कुछ अनकही (कालेज वाला प्यार) भाग 7 | Kuch Ankahi: Unspoken College Love Story Part 7 | Emotional Hindi Romance
समीर की बातें खत्म ही नहीं हो रही थी। और दानिया को भी समीर से बात कर के बहुत सुकून मिल रहा था।
अंदर हॉल का प्रोग्राम खत्म हो गया। सब को लंच करने के बाद जाना था।
समीर और दानिया लंच के लिए चले गये। उसी वक्त वर्षा, उर्वशी और सारे दोस्त आ गये।
तुम कहां रह गई थी? वर्षा ने नाराज़गी से पूछा।
मैं पीछे बैठ गई थी। तुम लोग दिखी ही नहीं। दानिया अपनी प्लेट में खाना निकालते हुए कहती है।
सब लोग खाना खाकर एक दूसरे से मिल कर जाने लगते हैं।
कालेज वाले यह काम बहुत अच्छा करते हैं। पुराने दोस्तों से मिल कर लगता है। अपने अंदर नई जान आ गई है। उर्वशी ने हंसते हुए कहा।
दिल, दोस्ती और प्यार पढ़ें और महसूस करें।
सही कह रही हो। आज हम बेफिक्र हैं। हमें कोई फिक्र नहीं। आज हम आजाद है। यह एक दिन की रिहाई हमारे कालेज वाले प्यार को ताज़ा कर गई।
दानिया ने भी हंसते हुए कहा। और सब बाहर निकल गये। दानिया जैसे ही अपनी गाड़ी में बैठने लगी। उसी वक्त समीर आ गये।
चलती हूं समीर, हमारी मुलाकात तो होती ही रहेगी। बिल्कुल वैसे ही, जब मैं अकेली चाय पी रही हूंगी। और चाय के उठते धुएं के साथ तुम्हारा अक्स मेरे सामने होगा।जब गर्म-गर्म समोसे को जल्दी में खा लूंगी। और वहां पर कोई मुझे मना करने वाला नहीं होगा। तब मेरे आस-पास तुम्हारी आवाज़ सुनाई देगी। कब तुम को समझ आयेगा कि समोसा गर्म है। और मैं अपने चारों तरफ देखूंगी। हर तरफ मुझे तुम ही नज़र आओगे। और मैं मुस्कुरा दूंगी। हां यह अलग बात है कि उस वक्त मेरे आंखों की नमी देख कर हर कोई यही समझेगा कि गर्म समोसे खाने से मेरी आंख में नमी है। मगर यह बात सिर्फ मैं जानती हूं। गर्म समोसे खाना मेरी नादानी नहीं बल्कि किसी की याद को छिपाने के लिए मैं ऐसा करती हूं। वरना ठंडा समोसा खाकर किस की आंख रोती है भला।
दानिया ने मुस्कुराते हुए कहा।
हमारा यह कालेज वाला प्यार हमेशा ज़िंदा रहेगा दानिया। तुम हर चाय की कप के साथ मुझे पाओगी। और मेरी हर बात हर अल्फाज़ में तुम रहोगी। क्योंकि मैंने अपनी बेटी का नाम दानिया रख लिया है।The End....
Comments
Post a Comment