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Showing posts from December, 2020

दस्तक | Welcome 2021| Little_Star | New Year | AG | 2021| New Year Story |Story

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  दस्तक...... ज़िन्दगी गुज़र रही थी ऐसी कि जैसी हम चाहते ना थे। हंस-बोल रहे थे हम, खा-पी भी रहे थे हम। मगर कुछ अंदर का डर जो बाहर भी दिख रहा था। और फिर हम इंतेज़ार करने लगे किसी ऐसे का जो हमारी मुश्किल को दूर कर दे। और फिर तुम्हारे आने की आहट सुनाई दी। और हम इन्तेज़ार करने लगे तुम्हारी दस्तक का। क्योंकि तुम्हारी आहट हमको मिल गयी थी की तुम आने वाले हो। पता नहीं क्यों तुम्हारा ख्याल आते ही खुशी की एक उम्मीद मन में जाग जाती थी।  ज़िन्दगी में बहुत सारी परेशानी थी मगर कुछ आसानी भी थी। ज़िन्दगी बहुत अच्छी तो नहीं मगर बुरी भी नहीं गुज़र रही थी। हम सब साथ रह रहे थे। मगर एक खालीपन था।  और फिर तुम्हारी वह आहट। हम तुम्हें अपने पास बुलाना चाहते थे। हम तुम्हारे साथ रहना चाहते थे। हम जीना चाहते थे तुम्हारे साथ। मगर हम को इंतेज़ार करना था तुम्हारा। क्योंकि तुम को आने में कुछ वक्त था। और हमको उस वक्त का इंतेज़ार था जब तुम आओगे।  हम तुम्हारा स्वागत बहुत धूमधाम और हर्सोल्लास के साथ करना चाहते थे। मगर हम डर रहे थे। उस अनहोनी से जो पीछे हमारे साथ हो चुकी थी। हमको वह वक्त अभी भी याद है जब हमने उसका स्वागत

मैं और वह | Main Or Woh | Little _Star | Story | AG | poetry | Sad Poetry | मैं और वह | Ghat | Banaras Ghat

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ना जानें क्यों समझते हैं वह बहुत देर से  और पछताते हैं फिर बहुत देर तक मुहब्बतों को निभाने का हुनर जो रखते हैं  शादमां दिल और सुकून वह रखते हैं..... मैं और वह कभी खामोश रहती थी कभी वह रूठ जाती थी मेरी बातों से ‌वह अक्सर बहुत ही टूट जाती थी कभी मैं सोचता ही रह जाता और वह कर गुज़रती थी मेरी आदत पे वह अक्सर बहुत अफसोस करती थी कभी आती जो मुश्किल तो वह मज़बूत हो जाती  मेरी कमज़ोरियों पे अक्सर वह बहुत गमगीन हो जाती कभी करते मुहब्बत हम यह बातें वह ही कहती थी मेरे अब के रवैए पर वह अक्सर रो भी देती थी कभी जिससे हमारे हर तरफ खुशियां ही रहती थी हज़ारों गम उसे देकर भी मैं अक्सर शाद रहता था कभी करते बहुत परवाह ऐसा वह ही कहती थी मेरी बेपरवाहियों से अक्सर वह बहुत मायूस हो जाती कभी पीसी कभी टीवी कभी फोन पर ही मैं लगा रहता मज़े लेता और खुश हो रहा होता कभी कहता था उसको जान मगर फिर भी मैं उन्हीं बेजान चीजों में मैं अपना वक्त गंवाता था कभी खाना वह खाती थी मेरे रहते भी तन्हा वह मैं अब तन्हा बहुत उसकी तन्हाई याद करता हूं कभी बाहों के तकिए को तरसती वह बहुत रहती मेरी आगोश अब अक्सर उन्हें फिर याद करती हैं कभी

Waqt | वक्त | Lockdown | Little_Star | Lockdown Story | AG | Lockdown Life

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एक यह सदी एक वह सदी........ 👁️  कहते हैं हर ज़माना लौट के आता है। मगर ज़रा बदलाव के साथ।  🎲  फिर चाहे वह कपड़ों का हो, खाने का हो या फिर आप के किये कर्म का हो। हर वक्त लौट के आता है। यह याद दिलाने के लिए की यह काम पहले भी हो चुका है। 🗝️ अब हम जो बात कह रहे हैं वह ज़्यादा दूर की नहीं बल्कि हमारे आस-पास हो रहे कामों को देख कर कह रहे हैं। 🔐 लॉकडाउन की वजह से जब लोगों का काम धंधा लगभग बंद हो गया। अगर कुछ चल रहा था। तो वह थी खाने-पीने की दुकान जैसे-अनाज, फल, दूध, सब्ज़ी आदि। 💀 तब फिर एक दौर शुरू हुआ। इन्हीं सब चीजों की दुकान खुलने का। और फिर देखते-ही-देखते हर रोज़ हर गली मुहल्ले या यूं कह लें कि हर घर में एक दुकान खुलने लगी। और हर दूसरा आदमी फल सब्ज़ी और किराना की दुकान खोलने लगा। बात यहीं पर खत्म नहीं हुई। क्योंकि इसी के साथ-साथ हर घर में पके हुए खाने, फास्ट-फूड, बिरयानी पराठों से लेकर अचार पापड़ तक का मीनू Social Networking के जरिए से सामने आने लगा। जो कि बहुत ही मुनासिब दाम में और साथ ही साथ होम डिलीवरी की सुविधा के साथ। 📈 जिन कामों को कभी हम ऐब समझते थे वह आज हुनर हो गया। 😯 हर रो

Emoji Life | Poetry | Little_Star | Emoji | AG | Emoji Life | Life Style

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  इमोजी लाइफ..... यह दौर नहीं है खत का शायद Message का ज़माना है Fb और insta की कहानी है मैसेज लिखते हैं मुहब्बत का वह और कर देते हैं delete all  भी आज वह कहां और तुम कहां हर तन्हाई का साथी है यहां याद उनकी जो आ जाए कभी WhatsApp और messenger है ना बातें वह जो दिल की हो जाती यहां अक्सर कभी voice तो कभी video call से कहने को तो हर बात ही हो जाती मुकम्मल कहना ना यहां हम को कुछ भी ना अगर हो है रास्तें और भी इन सब के सिवा हर बात की हर सोच की हर याद की यहां हर चीज़ की हर फेस की हर काम की यहां है नाम यहां उसका Emoji कभी smiley है नाम तो इमोजी मगर काम बहुत हैं एक बात जो कहना है तो सौ रास्ते यहां हूं सोचती फिर भी मैं यह बातें अक्सर हर काम मुकम्मल है हर बात मुकम्मल करना जो कभी चाहें, बातें वह कभी मन की लफ़्ज़ों की कमी जब हो कहना भी ज़रूरी हो हो बात जो कुछ कहना कह फिर भी ना पाते हो ऐसे में इमोजी ही फिर साथ निभाता है यह सच है मुहब्बत की Emoji है बहुत लेकिन जो बात रहती है काग़ज़ पे कलम से लिख कर के वह बात नहीं लेकिन message की लिखावट में वह बात नहीं रहती इमोजी की इमोजी में वह खत तो सदा रहते यादों म

Success | Success poetry

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  रिक्शेवाले..... कोशिश करके थक गयी वह हार के घर जा रही थी वह मन में निराशा,आंख में आंसू बोझल मन से रिक्शे पे बैठी रिक्शा चला, और आगे बढ़ा जो अपनी निराशा और थकन को भूल के वह बस तकती रह गई एक बुजुर्ग की वह मेहतन जो रिक्शा चला कर हो रही लेकिन फिर भी मेहनत वह करना उनकी मजबूरी है ऐसा कैसे सोच यह हम ले क्योंकि समझें हम मजबूरी जिसको मजबूरी को फ़र्ज़ समझ कर करना उनकी आदत है। पहुंचे जब तक हम घर तक मन की निराशा छट गई थी उम्मीदों की एक किरण को रिक्शे वाले ने जला फिर दी  कोशिश करना तब तक है कामयाबी ना मिल जाए जब तक की #Little_Star

Game | Home | AG | Lifestyle Game

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    जीत आपकी......... गेम क्या है? गेम ज़िन्दगी है? गेम हम क्यों खेलते हैं? गेम खुशी है? गेम दोस्त है? गेम को कभी ज़िन्दगी का हिस्सा माना जाता था।  बच्चों को गेम खेलने के लिए कहा जाता था। अक्सर बच्चे और बड़े मिलकर भी गेम खेलते थे। वक्त के साथ सब बदल जाता है। यह हम और आप अक्सर सुनते हैं। लेकिन आज हम देखते हैं कि वक्त के साथ चीजें बहुत तेज़ी से बदल रही हैं।  कल गेम क्या था? और क्यों खेलते थे? कल के गेम में खुशी, तन्दुरूस्ती और मां-बाप का साथ था। शाम हुई नहीं कि बच्चे और बड़े सब कहीं मैदान में, घर के आंगन में या छत पर इकट्ठा हो जाते और गेम शुरू हो जाता था। उस वक्त गेम को गेम कम और खेल ज़्यादा कहा जाता था। कभी आई-स्पाई तो कभी कबड्डी तो कभी कुछ, कुछ समझ नहीं आ रहा तो रेस ही कर लेते। इस के इलावा ताश, लूडो, कैरम तो रोज़ का गेम था ही। कुछ नहीं तो चार लोग एक-एक पेपर लेकर बैठ गये। और उस पेपर पर नाम, शहर, खाना, फिल्म टाइटल देते। गेम का नियम यह था कि चारों खेलने वालों में से एक-एक लोग बारी बारी कोई शब्द बोलेंगे और उस शब्द से सबको हर कॉलम में लिखना रहता था। और उसका एक वक्त होता था कि इतने देर में ज

Udaan | उड़ान | Success Stories | Success | AG

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  उड़ान..... हौसलों से हारी मजबूरियां हज़ारों  बात हौसलों की जब कहीं भी होती है ज़िन्दगी आपकी आंखों में तैर जाती है   65 साल की उम्र में हौसलों को दे रही नई ऊंचाईयां कहते हैं जिनके हैसले बुलन्द होते हैं वह मुश्किलों में भी आसानियां ढूंढ लेते हैं। फिर वह मुश्किल शारिरिक हो या सामाजिक। इन्हीं हौसलों की एक मिसाल हैं नईमा जी....... नईमा जी जो किसी जमाने से इस ज़माने तक अपने हुनर को लेकर बहुत ही मशहूर हैं। बचपन से जिनको सिलाई कढ़ाई का शौक था। और उन का यह शौक सिर्फ शैक तक सीमित नहीं था। बल्कि वह बहुत ही बेहतरीन सिलाई कढ़ाई करती भी थीं।  वक्त का पहिया चलता रहा। ज़िन्दगी खुशी, दुख और आज़माईशों का सफर तय करती हुई आगे बढ़ती रही। और इन्हीं सफर में जब नईमा जी के पति को एक के बाद एक कई बिमारियों ने घेर लिया। ऐसे वक्त में नईमा जी ने अपने हुनर को अपना पेशा बनाने का फैसला किया। और उन्होंने अपनी कढ़ाई के हुनर को चुना। लेकिन चूंकि हाथ की कढ़ाई में समय और मेहनत बहुत लगती है। इस लिए उन्होंने एक एंब्रॉयडरी मशीन खरीदी। और फिर उस पर एंब्रॉयडरी बनाना सीखा। किसी ट्रेनर या कोर्स के बिना। और फिर शुरू हो गया उनका

सिर्फ पैसे की कमी ही गरीबी नहीं | Paisa | Little_Star | Life Style | AG | Zindagi

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सिर्फ पैसे की कमी ही गरीबी नहीं है..... बात जब भी गरीबी की होती है। हमारी आंखों के सामने कुछ चेहरे, कुछ ज़िन्दगी, और कुछ लोगों की तस्वीर आ जाते हैं। जो कुछ मैले कपड़ों, गंदे चेहरे और कुछ अलग अंदाज़ में होते हैं। और उनको देखते ही मन में कुछ ख्यालात आते हैं कि अगर इनके पास 'पैसे' होते तो यह ऐसे ना दिखते। लेकिन ऐसा नहीं है। क्योंकि सिर्फ 'पैसे' की कमी ही 'गरीबी' नहीं है। लेकिन यह बात हर जगह एक समान लागू नहीं होती है। क्योंकि हर इंसान के देखने समझने का नज़रिया एक समान नहीं होता। हर इंसान चीज़ों को अपनी सोच के हिसाब से देखता और समझता है। और यह ज़रूरी नहीं कि एक इंसान की सोच से दूसरा भी सहमत हो। और मेरी सोच के हिसाब से गरीबी तीन प्रकार की होती है। 1- गरीब की गरीबी 2- अमीर की गरीबी 3-दिल की गरीबी  ऐ दोस्त.... एक कविता  1-गरीब की गरीबी:-  इंसान जिस माहौल में रहता है। उसकी ज़िन्दगी उसी माहौल के हिसाब से गुज़रती है। जैसे बच्चा जब एक ऐसे परिवार में जन्म लेता है जहां रहने को घर नहीं, पहनने को कपड़े नहीं, और खाने को भर पेट भोजन नहीं। जन्म के बाद जैसे-जैसे वह बड़ा होता है। और

New Year 2020 | Happy New year | New Year

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नया साल मुबारक नया साल की इतनी उत्सुकता क्यों?? नया साल क्या है??? नया साल की इतनी तैयारी क्यों??? ऐसे ही बहुत सारे सवाल मन में आते हैं। लेकिन अक्सर जवाब नहीं मिल पाते, और जब सही जवाब न मिले तो सवाल अपनी जगह पर खड़ा रहता है। एक साल जाता है तो नया साल आता है, और हम सब इस उम्मीद में खुश होते हैं कि नया साल हम सब के लिए खुशियां और नया पैग़ाम लायेगा। लेकिन होता क्या है एक तारीख को खुशियां मनाने के बाद हमारी जिंदगी वापस उसी डगर पर वापस आ जाती है जिस राह पर हम पुराने साल चल रहे थे। क्यों न इस साल हम कुछ नया करें, अब हम नया साल नहीं नया दिन मनायें, हर दिन एक नयी उम्मीद, हर दिन एक नया जोश। दिन भर के काम के बाद रात को  हम घर वापस आयें तो बहुत ज्यादा थके हुए होने के बावजूद मन में यह उत्साह रहे कि कल का दिन नये जोश और नये उमंग के साथ जियेंगे। हर कल का नये साल की तरह इंतेज़ार करें। हर आज को नये साल की तरह जियें। हर दिन new day के रूप में मनाये। #Little_Star

Poems of parathas and Burgers | poetry | Burger Poetry | Burger Poems

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🖋️  'पराठों की बारात' आलू के पराठे कभी मेथी के पराठे मूली के पराठे कभी गोभी के पराठे पालक के पराठे कभी अजवाइन के पराठे दाल के पराठे कभी चावल के पराठे पनीर के पराठे कभी कीमा के पराठे चिकन के पराठे कभी सब्ज़ी के पराठे मिर्ची के पराठे कभी धनिया के पराठे मशरूम के पराठे कभी चीज़ के पराठे बचे खानों के पराठे कभी सरसों के पराठे मक्खन के पराठे कभी सादे ही पराठे पराठे ही यहां मिलते हर टाइप पराठे कोई कहीं जाए तो लेकर यही पराठे कोई जो घर आये बन जाए यही पराठे आफिस कभी कालेज है साथ में पराठे मिल जाए अगर चटनी वाह रे यह पराठे किस्मत जिसे कहते, कहते उसे पराठे चाहत जो सभी की हो कहते उसे पराठे  रिश्ते तो निभाते हैं हर दम यह पराठे है भूख मिटाते भी हर दम यह पराठे। 🖋️ 'पराठों का शहर' याद आ रही है, बहुत याद आ रहे है  घर के पराठे, आलू के पराठे याद आ रहे हैं  🖋️ 'बर्गर' बर्गर ओ प्यारे बर्गर सबके यह प्यारे बर्गर सूरत वह तेरी बर्गर और स्वाद वह तेरा बर्गर मोटा और चटपटा है भाये हमें है बर्गर  महंगा कभी यह सस्ता मिलता है हमको बर्गर  मनको ललचाये बर्गर हो सामने जब भी बर्गर खाये बिना तो मन क