सिर्फ पैसे की कमी ही गरीबी नहीं | Paisa | Little_Star | Life Style | AG | Zindagi




सिर्फ पैसे की कमी ही गरीबी नहीं है.....

बात जब भी गरीबी की होती है। हमारी आंखों के सामने कुछ चेहरे, कुछ ज़िन्दगी, और कुछ लोगों की तस्वीर आ जाते हैं। जो कुछ मैले कपड़ों, गंदे चेहरे और कुछ अलग अंदाज़ में होते हैं। और उनको देखते ही मन में कुछ ख्यालात आते हैं कि अगर इनके पास 'पैसे' होते तो यह ऐसे ना दिखते। लेकिन ऐसा नहीं है। क्योंकि सिर्फ 'पैसे' की कमी ही 'गरीबी' नहीं है। लेकिन यह बात हर जगह एक समान लागू नहीं होती है। क्योंकि हर इंसान के देखने समझने का नज़रिया एक समान नहीं होता। हर इंसान चीज़ों को अपनी सोच के हिसाब से देखता और समझता है। और यह ज़रूरी नहीं कि एक इंसान की सोच से दूसरा भी सहमत हो। और मेरी सोच के हिसाब से गरीबी तीन प्रकार की होती है।

1- गरीब की गरीबी

2- अमीर की गरीबी

3-दिल की गरीबी 


ऐ दोस्त.... एक कविता 

1-गरीब की गरीबी:- 

इंसान जिस माहौल में रहता है। उसकी ज़िन्दगी उसी माहौल के हिसाब से गुज़रती है। जैसे बच्चा जब एक ऐसे परिवार में जन्म लेता है जहां रहने को घर नहीं, पहनने को कपड़े नहीं, और खाने को भर पेट भोजन नहीं। जन्म के बाद जैसे-जैसे वह बड़ा होता है। और उसके आसपास जिस तरह से सब रहते, पहनते और बोलते हैं। बच्चा भी वही सब सीखता जाता है। ऐसे परिवार में पैसों की कोई अहमियत नहीं होती। एक परिवार जहां 'पैसे' कमाने वाला एक हो और अगर एक दिन के लिए भी वह कमाने वाला बीमार हो जाए तो उस परिवार को भूखा सोना पड़ जाता है। और ऐसे परिवार का हर सदस्य इस ज़िन्दगी का आदी भी होता है। एक ऐसा परिवार जिस में बहुत सारे सदस्य हों और उनके रहने के लिए एक छोटा सा कमरा हो, कभी-कभी एक वक्त खाने को भी ना मिलता हो, बहुतों के शरीर पर अक्सर पूरे कपड़े भी नहीं होते लेकिन इन सब के बावजूद सब 'खुश' रहते हैं। अगर इन परिवारों में बच्चों को पढ़ाने के लिए 'पैसे' होते हैं तभी यह अपने बच्चों को पढ़ाते हैं वरना यह बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से खुशी-खुशी कोई भी मेहनत मज़दूरी वाला काम करने लगते हैं। और उनकी ज़िंदगी की तरह उनकी सोच भी उसी हिसाब से चलती रहती है। लेकिन ऐसी ही ज़िन्दगी जीने वाले कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी इस तरह की ज़िन्दगी को बदलने का सोचते हैं। और उनको अपनी ज़िंदगी बदलने के लिए सबसे पहले जिस चीज़ की ज़रूरत होती है वह है 'पैसा'।  

जुदाई.... कभी उदासी कभी तंहाई।

एक इंसान जो मज़दूरी करता है और वह बहुत मेहनत करने के बावजूद उतने पैसे नहीं कमा पाता है जिससे कि वह अपने परिवार के रहन-सहन, खान-पान, सेहत और शिक्षा पर खर्च कर सके। ऐसे में उस इंसान के मन में यही ख्याल आता है कि अगर उसके पास 'पैसे' होते तो वह एक अच्छी ज़िन्दगी जी रहा होता। वह इंसान जो बहुत चाहने के बावजूद भी अपनी ज़िंदगी नहीं बदल पाता। वह इंसान पैसे कमाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करता है जिसमें कभी जीतने के आस में वह इंसान टूट जाता है तो कभी हार जाता है। और अगर कोई जीत भी जाता है तो सिर्फ और सिर्फ 'पैसे' की वजह से। 

अमीर की गरीबी:-

एक इंसान जिस के पास रहने के लिए घर, पहनने के लिए कपड़े, अच्छा कारोबार, खाने के लिए अच्छा खाना और ज़िन्दगी की हर सुख-सुविधा मौजूद हो, और वह इंसान एक सुकून भरी ज़िन्दगी जी रहा हो। और फिर अचानक से उसके कारोबार में नुकसान होने लगे। वह इंसान अपने कारोबार को बचाने की हर मुमकिन कोशिश करता है लेकिन उसके सामने सबसे पहले जो सबसे बड़ी परेशानी आती है वह होती है पैसे की दिक्कत।

क्योंकि उस इंसान का रहन-सहन जैसा होता है वह उसमें बदलाव नहीं चाहता और जैसी ज़िन्दगी वह जी रहा होता है। उसके लिए उसे चाहिए होता है 'पैसा'।

और फिर एक ऐसा परिवार जहां किसी भी तरह की कोई परेशानी कोई दिक्कत ना हो और फिर अचानक से बहुत सारी परेशानी आ जाए और उन सभी परेशानियों का सिर्फ एक हल हो और वह है 'पैसा'।

तो ऐसे में हम कह सकते हैं कि इस इंसान की गरीबी उस इंसान की गरीबी से ज़्यादा  मुश्किल है जिसे हम गरीब कहते हैं।


दिल की गरीबी:-

दिल की गरीबी बड़ी अजीब होती है इसको हर कोई समझ नहीं पाता है। जैसे एक इंसान जिस के पास सब कुछ होता है। लेकिन हर तरह की आशाइशों के बावजूद उस इंसान के पास सुकून नहीं होता, और ऐसे में वह इंसान  सोचता है कि काश! उसकी सारी दौलत कोई ले ले और उसको सुकून दे दे।

दिल की गरीबी उस औरत को देख कर महसूस की जा सकती है जिसके पास सब कुछ होता है लेकिन वह तरसती है एक ऐसे प्यार के लिए जो उसे समझ सके जो उसे प्यार कर सके। 

वह एक मर्द जो रात दिन मेहनत करता है सिर्फ इस लिए कि उसके पास पैसा हो और उसके परिवार वालों को पैसे की कोई दिक्कत ना हो। उसका परिवार खुश और आराम से रहे। वह अक्सर बहुत अकेला रह जाता है क्योंकि हर कोई उसके पैसे से प्यार करता है ना कि उससे।

दिल के गरीब अक्सर वही लोग होते हैं जिनके पास बहुत कुछ होता है मगर वह लोग हमेशा कुछ चीजों के लिए तरसते रहते हैं।

गरीबी के बहुत से चेहरे हैं लेकिन आज हम जिस समाज में जी रहे हैं और जिस तरह से हमारी सोच और विचार हैं उस हिसाब से सबसे बड़ी गरीबी 'पैसे' की कमी को समझते हैं। 

 वह इंसान जो कम पैसा होने के बाद भी सुखी हो। लेकिन देखने वाले की नज़र में हमेशा 'बेचारा' ही रहता है।

कोई इंसान जब तरक्की करता है तो सबसे पहले उसके पास दौलत आती है। हर वह इंसान जो मेहनत करता है वह सिर्फ और सिर्फ पैसे के लिए मेहनत करता है। हां यह अलग बात हो सकती है कि कोई दो पैसे के लिए मेहनत करता है तो कोई चार पैसे के लिए। मगर वह मेहनत 'पैसे' कमाने के लिए ही करता है।

यह सच है कि सिर्फ पैसे की कमी ही'गरीबी'नहीं है। लेकिन आज पैसा हमारी ज़िन्दगी का एक अभिन्न अंग बन चुका है। जिस के बिना हम अक्सर बहुत मजबूर हो जाते हैं।



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