कालेज वाला प्यार "कुछ अनकही" | Part 5 | College Love: Untold Emotions
दानिया हैरान रह गई। समीर की आंख नम ज़रूर थी। मगर एक भी आंसू बाहर नहीं गिरा।
हम अगर ना हंसते तो फिर शायद सारी ज़िन्दगी रोते। हमारी मुहब्बत को कोई नहीं जान पाया। यहां तक कि हमारे दोस्त जो हर वक्त हमारे पास रहते थे। हम ने अपनी मुहब्बत को रूसवा नहीं किया। हम ने दिल से मुहब्बत की और दिल में ही मुहब्बत को छुपा गये।
मगर समीर कभी-कभी यह दिल मुहब्बत को ढोते हुए थक जाता है। रात के किसी पहर आंख खुल जाती है। और अचानक से तुम्हारा चेहरा सामने आ जाता है। उन अंधेरी रातों में मेरे अंदर की चींख रात के सन्नाटों को चीरना चाहती है। मगर मेरे लब नहीं हिलते। यूं जैसे किसी ने उसे मज़बूत धागों से सिल दिये हो। और मैं बाहर की खामोशी और अंदर के शोर के बीच कहीं खो जाती हूं। दानिया कहते हुए रो पड़ी।
तुम सही कह रही हो। मुहब्बत को जीते हुए बहुत आगे निकल गये हम। हर ज़िम्मेदारी को निभा कर हर फर्ज़ अदा करते हुए हम एक कामयाब ज़िंदगी जी रहे हैं। मगर कहीं किसी कोने में एक एहसास अक्सर दम तोड़ देता है।
यह सच है मैं अपनी बीवी के चेहरे में कभी तुम को तलाश नहीं करता। मैं कभी उस का हाथ थामते हुए तुम्हें महसूस नहीं करता। वह जब मेरे करीब होती है तो सिर्फ वही होती है। मगर कभी-कभी मेरी नज़रें कुछ तलाशती हुई महसूस होती हैं मुझे। यूं जैसे उस का कुछ खो गया है।
समीर की बातें कहां खत्म होने वाली थी। वह तो यादों के झरोखों में बहुत दूर निकल गया था।
जारी है.....
कालेज वाला प्यार "कुछ अनकही" भाग 6
कालेज वाला प्यार "कुछ अनकही" भाग 4
समीर और दानिया के दिल में कहीं न कहीं एक खाली जगह बनी हुई है, जो उनके प्यार को और गहरा करती है। क्या उनकी यादें उनके जीवन का हिस्सा बनकर रह जाएंगी? जानने के लिए पढ़ें अगला भाग।
Comments
Post a Comment