शाद अब्बासी (एक शख्सियत) भाग 9 | Shad Abbasi

ना थी अल्फाज़ की बंदिश ना कोई फन का पैमाना 

मुकम्मल खुद को इल्मो आगही की राह में जाना

मेरी बातों पे अपनों ने तो तारीफों के पुल बांधे

गिनाई दुश्मनों ने खामियां तब खुद को पहचाना

(शाद अब्बासी की किताब गुल कारियां पेज नं 89 से)


शाद अब्बासी को उनकी अदबी खिदमात पर कई अवार्ड से नवाज़ा गया।

सबसे पहला अवार्ड उन्हें 18 अगस्त 2001 में "काशी रत्न अवार्ड" जागरूक युवा समीति वाराणसी की तरफ से बेहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के हाथों दिया गया।

दूसरा अवार्ड "निगार बनारस" 2006 में कमिश्नर सी ऐन दूबे के हाथों मदर हलीमा सेन्टर स्कूल की तरफ से नवाज़ा गया।

फिर उसके बाद "शोरिश बनारसी अवार्ड" 6 दिसम्बर 2016 को मिला। इस के इलावा इनकी उदबी ख़िदमात के लिए बंगलौर कर्नाटक के मोमिंटो से नवाज़ा गया। 

और "कामिल शफीकी अवार्ड" जौनपुर से मिला।

इस के इलावा इनके इल्मी और उदबी ख़िदमात के लिए मोमिंटो से नवाज़ा गया।

शाद अब्बासी को उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की तरफ से भी सम्मानित किया जा चुका है। जहां पर उन्हें अवार्ड के साथ एक लाख रूपये का चेक भी मिला।

अशआर मेरे, बस मेरे जीवन की कहानी 

कुछ रम्ज़, ना इसरार, ना लफ्ज़ो के ज़खीरे

-शाद अब्बासी 



Comments

Popular posts from this blog

कहानी याद आती है | Best Poetry | Story

Dal Fry | दाल फ्राई | AG | Dal Fry Recipe

शाद अब्बासी (एक शख्सियत) भाग 2