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ज़िन्दगी के फसाने बहुत हैं यहां हर फसानों के किरदार यहीं हैं सभी ऐ! दोस्त तेरे दर्द को कम ना कर सके लफ़्ज़ों में तेरे किरदार को समा ना सके..... यादों की याद...... गुज़र रही है ज़िन्दगी ऐसी, जैसी सोचा नहीं था हमने कभी कर रहे काम हम वह सब ही, करना चाहा नहीं था जिसको कभी ज़िन्दगी है तो गुज़र ही रही, ज़िन्दगी जीने की चाहत मगर थी कभी थे ना अरमां बहुत से दिल में हमें, हां मगर ख्वाब आंखों में कुछ थे कभी ज़िन्दगी आज अपनी कहानी हुई, सुनते पढ़ते कहानी जो हम थे कभी ज़िन्दगी है तो गुज़रे है दिन और रात, वरना लम्हों को मुठ्ठी में रखते थे कभी मौत आये तो मरने की ख्वाहिश हमें, वरना जीने की चाहत हमें थी कभी कोई सपना ना ख्वाहिश अभी है मुझे, वरना ख्वाबों में उड़ते थे हम भी कभी आज तन्हा मैं तन्हा बहुत हूं मगर, एक साथी की चाहत हमें थी कभी एक आदमी है साथी तो मेरा मगर, एक इंसां की चाहत मुझे थी कभी है मुहब्बत जो मेरी मुहब्बत भरी, वैसी उल्फत की चाहत मुझे थी कभी कोई जीता यहां पे हमारे लिए, ऐसी सोचों की माला पिरोयी थी कभी है सफर दूर तक और तन्हा हूं मैं एक राही की ख्वाहिश बहुत थी कभी कोई मरता नहीं