे चिलमन 

बिना देखे ना चैन आये 

जो देखूं एक नज़र उसको 

नज़र फिर बार-बार उठती  

बहुत अंजान बनता वह

मगर अंजान नहीं है वह 

अट्ठारह साल की मैं बंदी 

समझ इतनी तो है मुझ में 

मुहब्बत को वह समझे है 

मुहब्बत जो मैं करती हूं   

-Little_Star







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