खामोशियों का शोर | कविता | AG | poetry | Hindi

 



#Covid 

 खामोशियों का शोर

अभी कुछ दिन और रहना है घर ही पर
यह वक्त मुश्किल है मगर है काटना हमको
यह लॉकडाउन ज़रूरी है ज़िन्दगी के लिए
यह सच है कि किसी को पैसे की है दिक्कत
सामान मिल रहा है सभी को यह चिंता है मगर
पैसे जो जमा थे सबके अब हो रहे हैं खत्म वह
कुछ भी हो मगर लेकिन यह वक्त गुज़ारना है
यह दौर मुश्किल का बहुत और सब्र वाला
इस वक्त को गुज़ारो सब साथ ही में मिलकर
वह साथ भी हो ऐसा हों सब अलग-अलग
आई बड़ी मुसीबत जिसको है काटा सबने
यह बात बता रहे हैं दादी किसी की नानी
हम को भी है समझना वह बात बुज़ुर्ग से
जो उनकी ज़िंदगी ने तजुर्बे से है कमाई
है ज़िन्दगी हमारी तो सोचना भी हमें है
जो ज़िन्दगी रही तो लाखो कमा हैं लेंगे
जो ज़िन्दगी रही तो सब कुछ बना ही लेंगे
वह सुनते हैं जो बड़ों से कहते हैं वह यह अक्सर
उम्मीद हो बड़ी तो सब कुछ यहां है मुमकिन
उम्मीद का दिया एक लाखों दिये जला दे
उम्मीद का दिया एक दिल में जला के रख लो 
चमके है आसमां पर जब हो ना चांद सूरज 
नन्हा दिया फलक का कहते जिसे सितारा 
 


-Little-Star



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