हम मिडिल क्लास वाले

हम मिडिल क्लास वाले भी बड़े अजीब होते हैं 

दुख को छुपा के अपनी खुशियां दिखा जाते हैं हम


जेब खाली रहती है मगर बात लाखों की कर जाते हैं 

ज़मीं पर घर हो ना हो आसमां अपना बना लेते हैं हम


कल होगा आज से बेहतर यह सोच कर सो जाते हैं 

ख्वाहिशें को मार कर उम्मीद को ज़िंदा कर लेते हैं हम 


 कुछ कर अब लेंगे हम जोश कुछ ऐसा भरते हम हैं 

चिरागों का तो पता नहीं सूरज को हैं ललकारते हम


नींद रात भर फिर आती नहीं भूखे पेट सोते नहीं हैं

अच्छी नहीं लगती भिंडी फिर भी भर पेट खा लेते हम


सपने पूरे करने के लिए रात भर फिर सो जाते हम हैं 

दिन को फुर्सत है कहां सब काम ज़रुरी कर लेते हम 


कभी तमन्ना नई साड़ी की आंखो में सजा लेते हैं 

तनख्वाह हाथ आती तो फीस बच्चों की भर देते हम


और फिर अगले महीने कर-कर के सालों बीत जाते हैं 

कहां का शौक अब कुछ है दर्द फिर छिपा जाते हैं हम


नज़र जो पड़ती जूते पर तो खुद पर ही हंस लेते हैं 

किस्मत हंसती हम पर तो हंस लेते किस्मत पर हम


सितारे तोड़ लाने का नहीं कोई वादा करते हम हैं 

जो बीवी रूठ जाये तो मुहब्बत से मना लेते हैं हम 


हम मिडिल क्लास वाले भी बड़े अजीब होते हैं 

ज़िन्दा तो हैं रहते लेकिन अंदर ही अंदर मर जाते हम

-Little_Star




Comments

Popular posts from this blog

कहानी याद आती है | Best Poetry | Story

Dal Fry | दाल फ्राई | AG | Dal Fry Recipe

शाद अब्बासी (एक शख्सियत) भाग 2