इश्क जान | Ishq Jaan Part 1 | Heartfelt Romance & Wedding Story



बड़ा घर, बड़ा परिवार शादी का घर हर तरफ शोर शराबा। सारे परदेसी आ गये थे शादी अटेंड करने के लिए। और जो नहीं आये थे। वह भी आज कल में पहुंचने वाले थे। जो इसी शहर के रिश्तेदार थे। उनका तो रात दिन आना जाना लगा ही रहता था।

हर तरफ कहकहे हर तरफ उल्लास था। किसी को शादी में आने की खुशी थी। तो किसी को अपनों से मिलने की खुशी थी तो किसी को अपने देश अपने घर आकर खुशी हो रही थी। 

शाम को हल्दी का प्रोग्राम था। 

खानदान के सबसे रईस इंसान अरविन्द सिंह के बेटे जगविंदर सिंह की शादी थी। 

शाम होते-होते सारे रिश्तेदार हॉल में आना शुरू हो गये थे। जहां पर हल्दी का प्रोग्राम था। 

हर कोई एक दूसरे से मिल रहा था। 

शजल ने भी हॉल में आकर सबसे मिलना शुरू कर दिया था। दो साल पहले इसी तरह वह लोग इकट्ठा हुए थे। और आज उसी तरह एक बार फिर सब लोग इकट्ठा हुए हैं।

शजल की खूबसूरती और उसके इखलाक का हर कोई कायल था। दिलकश अंदाज़, धीरे से बात करना, हाज़िर जवाबी में वह मशहूर थी। मगर कहकहे बहुत ज़बरदस्त लगाती थी। वह कहती थी हंसो तो दिल खोल के हंसों।

रज़ील की निगाहें बेताबी से किसी को ढूंढ रही थी। 

शजल ने देखा परमजीत नारवाल से बातें कर रहा था। उसका दिल परमजीत से मिलने के लिए मचल गया। 

परमजीत जिसे पहली बार देखकर ही उसकी धड़कन तेज़ हो गई थी।

पिछले दो साल से वह उसे याद कर रही थी। और आज मिलने का अवसर मिला था। वह यह मौका कैसे गंवा देती।

हेलो नारवाल....

शजल ने नारवाल को हेलो करके परमजीत की तरफ देखा और उसको भी कुछ यूं हाय बोला जैसा उसे देखा ही नहीं था। और फिर नारवाल से बातें करने लगी। 

परमजीत उन दोनों को बातें करता हुआ देखता रहा। 

दिन पर दिन यह शजल तो और हसीन होती चली जा रही है।

परमजीत ने शजल को देखते हुए सोचा। 

परमजीत को शजल को देख कर अपने दिल में कुछ हलचल सी महसूस हुई।

वह लास्ट टाइम भी शजल से मिला था। चूंकि वह चाची की रिश्तेदार थी। इस लिए ज़्यादा बात नहीं हो पाती थी। मगर इस बार परमजीत उसको देख कर अपना दिल हार रहा था। 

रज़ील की निगाहों ने आखिरकार शजल को ढूंढ ही लिया।

शजल अपनी कजिन की पांच साल की बेटी अन्सेया से हंस-हंस कर बातें कर रही थी।

शजल को देख कर रज़ील के दिल को चैन मिल गया। यह दो साल उसने कैसे बिताए हैं यह वही जानता था।

दो साल पहले शादी में उसने शजल को देखा था। तबसे वह उसका दीवाना हो गया था।

उसकी सादगी, उसकी मुस्कान ने उस के दिल में जगह बना ली थी। लेकिन उसने उसे सिर्फ दूर से देखा था। कभी बात नहीं की थी। 

और आज शजल को देख कर उसको सुकून मिल गया।

हल्दी का प्रोग्राम शुरू हो चुका था। वेटर अलग-अलग तरह के ड्रिंक और स्नैक्स लेकर चल रहे थे। शजल एक तरफ बैठ कर अपनी पुराने दोस्तों से बाते करते हुए फंक्शन को इंजॉय कर रही थी।

शजल इस बात से अंजान थी की कुछ निगाहें उसे देख रही हैं। वह मस्ती में ऊंचे-ऊंचे ठहाके लगा कर हंस रही थी।

खाने का दौर शुरू होते ही हर कोई वहां पहुंच गया। 

शजल का ग्रुप बातों में बिज़ी था। जब खाने के पास जगह दिखी तो वह लोग भी उठ गई खाना खाने के लिए। 

वह चार-पांच लोग खाना लेकर एक तरफ साइड में होकर बातें करते हुए खाने लगी। 

हेलो रूखसार.... 

रज़ील ने उनके बीच आकर रूखसार को हाय किया। और उससे बातें करने लगा। 

सुनो यह मेरे कज़िन रज़ील है।

रूखसार ने रज़ील का इंट्रो दिया। 

रज़ील ने सबको हाय किया। 

और उसकी निगाह शजल पर जा कर ठहर गई।

पीले कलर के गरारा सूट उस पर रेड,ब्लैक कलर का गोटा साथ में रेड कलर का दुपट्टा जिस पर पीले और ब्लैक कलर का गोटा लगा हुआ था। कान में पीले कलर की छोटा सी बाली। एक हाथ में पीले कलर का एक ब्रेसलेट और एक हाथ में रेड कलर की सिर्फ दो चूड़ी। 

उसने बाकी लड़कियों की तरफ देखा सब ने खूब तड़क-भड़क वाले कपड़े और ना जाने क्या-क्या ज्वेलरी पहन रखी थी। 

उसकी निगाहें वापस शजल पर ठहर गई। उसकी सादगी एक बार फिर उस का दिल लूट ले गई।

अपने चेहरे पर रज़ील के नज़रों की गर्मी शजल अच्छे से महसूस कर रही थी। उसने नज़र उठा कर देखा। 

खूबसूरत क्लीन चेहरा, हल्के से कर्ली हेयर स्टाइल, थीमी मुस्कान, बातें करने का अंदाज़ बेहतरीन था। लाईट ब्लू कलर के कुर्ते पायजामे में वह हैंडसम लग रहा था।

शजल ने मन ही मन उसकी तारीफ की। और खाना खाने लगी।

रज़ील ने देखा कि शजल उसे देख रही है। उसके इतना देखने भर से ही वह खुश हो गया। 

अभी भी कुछ निगाहें उसे तक रही थी। मगर वह इससे अंजान थी। 

फंक्शन खत्म हो चुका था। लोग धीरे-धीरे जाने लगे थे। 

बाहर गाड़ियों की लाइन लगी हुई थी। जो बारी-बारी सारे मेहमानों को घर छोड़ रही थी।

शजल ने देखा एक गाड़ी में पीछे कुछ लेडीज़ बैठ चुकी थी। आगे कोई नहीं बैठा था। वह कुछ सोच कर दूसरी ओर जाने लगी। तभी गाड़ी में से किसी ने आवज़ दी कि तुम आगे बैठ जाओ। तो गाड़ी चली जायेगी। 

शजल ने रूक कर कुछ सोचा। फिर बैठ गई। जाना तो था ही।

ड्राइवर वहां पर नहीं था। तभी परमजीत आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।

शजल ने हैरत से उसे देखा। दोनों की निगाहें मिली। और फिर दोनों ही सामने देखने लगे।

परमजीत ने गाड़ी स्टार्ट कर दी। गाड़ी मेन रोड पर दौड़ने लगी।

शजल के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। वह खामोश बैठी रही। पीछे बैठी औरते आज के फंक्शन के बारे में बात कर रही थी। और यह दोनों बिल्कुल खामोश थे। लेकिन इनके अंदर एक शोर था। जिसकी आवाज़ सिर्फ उन्हें ही सुनाई दे रही थी। 

जारी है......

इश्क जान भाग 2




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