ख्वाहिश |
ख्वाहिश.....
जो सोचा सब अदा करके
फर्ज़ वह सब जो था हम पर
चलो कुछ पल साथ बैठेंगे
और कुछ लम्हे बिताएंगे
बिताएंगे बहुत तन्हा
जहां कोई ना हो अपना
ना हो कुछ भी अधूरा सा
मुकम्मल सब जहां पर हो
जहां हो बात सिर्फ वह ही
हमारी और तुम्हारी जो
मुहब्बत हो हर एक लम्हा
ना फिक्र हो वहां कोई
हर एक ज़िम्मेदारी अदा कर के
हर एक रिश्ता निभा कर के
चलो कुछ पल गुज़ारें हम
हर एक गुज़रे ज़माने के
वह मुश्किल और परेशानी
सभी कुछ काट कर और फिर निभा कर
बहुत खुश और शादमां दिल है
जो सोचा था गले मिल कर
कुछ पल साथ बिताएंगे
मगर हर एक ख्वाहिश फिर
बना एक ख्वाब ऐसा वह
हकीकत कुछ नहीं लेकिन
मगर उस ख्वाब को अब ही
बनाना ज़िन्दगी हमको
गुज़रे रात-दिन ना ही
गुज़ारना फिर भी हमको है
अंधेरी रात ना चमके चांद
मगर नन्हें सितारे ऐ
तुझे फिर भी चमकना है
तुझे फिर भी चमकना है।
-Little_Star
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