कालेज वाला प्यार "कुछ अनकही" | Part 1
कालेज वाला प्यार (कुछ अनकही)
कालेज की एल्यूमिनी मीट में हर तरफ एक शोर था। एक दूसरे के गले लगना, ऊंचे-ऊंचे कहकहे, खुशी के आंसू, कहीं हंसी के झरने तो कहीं मुस्कुराते चेहरे यूं कहें हर तरफ सिर्फ खुशियां ही खुशियां थी।
पुरानी यादें, साथ उठना बैठना खाना पीना हर लम्हे आंखों में थे। एक दूसरे से मिलने की खुशी। सब बहुत ही खूबसूरत था।
दानिया, वर्षा, उर्वशी और निकिता भी एक दूसरे से मिल कर बहुत खुश थे। कितनी ही देर वह एक दूसरे के गले लगी हुई थीं।
ज़िंदगी कुछ ज़्यादा ही तेज़ी से आगे से नहीं बढ़ रही है? ऐसा लगता है जैसे ज़िंदगी हमारे ग्रेजुएशन के इंतेज़ार में थी। जैसे ही हम ग्रेजुएट हुए और ज़िम्मेदारी हमारे सर पर आ पड़ी। वर्षा ने अपने बैग से सब के लिए गिफ्ट निकालते हुए कहा।
सही कह रही हो। पढ़ाई पूरी होते ही शादी के बाद ज़िंदगी बदल गई। कुछ भी पहले जैसा नहीं रहा।
जिन ज़िम्मेदारियों को हम बचपन से अपनी मां को अदा करते देख रहे थे। वही सब अब हम कर रहे हैं।
उर्वशी ने सोचते हुए कहा।
लेकिन हमें खुशी है कि हम अपनी ज़िम्मेदारियों को अच्छे से निभा रहे हैं। दानिया ने खुशी से कहा। उसकी खुशी उसकी बातों के साथ उस के चेहरे पर साफ नज़र आ रही थी।
हेलो एवरीवन....
सब की नज़र आवाज़ पर गई कि कौन है? और फिर वह चिल्ला उठीं
समीर तुम.....
सब के चेहरे पर खुशी थी।
समीर को देखते ही गये दिनों की बातें हवा के मद्दिम झोंको की तरह मन के अंदर एहसास को जगा रहे थे। जिसे बरसों पहलें धपकी देकर सुला दिया गया था।
जारी है.....
कालेज वाला प्यार "कुछ अनकही" भाग 2
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