Posts

Showing posts from January, 2025

मटर कचौड़ी बनाने की विधि और परफेक्ट टिप्स | How to Make Perfect Matar Kachori: Easy Recipe and Tips

Image
मटर कचौड़ी.... मटर कचौड़ी एक स्वादिष्ट और कुरकुरी भारतीय व्यंजन है, जो खास तौर पर सर्दियों के मौसम में बनाया जाता है। इस में ताज़े हरे मटर को मसालों के साथ भून कर तैयार की गई स्टफिंग का उपयोग किया जाता है। जिसे मैदा के आटे में भर कर डीप फ्राई किया जाता है। इसका स्वाद हल्का तीखा और मसालेदार होता है। मटर कचौड़ी को इमली चटनी, दही और धनिया मिर्च की चटनी के साथ परोसने से इस का मज़ा दुगना हो जाता है। यह नाश्ते, स्नैक्स या किसी खास मौके के लिए परफेक्ट विकल्प है।  सामग्री   मैदा 1 किलो घी डालडा 8 बड़ा चम्मच (लगभग एक पाव) नमक स्वादानुसार  भरावन के लिए.... आलू 3 छोटा पीस मटर  आधा किलो अदरक एक टुकड़ा  हरी मिर्च 6 पीस हरा धनिया 1 कटोरी  बेसन 3 चम्मच  गर्म मसाला हल्दी वाला 1 चम्मच  गर्म मसाला घनिया वाला 1 चम्मच  हींग 1 चुटकी  अमचूर पाउडर 1 चम्मच  तलने के रिफाइंड तेल या डालडा धी  बनाने का तरीका.... एक बाउल में आटा रखें। उसमें नमक डालें। और अच्छे से मिला लें। घी डालें। कचौड़ी के लिए डालडा घी ज़्यादा अच्छा रहता है। लेकिन रिफाइंड तेल भी डा...

Pagal Pati Aur Pyar | Crazy Husband and Love

Image
  पागल पति और प्यार.... पागल पति और प्यार यह तो सही नहीं है। क्योंकि पागल सिर्फ पति नहीं होते। बल्कि पत्नियां भी होती है। एक पति अगर अपनी पत्नी के प्यार में पागल होकर कुछ ऐसा काम करे। जो उसकी मान और प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए। तो वहीं कुछ पत्नियां भी पागल होती हैं। जो अपने पति के मान और प्रतिष्ठा के लिए कुछ भी कर गुज़रती हैं। फिर चाहे उसके लिए ज़माना उन्हें कुछ भी कहे। या उन्हें कुछ भी करना पड़े। लेकिन वह अपने पति को मान और प्रतिष्ठा दिलाने के लिए पागल हो जाती हैं। इस लिए हम कह सकते हैं कि हर वह इंसान पागल है। जो किसी से प्यार करता है। और यह पागलपन ही तो है जो हमें प्यार करना सिखाता है। आनलाइन मैगजीन द्वारा दिया गया टाईटल "पागल पति और प्यार" के  लिए लिखा गया यह लेख। जिसे शायद हर कोई समझ ना सके।

दिल दोस्ती और प्यार | Heartstrings of Love, Friendship, and Trust

Image
दिल दोस्ती और प्यार.... आप लोगों को किस बात से दिक्कत है। मेरे दिल से या मेरी दोस्ती से जो मेरी करन से है। या फिर प्यार से जो मैं रधुवीर से करती हूं।  सरोजनी गुस्से से चींखते हुए पूछती है। जिसकी बात का शायद किसी के पास जवाब नहीं था। रघुवीर जिन के कदम हॉल में पड़े ही थे कि उनके कानों में यह तेज़ आवाज़ पहुंचती है। और उसके कदम वहीं ठहर जाते हैं। आप लोगों को शांत पानी में कंकड़ फेंक कर मज़ा लेने का बहुत शौक होता है। करन से दोस्ती पर मेरे पति रधुवीर को कोई परेशानी नहीं है। लेकिन ना जाने क्यों आप लोगों को बहुत है। पति-पत्नी के बीच शक का बीज आप समाज के लोग ही बोते हैं। और फिर उस बीज को तनावर दरख़्त भी आप लोग ही बनाते हैं। और फिर एक वक्त के बाद आप लोगों के द्वारा बोये हुए उस तनावर दरख़्त को पति-पत्नी अपनी छांव बना लेते हैं। एक ऐसी छांव जो एक वक्त के बाद उस के सर नहीं होती। और ना ही वह पति-पत्नी एक साथ होते हैं। तब आप लोग एक तनावर दरख़्त को कटने का पूरा दोष  पति-पत्नी पर डाल कर कहीं और कोई दूसरा बीज बोने चल पड़ती हैं। सरोजनी कहते-कहते रुक कर हर किसी का चेहरा देखती है। और फिर बोलना...

Shad Abbasi's Shayari Part 2 ہر ادمی کے سینے میں پتھر کا دل ہے اب

Image
 🖋️ بازار کائنات کی روح رواں تھے ہم  ہر شخص جانتا ہے کہ کتنے گراں تھے ہم   اب اخری ورق سے ہمیں کاٹتے ہیں لوگ اخبار زندگی کی کبھی سرخیاں تھے ہم  🖋️ مایوسیوں کی گرد میں اب گم ہے زندگی  سر پر کبھی تھا تاج کبھی حکمران تھے ہم شاد عباسی-  🖋️ محفل میں جانے کس لیے لایا گیا ہمیں  حق بات بولنے پہ اٹھایا گیا ہمیں 🖋️ کسے خبر ہے کہ صدیوں کے کرب جھیلے ہیں  کبھی کسی نے میرے چہرے کو پڑھا ہی نہیں 🖋️ قہقہے دل کے چراغوں کو بجھا دیتے ہیں  اشک انکھوں سے جو ٹپکے تو عبادت سمجھو  🖋️ جاں فشانی سے سنور جاتی ہے ہاتھوں کی لکیر  اپنی ٹوٹی ہوئی کشتی کو نہ قسمت سمجھو 🖋️ مسکراہٹ مل کے چہرے پر ملا ہر آدمی  مجھ کو ہر چہرے کے پیچھے دوسرا چہرہ ملا  🖋️ شاد سپنے بھی اس کے ادھورے رہے  جو حقیقت سے انکھیں چراتا رہا  🖋️ وہ شاد ہی تھا جس کے لیے یہ کہا گیا  کچھ روشنی چراغ وفاکی بڑھا گیا  🖋️ ہر آدمی کے سینے میں پتھر کا دل ہے اب پتھر کے دور کا کوئی انسان نہیں رہا  Shad Abbasi's Shayari Urdu (Part 1)... 🖋️ دل ہی ہوا نہ اپنا تو غ...

The Wedding Home: Love Matters More Than Rituals | विवाह का घर: रस्मों से ज्यादा जरूरी है मुहब्बत

Image
विवाह का घर (एक सदा) शादी ब्याह करना आज के ज़माने में कितना मुश्किल हो गया है। नये-नये रस्मो-रिवाजों ने पुराने रस्मों को खत्म कर दिया है। विवाह का घर है मां-बाप बढ़े हुए खर्चों से परेशान है। और बच्चे ख्वाहिश पूरी ना होने की वजह से गुस्सा है। विवाह का घर है मगर हर कोई दुखी है। काश! की बच्चे मां-बाप की मजबूरियों को समझ लेते या फिर खुद ही इतना कमा लें कि हर शौक को पूरा कर लें। नहीं तो फिर शांति से मां-बाप की खुशियों को देखते हुए खुशी-खुशी शादी कर लें। क्योंकि खुशियां रस्मों से नहीं मुहब्बत से मिलती हैं। -Little_Star एक आनलाइन मैगज़ीन के लिए लिखा गया यह लेख।  जिस का टापिक था"विवाह का घर" 

Log Kehte Hain: A Tale of Unforgettable Love | Shad Abbasi's Shayari | Part 4

Image
  ....لوگ کہتے ہیں صرف ایک بار ملاقات ہوئی تھی جس سے بس اشاروں میں فقط بات ہوئی تھی جس سے  مدح میں وقف تھے جس کی مرے قرطاس و قلم  لوگ کہتے ہیں کہ اب دل سے بھلا دو اس کو بانسری بن کے جو بجتی تھی میری راہوں میں بن کے پائل جو کھنکتی تھی میرے گیتوں میں  ڈر ہے وہ ساز نہ ہو جائے بہ آغوش عدم  لوگ کہتے ہیں کہ اب دل سے بھلا دو اس کو  ہائے وہ رات کے زینے سے اترنا اس کا  بے ضرورت میری راہوں سے گزرنا اس کا  ذہن پر اب بھی ہے پتھر کی طرح نقش قدم  لوگ کہتے ہیں کہ اب دل سے بھلا دو اس کو  جس نے دل کو میرے پاکیزہ محبت بخشی  جس نے پلکوں کو مرے تاروں کی زینت بخشی   میری نس نس میں ہے شیرنئ احساس الم  لوگ کہتے ہیں کہ اب دل سے بھلا دو اس کو  ایک پل جس کے بنا گزرا ہے صدیوں کی طرح  کالی راتیں بھی گزرتی تھی سنپولوں کی طرح  چاند کہتا کبھی جس کو کبھی پتھر کے صنم  لوگوں کہتے ہیں کہ اب دل سے بھلا دو اس کو  روشنی جس نے بچھا دی تھی میری راہوں میں  برق بن کر جو گری غم کی کمیں گاہوں میں  ڈر ہے ٹوٹے نہ زمانے کا کہیں ا...

Shad Abbasi's Shayari | part 10 | Shaad Abbasi Shayari: Soulful Verses and Deep Emotions

Image
  🖋️ 🖋️ राज़े हयात भी मेरे दस्त हुनर में हैं  बीते दिनों के सारे मनाज़िर नज़र में हैं बचपन से दश्त शौक में गुज़री है ज़िंदगी  कितनी कहानियां मेरे रख्ते सफर में हैं  راز حیات بھی مرے دست ہنر میں ہیں بیتے دنو کے سارے مناظر نظر میں ہیں بچپن سے دشت شوق میں گزری ہے زندگی  کتنی کہانیاں مرے رخت سفر میں ہیں  शाद अब्बासी एक शख्शियत भाग 1 🖋️ मैं खार व गुल के खानों में तकसीम हो गया  लुत्फ़े चमन उठाने में तकसीम हो गया  उमरे रवां की राहे नवरदी को क्या कहूं  मैं मुख्तलिफ खानों में तकसीम हो गया  शाद अब्बासी शायरी भाग 3 🖋️ جنہوں نے روزوں کا کچھ احترام رکھا ہے  انھیں کے واسطے جنت میں جام رکھا ہے