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Showing posts from October, 2023

बिखरा आसमां | Sad Poetry | AG |

  बिखरा आसमां...... गमों के दर्द भरे लम्हे   वह खामोश आंखें और अल्फाज़ बिखरे सुबह-शाम वह ही  रूका था ना कुछ भी ना छूटा था खाना  पिया उसने चाय भी मिली सबसे हंसकर  और खैरियत भी जाना  सुनाया ना अपनी  सुना मगर सब की  छुपाया हर एक दर्द ना जाना किसी ने  बहुतों नें समझा  नहीं दुख है इसको  मगर कुछ थे ऐसे  समझ वह गये थे  जो दिख वह रही है  वह है झूठ सब ही  हंसी और खुशी सब  दिखावा है उसका  बहुत दिल है टूटा  बहुत ज़ख्म दिल में  छिपा वह गयी है  अंधेरी बहुत रात  वह नन्हा सितारा बहुत तन्हा-तन्हा  -Little_Star  

4 Line Poetry | Page 5 | قطعہ | Little _Star

अनकहे लफ्ज़....  🖊️  भाई बहनों का प्यार खत्म होता है कहां  दूर हो जाते सब दिल मगर करता है याद भूल जाए जो जब भाई और बहन कभी  ऐसा मुमकिन नहीं इस ज़िन्दगी में अभी  🖊️  बाप बन कर है यह जाना बाप होता है क्या  वरना एक बेटा क्या समझता कभी बाप को हर एक दुख दर्द पता चल गया है बेटे को बेटा जब बड़ा होकर बाप बन गया   🖊️  बेटे और बेटी में फर्क है बहुत  एक बेटे ने यह बात तब है कही  जब बना बाप एक बेटी का वह  सारे फर्क उसको समझ आ गये  🖊️  मां मैं बच्चा नहीं अब बड़ा हो गया तेरा समझाना हर दम यह अच्छा नहीं है समझ है बड़ी और अब मैं भी बड़ा  मां बड़ी अब कहां और वह बच्चा कहां  🖊️  मां-बाप पाल लेते हैं बच्चों को उम्र भर  खुशियों को अपने छोड़ के देते वह हर खुशी  मुश्किल ना हो कोई भी बच्चों को ज़िन्दगी में  बूढ़े हैं अब वह मां-बाप बच्चे मगर ना कोई साथ  🖊️  पढ़-लिख तो गये बच्चे मगर अब भी कमी है कुछ बात है यह ऐसी खलती जो बहुत है  तालीम तो दिला दी पैसे से महंगी महंगी  तरबियत मगर राहों में कहीं राह वह भटक गई   

सितारा | Best Poetry | Poetry | Star | Little_Star

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सितारा.... ज़िन्दगी थी कभी अब कहानी लगे  वह कहानी अधूरी मुकम्मल कहां   वह कहानी चलो सुन लें एक बार फिर  एक सितारा वह दिलकश चमकता हुआ  भीनीं गजरों के जैसा महकता हुआ  चांदनी रात मानिंद चमकता हुआ   हर एक अंदाज़ उसका हसीं था बड़ा  और सजने संवरनें की क्या बात थी   रची मेहंदी वह हाथों में दिलकश सजी थी रहती बालियां वह कानों में दीपक लिए खनकती चूड़ी खनकती रहती वह हाथों में   दमकती बिंदी गले में लाकेट,  नज़र हटे ना जो जाए उस पर चमकती नथ बनी हीरा, सजी रहती वह चेहरे पर   और वह पाज़ेब पैरों में, कदम उठते छन्न छन छन वह पल्लू शान से सिर पर, चहकते लब हंसी चेहरा  और वह बाल संवरे से, अदब से बोलना और वह   गज़ब हाज़िर जवाबी थी, ना जाने कब कहां से एक    आया था वह झोंका एक, वह झोंका एक तूफां का  मिनट का खेल कुदरत का, और फिर मिट गया सब कुछ   मुहब्बत की वह मारी थी, मुहब्बत की वह रानी थी  मुहब्बत मिल गई उसको, मुहब्बत जी रही थी वह मुहब्बत में दीवानी वह, मुहब्बत मिट गई लेकिन  दमकती थी मुहब्बत में, चहकती थी मुहब्बत में   मगर वह मौत का झोंका, खत्म सब कर गया एकदम  मुहब्बत ही नहीं है जब, मुहब्बत फिर वह कैसी अब   कह

ख्वाहिश |

ख्वाहिश.....   जो सोचा सब अदा करके फर्ज़ वह सब जो था हम पर  चलो कुछ पल साथ बैठेंगे और कुछ लम्हे बिताएंगे बिताएंगे बहुत तन्हा जहां कोई ना हो अपना  ना हो कुछ भी अधूरा सा मुकम्मल सब जहां पर हो   जहां हो बात सिर्फ वह ही हमारी और तुम्हारी जो  मुहब्बत हो हर एक लम्हा  ना फिक्र हो वहां कोई  हर एक ज़िम्मेदारी अदा कर के  हर एक रिश्ता निभा कर के  चलो कुछ पल गुज़ारें हम  हर एक गुज़रे ज़माने के  वह मुश्किल और परेशानी सभी कुछ काट कर और फिर निभा कर  बहुत खुश और शादमां दिल है जो सोचा था गले मिल कर  कुछ पल साथ बिताएंगे  मगर हर एक ख्वाहिश फिर बना एक ख्वाब ऐसा वह हकीकत कुछ नहीं लेकिन मगर उस ख्वाब को अब ही  बनाना ज़िन्दगी हमको  गुज़रे रात-दिन ना ही  गुज़ारना फिर भी हमको है अंधेरी रात ना चमके चांद  मगर नन्हें सितारे ऐ  तुझे फिर भी चमकना है तुझे फिर भी चमकना है।  -Little_Star

कहानी याद आती है | Best Poetry | Story

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  कहानी याद आती है.... बड़े हो जाते हैं हम सब जब, बदल जाता बहुत कुछ है  मगर कुछ बात रहती हैं, हमेशा याद रहती वह कभी फुर्सत से बैठें जब, वह बातें याद आती हैं कहानी बन चुकी है जो, कहानी याद आती वह  ज़िन्दगी याद आती वह, ज़िन्दगी याद आती वह मेरा प्यारा सा वह एक गांव, मेरे गांव का वह एक घर   भरा-पूरा घराना था, पति-पत्नी और बेटे चार  और एक बिटिया वह प्यारी सी   मुहब्बत से भरा वह घर, खुशी थी शादमानी थी  बहुत आसाईश भले ना थी, सुकून लेकिन वहां पर था  पिता और मां दोनों ही, कमाते घर चलाते थे  खर्चा घर का चल जाता, मगर पैसे ना बचते थे  ना झगड़ा था ना किच किच थी, सुकूं लेकिन वहां पर था  बड़े होते वह बच्चे और, बढ़ी फिर ज़िम्मेदारी भी  हुई एक-एक की शादी फिर, बहु आई दामाद आये  चला फिर सिलसिला यूं ही, बढ़ी फिर ज़िंदगानी वह किलकारी गूंज उठी फिर, वह नाती और पोतों की  बढ़े खर्चे कभी किच-किच, कभी कुछ बात लगी रहती  मगर इन सब ही बातों में, मुहब्बत फिर भी थी कायम  सभी मिलकर ही रहते थे, वह खाना साथ ही पकता  और खाते साथ सभी भी थे, मां और बाप सभी खुश थे इन्हीं चेहरों में एक चेहरा, जिसे वह मां जी कहते थे  संभाला थ