रूबरू | Part 1 | Rubaru – A Hindi Story of Love and Relationships



दरवाज़े की बेल लगातार बजती जा रही थी। लेकिन फिर थोड़ी देर बाद वह आवाज़ बन्द हो गई।

तुम ना आंखें गड़ाये रहने इन हीरों में। चाची जी को दरवाज़ा खोलना पड़ा।

तभी उसकी कज़िंस मारिया, खन्सा, ज़ोया और गज़ल अन्दर आते ही कहती हैं।

बहुत ज़रूरी रिसर्च कर रही थी, इस लिए उठ नहीं सकी। अशमारा बड़े आराम से कहती है। लेकिन उस की नज़र अभी भी लैपटॉप पर उसी हीरे पर जमी थी।

कौन सा तीर मार लोगी। इतनी जानकारी इकट्ठा करके । करना तो वही घरदारी ही है। 

ज़ोया आराम से उस के बिस्तर पर फैलती हुई कहती है।

यह बताओ तुम लोग आई क्यों हो?

अशमारा अपना लैपटॉप किनारे रखकर पूछती है।

तुम से मिलने का मन किया, और हम आ गए। गज़ल अपना फोन देखते हुए कहती है।

मुझसे मिलने आई हो तो फिर फोन में क्या कर रही हो? अशमारा उस का फोन लेते हुए कहती है।

मेरा फोन दो, पिज़्ज़ा आर्डर कर रही थी। गज़ल अपना फोन वापस लेते हुए कहती है।

क्या मैं अंदर आ सकता हूं?

सब की नज़र दरवाज़े पर उठती है।

आकिल तुम कैसे? तुम को अपने बॉस से फुर्सत कैसे मिल गई? सब हैरानी से उसे देखते हुए पूछती हैं।

कभी-कभी मैं बॉस से छुट्टी ले लेता हूं। जब कोई ज़रूरी काम हो तो…आकिल कहते हुए अशमारा को देखता है। जो अपने फोन में कुछ कर रही थी।

आकिल इधर आओ मेरे पास … यह देखो और बताओ मैंने सही लिखा है। अशमारा आकिल का हाथ खींच कर अपने पास बैठा लेती है। और उसको फोन दिखा कर पूछती है।

मिल गये अब हीरों के दिवाने दो…

ज़ोया हंसते हुए कहती है।

लेकिन अशमारा और आकिल अपने काम में बिज़ी रहे।

बिल्कुल सही लिखा है।

पढ़ाई के साथ-साथ तुम ने इतना रिसर्च कर लिया है होरों के बारे में कि तुम को आसानी से एक अच्छी जॉब मिल जायेगी।

आकिल खुशी से कहते हैं।

इसे जॉब ढूंढ़ने की क्या ज़रूरत है? तुम अपने बॉस से कहकर अपने आफिस में ही इसे जॉब दिला देना। फिर तुम्हें यहां आने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी, इस से मिलने के लिए।

मारिया आंख पिंच करते हुए कहती है। जिसे आकिल तो देख लेता है। लेकिन अशमारा नहीं देख पाती। क्योंकि वह अपना फोन देखने लगी थी।

आकिल मारिया को खामोश रहने का इशारा करता है। और मारिया मुस्कुरा कर रह जाती है। 

वह जानती थी कि आकिल अशमारा को पसंद करता है। लेकिन अशमारा इस बात से अंजान थी।

गज़ल बाहर जाती है और पिज़्ज़ा का बॉक्स लेकर अंदर आती है।

यह तुम ने अच्छा काम किया है। अशमारा उस के हाथ से बॉक्स लेकर कहती है। 

मैंने तुम्हारे लिए आर्डर नहीं किया है।

ज़ोया उस के हाथ से लेकर एक पीस लेती है। और बॉक्स आकिल को दे देती है।

अशमारा नाराज़गी से आकिल को देखती है। आकिल बॉक्स अशमारा की तरफ बढ़ा देता है।

वाह रे मुहब्बत…मारिया की ज़ुबान एक बार फिर फिसलती है। और इस बार भी आकिल आंखों से उसे खामोश करा देता है।

चलो अब जाओ सब लोग, मुझे काम है।

अशमारा अपनी बेडशीट झाड़ते हुए कहती है। जिस पर बैठ कर पिज़्ज़ा खाने की वजह से गंदा हो गया था।

ठीक है जा रहे हैं। वैसे भी हम लोग शॉपिंग के लिए जा रहे हैं। और तुम को ले जाने का कोई इरादा नहीं है। हीरे की सौदागर…मारिया मुंह बनाकर कहती है। और वह सब बाय बोल कर बाहर निकल जाती हैं।

कभी इन हीरों से हट कर भी देख लिया करो।

आकिल उसके चेहरे को प्यार से देखते हुए कहता है। जो एक बार फिर हीरों की जानकारी वाला वीडियो खोल चुकी थी।

आगे क्या इरादा है? मास्टर्स तो तुम्हारा कम्पलीट हो गया। आकिल उस के हाथ से फोन लेकर पूछता है।

जॉब करूंगी। 

और जॉब के साथ? आकिल ने जानना चाहा।

सिर्फ जॉब…पैसा कमाकर अम्मी अब्बू को दूंगी। आखिर मैं उन की इकलौती औलाद हूं। मेरी पढ़ाई कम्पलीट हो गई है। अब मैं अम्मी अब्बू का सहारा बनूंगी। अशमारा खुशी से कहती है।

तभी आकिल का फोन बज जाता है। और वह बात करने लगता है।

यह तो अच्छी बात है। अभी मैं  चलता हूं, फिर मिलते हैं, कहते ही आकिल उसके पास से उठ जाते हैं।

क्योंकि उसे अभी तुरंत उसके बॉस ने अपने घर पर बुला लिया था।

♥️

एक को हीरों से फुर्सत नहीं मिलती, और दूसरे को रंगों से फुर्सत नहीं मिलती। 

मैं सारा दिन इनकी राह तकती रहूं। वहीदा सरफराज़ नाराज़गी से दानिश और ताबाश को देखते हुए कहती हैं। जो अपने-अपने लैपटॉप पर नज़र जमाए हुए थे।

बस अभी आया दादी पांच मिनट दे दीजिए।

दानिश लैपटॉप पर काम करते हुए कहता है।

क्या बात है दादी…आज इतनी मुहब्बत क्यों लुटा रही हैं?

ताबिश अपना लैपटॉप रख कर दादी के पास बैठ कर मुस्कुराते हुए पूछता है।

अभी एक बात बोलूंगी और तुम्हारी यह बत्तीसी अन्दर हो जायेगी। दादी भी मुस्कुराते हुए कहती हैं।

तो आप ऐसी बात बोलती ही क्यों हैं?

दानिश भी आकर दादी के दूसरी तरफ बैठ कर मुस्कुराते हुए कहता है।

मैं तुम दोनों की साथ में शादी करना चाहती हूं। यह बात तुम दोनों अच्छे से जानते हो, उसके बाद भी यह टाल-मटोल मेरी समझ में नहीं आ रही है। अगर कोई लड़की है तो बता दो, वरना मुझे देखने दो। ताबिश के लिए तो आलिया है ही, तुम अपना बताओ।

दादी दोनों को देखते हुए कहती हैं।

क्या आलिया? ताबिश हैरानी से पूछता है।

हां क्यों? दादी हैरान हुईं।

वह सिर्फ मेरी दोस्त है, उससे ज़्यादा कुछ नहीं। ताबिश जल्दी से कहते हैं।

लेकिन वह तो…दादी बात अधूरी छोड़ देती हैं।

वह जितना भी मुझे पसंद करे, उसके पसंद करने से मैं उस से शादी नहीं कर लूंगा। ताबिश ने बात खत्म कर दी।

मुझे लगा था सिर्फ दानिश के लिए लड़की देखनी पड़ेगी। लेकिन अब तो दोनों के लिए लड़की देखनी पड़ेगी।

दादी परेशानी से कहती हैं।

आप परेशान ना हों दादी आप आराम से लड़की देखें…जब अच्छी लड़की मिल जायेगी हम शादी कर लेंगे। तब तक हमें सुकून से रहने दें।

ताबिश दानिश को हाई-फाई देते हुए कहता है।

आदाब…

आकिल अंदर आकर कहता है।

लो एक इन्हीं की कमी थी, दादी नाराज़ होते हुए कहती हैं।

क्या हुआ दादी यह नाराज़गी किस लिए।

आकिल प्यार से पूछता है जब कि वजह वह जानता था।

जब आफिस टाइम खत्म हो गया तो फिर क्यों?

दादी नाराज़गी से पूछती हैं।

कुछ काम था दादी इस लिए बुलाया है। दानिश जल्दी से कहता है।

आफिस टाइम के बाद यह बुलाए तो आना मत। दादी एक बार फिर नाराज़ हुई।

दादी…दानिश हंसते हुए दादी को गले लगा लेता है।

वैसे आज दादी इतना मेहरबान क्यों हैं आप दोनों पर? 

आकिल मुस्कुरा कर पूछता है।

इन दोनों की शादी करनी है। दादी बड़े आराम से कहती हैं।

तो इस में दिक्कत क्या है? आकिल हैरान हुए।

लड़की…दादी बड़े आराम से बोली।

बॉस के लिए मिस ताहिरा हैं ना? आकिल एक नज़र दानिश को देख कर कहता है।

आकिल… दानिश आकिल को आंख दिखाता है।

बॉस तो छुपे रूस्तम निकले।

ताबिश खुशी से कहता है।

ऐसा कुछ नहीं है जैसा तुम समझ रहे हो। दानिश जल्दी से कहता है।

काम शुरू करें बॉस… आकिल हंसते हुए कहता है।

हां, चलो... आग तो लगा ही चुके हो। 

दानिश भी उठ खड़ा होता है, और नाराज़गी से कहता है। 

तुम कल मुझ से मिलो। दादी ज़ोर से आकिल से कहती हैं।

और दादी की बात पर सब हंस पड़ते हैं।

हेलो…

लो आ गई तुम्हारी दीवानी। दादी धीरे से ताबिश के कान में कहती हैं।

कैसी हैं दादी? आलिया दादी के पास बैठते हुए कहती है।

मैं ठीक हूं, तुम बताओ कैसे आना हुआ?

बाहर डिनर का सोच रही थी इस लिए…ताबिश बाहर डिनर के लिए चलें? आलिया दादी से बोल कर ताबिश की तरफ झुक कर पूछती है।

डिनर ही करना है ना? यहीं घर पर ही कर लेते हैं। ताबिश दादी को देखते हुए कहता है।

कितने दिन से हम बाहर नहीं गए हैं, इस लिए मेरा मन हुआ। अगर तुम्हारा मन नहीं है तो कोई बात नहीं।

कॉफी पियोगी? ताबिश उठते हुए पूछता है।

तुम कहां जा रहे हो? वह जवाब देने के बजाए सवाल करती है।

मेरी एक ज़रूरी कॉल आने वाली है। मैं रुम में जा रहा हूं, तुम दादी से बात करो।

नहीं मैं भी निकलूंगी। मुझे भी कुछ काम था। वह भी उठते हुए कहती है। और बाहर निकल जाती है।

उसके जाते ही ताबिश दोबारा दादी के पास बैठ जाता है।

दादी हैरानी से उसे देखती हैं।

मेरी कोई कॉल नहीं आ रही थी। ताबिश आराम से दादी के गोद में सिर रखकर आंख बन्द कर लेता है।

जारी है... 

रूबरू भाग 2






 





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