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वह देर से उठती सोकर यह चर्चा है हर तरफ
आदत नहीं यह अच्छी यह जानती है वह भी
वह सारी रात जगती आती ना नींद उसको
यह बात सिवाय उसके नहीं जानता है कोई
हर दर्द बताएं सबको ज़रूरी नहीं है दोस्त
कुछ ज़ख्म दिल के तन्हा सहना भी है ज़रूरी
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वह शख्स है गलत, करता है सब गलत
दिल देखने की फुर्सत, किसको यहां पर है
देखे है आंख जो कुछ, सच है वही सही है
वह एक गुनहगार बंदा, हो सकता है फरिश्ता
छूटे जमाअत उसकी, यह जानते सभी हैं
तहज्जुद है कितनी छूटे, यह जानता खुदा है
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मुहब्बत भी क्या है जो मुहब्बत छूट जाती है
बहुत अपने जो थे हर दम वही अब हो गये अंजान
मुहब्बत तो इबादत है अदा जो हम सब करते हैं
मुहब्बत बन गई नफरत मुहब्बत हो गई उसको
हर एक अपने लगे दुश्मन अज़ीज़ अब हो गया कोई
जो अपनों को बना दे गैर मुहब्बत वह नहीं होती
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मां के एक दर्द को समझ सके ना वह बच्चे
मां जो हर दर्द को समझ लेती थी बच्चों के
बेटा बड़ा होकर समझता है बड़ा खुद को
बूढ़ी वह मां बहुत ही नासमझ है अब तो
कल तक सिखाती मां थी मगर अब तो क्या कहें
बच्चा वह बड़ा होकर कहता है जाहिल मां को
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