बिखरा आसमां | Sad Poetry | AG |
बिखरा आसमां......
गमों के दर्द भरे लम्हे
वह खामोश आंखें
और अल्फाज़ बिखरे
सुबह-शाम वह ही
रूका था ना कुछ भी
ना छूटा था खाना
पिया उसने चाय भी
मिली सबसे हंसकर
और खैरियत भी जाना
सुनाया ना अपनी
सुना मगर सब की
छुपाया हर एक दर्द
ना जाना किसी ने
बहुतों नें समझा
नहीं दुख है इसको
मगर कुछ थे ऐसे
समझ वह गये थे
जो दिख वह रही है
वह है झूठ सब ही
हंसी और खुशी सब
दिखावा है उसका
बहुत दिल है टूटा
बहुत ज़ख्म दिल में
छिपा वह गयी है
अंधेरी बहुत रात
वह नन्हा सितारा
बहुत तन्हा-तन्हा
-Little_Star
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