George Floyd | AG | Movie | Hero

  






श्याम श्वेत की बात बहुत पुरानी है......
लेकिन हर युग में यह खुद को दोहराती है।
बात होती है जब भी इंसानों की, तो बात यह भी होती है कि वह कैसा था गोरा या काला।
क्यों नहीं इंसानों को उसके कर्म से आंका जाता?
क्यों शक्ल देख कर अच्छे या बुरे का सर्टिफिकेट दे दिया जाता है?
क्यों गोरे-काले के भेद में मन की सुन्दरता छिप जाती है?
गोरे-काले का भेद तो जन्म से ही शुरू हो जाता है। लेकिन यह भेद किसी के मौत का कारण बन सकता है यह शायद किसी ने नहीं सोचा होगा। 
जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) को कल तक कौन जानता था?
लेकिन आज जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) को हर कोई जानता है। लेकिन अफसोस यह जानना उस ना जानने से बेहतर था। क्योंकि जॉर्ज फ्लॉइड(George Floyd) आज इस दुनिया में नहीं हैं।
 अमेरिका जैसे देश के सड़क पर जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) और पुलिस के बीच ना जाने क्या होता है कि कुछ ही पलों में जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) की गर्दन उस पुलिस के घुटने से दबी होती है, और जॉर्ज फ्लॉइड के वह तकलीफदेह अल्फाज़ जिस को पढ़-सुन कर आज हर इन्सान के आंख में आंसू है। मगर उस पुलिस वाले को उस वक्त भी जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) पर रहम नहीं आया जब जॉर्ज फ्लॉइड उससे कभी पानी मांग रहे थे तो कभी सांस ना ले पाने की तकलीफ़ तो कभी गर्दन और शरीर के दर्द को बर्दाश्त ना कर पाने के जुमले कह रहे थे।  लेकिन ना तो उस पोलीस वाले ने उनकी कोई मदद की और ना ही पुलिस के वह तीन साथी जो वहां पर उनके साथ रहते हुए भी कुछ नहीं कर पाए। और सिर्फ खामोश तमाशा देखते रहे। और लगभग सात मिनट के बाद जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) खामोश हो गये।  

style="clear: both; text-align: center;">


लेकिन उन की खामोशी आज बहुत बड़े शोर में बदल चुकी है क्योंकि जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी मौत ने आज बहुत सारे सवाल खड़े कर दिए हैं और शायद उन सवालों के जवाब हर कोई जानना चाह रहा है।

आज अमरीका समेत पूरी दुनिया में जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) की मौत के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है हर किसी के पास एक सवाल है और हर कोई अपने सवाल का जवाब चाहता है।
किसी भी इंसान को बेवजह मारना या किसी वजह के मारना दोनों मामलों में एक बीच का रास्ता ज़रूर ररखना चाहिए। जिससे कि मरने वाला और मारने वाला दोनों संतुष्ट हों।
जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) के गलती की अगर बात करें तो क्या उनका काला होना ही उनकी सबसे बड़ी गलती थी तो यह उन की गलती नहीं क्योंकि इंसान की हर गलती माफ हो सकती है लेकिन बात जब रंग-रूप की होती है तो बात ही खत्म हो जाती है क्योंकि रंग-रूप कुदरत की देन है।



इस पोस्ट में लिखी गई बातें सोशल मीडिया के जरिए पढ़ी और देखे गये वीडियो के आधार पर लिखी गई हैं।
इस लेख को लिखने का मकसद यह है कि हर इंसान की ज़िंदगी बहुत कीमती है। 

-Little-Star

Comments

Popular posts from this blog

कहानी याद आती है | Best Poetry | Story

Dal Fry | दाल फ्राई | AG | Dal Fry Recipe

शाद अब्बासी (एक शख्सियत) भाग 2