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Zafrani kheer | Firni | AG | kheer |

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                              जाफरानी खीर सामग्री :- 🔹दूध             1 लीटर   🔹चावल          100 ग्राम   1 /3  कप 🔹चीनी           100 ग्राम    1  कप 🔹केवड़ा         1 चम्मच 🔹ज़ाफरान (केसर) कुछ पत्ती   (दूध में भिगो लें) विधि :- चावल को अच्छे से धो कर दो से तीन घंटे के लिए भिगो दें। और फिर उसको पानी डाल कर दरदरा पीस लें। पिसा हुआ चावल तैयार है। दूध को उबालकर उसमें चावल डालें। और लगातार चलाते रहें, नहीं तो उसमें गांठें पर जायेंगी। खीर को मीडियम आंच पर चलाते हुए पकाते रहें। जब खीर गाढ़ी हो जाऐ तो उसमें चीनी, केवड़ा और ज़ाफरान डाल  दें। और चीनी घुल जाने तक पकाएं, फिर आंच से उतार लें। बाउल में निकाल कर गर्म या ठंडी सर्व करें। ऊपर से केेंसर या पिस्ता बादाम डालें। नोट :- ➡️खीर के चावल को भिगो कर फिर सुखा लें और जब चावल सूख जाए तो उसका पाउडर बना लें। और जब भी खीर बनाना हो फटाफट बना लें। ➡️खीर को और भी स्वादिष्ट बनाना हो तो उसमें खोया डालें। ➡️खीर में ड्राई फ्रूट्स भी डाल सकते हैं। ➡️ड्राई फ्रूट्स डालना हो तो खीर को तैयार कर

जादूगर का जादू ( एक पहेली)

एक आनलाइन मैगज़ीन के लिए जिस में टापिक दिया गया था। उसी पर लिखना था। टॉपिक था जादूगर का जादू।   जादूगर का जादू (एक पहेली)..... जादूगर का जादू देख कर हम अक्सर साक्ड हो जाते हैं कि कैसे वह जादू करते हैं। किस तरह वह किसी को गायब कर देते हैं। किस तरह वह कभी किसी का सिर तो कभी किसी का हाथ तलवार से काट कर फिर जोड़ देते हैं। और हम हैरानी से देखते रह जाते हैं।  लेकिन ऐसा ही जादू अक्सर हमारे आसपास भी होता रहता है। लेकिन हमारा ध्यान कभी भी उस जादू पर नहीं जाता है। शायद वह जादूगर हमारे आस-पास जादू करता रहता है इस लिए नहीं दिखता है। या फिर शायद उस जादू को हम जान बूझ कर नज़र अंदाज़ कर देते हैं।  ऐ काश! की हम देख पाते अपने आस-पास के उस  जादूगर जो हमारी मां बन हमारे सारे कामों को एक वक्त में खत्म कर देती है। जो हमारे खाने के साथ ही हमारी पढ़ाई और हमारे कपड़ों को तैयार कर देती है। वह ना जाने कितने कामों को चुटकियों में अपने जादू से पूरा कर देती है।  लेकिन हम कहां उस मां का जादू देख पाते हैं। उस वक्त तो हमें लगता है कि यह तो एक मां का काम है। जिसे वह आसानी से कर देती है। मगर नहीं, वह उस मां का काम नहीं

हम मिडिल क्लास वाले

हम मिडिल क्लास वाले भी बड़े अजीब होते हैं  दुख को छुपा के अपनी खुशियां दिखा जाते हैं हम जेब खाली रहती है मगर बात लाखों की कर जाते हैं  ज़मीं पर घर हो ना हो आसमां अपना बना लेते हैं हम कल होगा आज से बेहतर यह सोच कर सो जाते हैं  ख्वाहिशें को मार कर उम्मीद को ज़िंदा कर लेते हैं हम   कुछ कर अब लेंगे हम जोश कुछ ऐसा भरते हम हैं  चिरागों का तो पता नहीं सूरज को हैं ललकारते हम नींद रात भर फिर आती नहीं भूखे पेट सोते नहीं हैं अच्छी नहीं लगती भिंडी फिर भी भर पेट खा लेते हम सपने पूरे करने के लिए रात भर फिर सो जाते हम हैं  दिन को फुर्सत है कहां सब काम ज़रुरी कर लेते हम  कभी तमन्ना नई साड़ी की आंखो में सजा लेते हैं  तनख्वाह हाथ आती तो फीस बच्चों की भर देते हम और फिर अगले महीने कर-कर के सालों बीत जाते हैं  कहां का शौक अब कुछ है दर्द फिर छिपा जाते हैं हम नज़र जो पड़ती जूते पर तो खुद पर ही हंस लेते हैं  किस्मत हंसती हम पर तो हंस लेते किस्मत पर हम सितारे तोड़ लाने का नहीं कोई वादा करते हम हैं  जो बीवी रूठ जाये तो मुहब्बत से मना लेते हैं हम  हम मिडिल क्लास वाले भी बड़े अजीब होते हैं  ज़िन्दा तो हैं रहते ले

कर्ज़ दार

यह क्या बेटा, सना ने तुम से पैसे मांगे और तुम ने दे दिये। सलमा बीबी ने नाराज़गी से अपने बेटे हामिद से कहा। वह बीवी है मेरी, उस को ज़रूरत होगी तभी उस ने पैसे मांगे। वरना वह क्यों लेगी पैसे। हामिद ने नाराज़गी से कहा। बहुत छूट दे रखी है तुमने, ऐसा ना हो कि बाद में पछताना पड़े। सलमा बीबी अभी भी नाराज़ थी। मगर खामोश रह गई। लेकिन उन्हें अपने बेटे हामिद को इस तरह अपनी बीवी को पैसे देना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। अम्मी मैं थोड़ा बाज़ार जा रही हूं। घर का कुछ सामान लेना था। खाना बना कर  टेबल पर रख दिया है। अगर मुझे देर हो तो आप लोग खा लेना। सना ने सास को देखते हुए कहा। ठीक है मैं देख लूंगा। तुम जाओ।  हामिद ने उसको पैसे देते हुए कहा। हामिद जब बहू बाहर जाने लगती है तुम इसको पैसे दे देते हो। कभी हिसाब भी लेते हो कि इस ने उन पैसों का क्या किया? आज फिर बहू को इस तरह पैसे देते देख सलमा बीबी नाराज़ हो गईं। अम्मी यह घर का ज़रूरी सामान लेने जा रही है। और यह बीवी है मेरी,  इस घर की मालकिन।  कोई मुलाज़िमा नहीं जिस से मैं हिसाब लूंगा। हामिद ने सना को देखते हुए कहा। जो ज़ख्मी नज़रों से कभी सास को तो कभी शौहर क

ख्वाब

चलो आज हम मनाते हैं उन यादों को ख्वाबों को  जो हैं रूठे और बेगाने बढ़ाते हाथ हम भी आज भुला कर सब वह नादानी  जिस पर फख्र हम करते जिसे कहते तुम नादानी  हमारे दिल की धड़कन वह सितारा आज टूटा फिर  दुआ लब पे ना थी कोई  -Little_Star