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 10 lines on different kinds of food 

दस लाइन और दस स्वाद

  


🌶️

जो बारिश हुई तो पकौड़े बना लो 

समय कम हो जब भी तो मैगी बना लो 

मिलें जब भी यार-दोस्त तो पिज़्ज़ा ही खा लो 

जो करनी हो दावत तो बिरयानी बना लो 

हो जाना सफर पर पराठे भी बना लो

हो दिल खुश कभी तो बर्फी भी लो 

वह गुस्सा जो होती तो खिचड़ी भी खा लो 

वह खाना जो खा लें तो फिर चाय बना लो

खुशी जब भी मिलती तो फिर केक खा लो

डिनर कर लो अब तो आइसक्रीम भी खा लो

जो खा लो तुम ज़्यादा तो हाजमोला फिर खा लो।




🌶️

आलू पराठे तो मां के हाथों के मज़े देते हैं

छोले और समोसे भाभी जो बना दे तो क्या कहने

दोस्त तो वही जो करा दे चिकन टिक्का की दावत 

भाई कहां कंजूस जो खिला दे भर पेट नूडल्स 

पापा बड़े अच्छे जो खिलाते रहें बरगर और पिज़्ज़ा 

पति पे तो वारी पत्नी जो खिला दे वह डोसा इडली 

सबसे अच्छी चाय वही जो बेटी बना दे पापा के वास्ते 

पत्नी कहां बुरी वहां जो खिलाती रहे हर रोज़ पराठे 

बेटे की बेस्वाद वह सब्ज़ी मां को लगती Five Star

खिलाना सभी कुछ पर खिचड़ी ना खिलाना






🌶️

बाहर का समोसा और घर की दाल रोटी 


बाहर का पिज़्ज़ा और घर की खिचड़ी 


बाहर की गुलाब जामुन और घर की खीर 


बाहर का बर्गर और घर का पराठा 


बाहर का टिक्का और घर की लिट्टी 


बाहर का चाट और घर की पकौड़ी 


बाहर का गोल गप्पा और घर का चूड़ा 


बाहर का डोसा और घर का पोहा 


बाहर का पराठा और घर की रोटी 


बाहर की कॉफी और घर की चाय  


बहुत अच्छी लगती है कभी यह कभी वह 


बाहर को ना छोड़ो और घर को भी जोड़ो 


कभी यह कभी वह ज़रूरी है सब कुछ 


घर का खाना भी ज़रूरी है बहुत


बाहर का खाना भी कभी मजबूरी कभी ज़रूरत





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