डोर धड़कन से बंधी | भाग 1 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 1 | Hindi Romantic Story
तुम को इंडियन खाना पसंद है। इस लिए मैं तुम से कह रहा हूं।
रख लो उसे.... कुछ दिन की बात है। वह लोग आ जायेंगे तो वह वापस चली जायेगी।
आदर्श शिवाय को मनाते हुए कहता है। जो उस की बात मानने को तैयार ही नहीं था।
मुझे अपने घर में कोई लड़की नहीं चाहिए। फिर चाहे वह कोई भी हो। और तुम कह रहे हो वह रात-दिन मेरे घर पर रहेगी।
नो... मैं यह बात नहीं मान सकता। शिवाय ने सख्ती से मना कर दिया।
क्यों? तुम को डर लग रहा है कि कहीं तुम को उस से प्यार ना हो जाये। आदर्श ने मज़ाक करते हुए कहा।
तुम को पता है ना कि मुझे इस तरह की बातें पसंद नहीं हैं उसके बावजूद तुम.... शिवाय बात अधूरी छोड़ देते हैं। और नाराज़गी से आदर्श की तरफ देखते हैं।
अच्छा प्लीज़... मेरी यह बात मान लो। आगे से तुम से पूछ कर ही कुछ करुंगा। आदर्श उसे एक बार फिर मनाने की करते हैं। लेकिन शिवाय थे कि मानने को तैयार ही नहीं थे।
तुम अपने घर में क्यों नहीं रख लेते? शिवाय अपनी जान छुड़ाने में लगे हुए थे।
अपने घर में? कह कर आदर्श ज़ोर से हंस पड़ता है।
तुम जानते हो मुग्धा मेरे आस-पास किसी लड़की को बर्दाश्त नहीं करती। उसके बाद भी तुम यह कह रहे हो? आदर्श हैरान हुआ।
तुम काम ही ऐसा करते हो। शिवाय मुस्कुराए।
अच्छा अब तुम भी....मतलब मेरी उससे शादी क्या हो गई मैं किसी लड़की की तरफ देख भी नहीं सकता। आदर्श ने मासूम बनने की ऐक्टिंग की।
अब ज़्यादा मासूम मत बनो। ज़रा कोई लड़की देखी नहीं फ्लर्ट करना शुरू हो जाता है। और उस के बाद भी चाहते हो कि तुम्हारी बीवी तुम पर शक ना करे।
शिवाय ने कहते ही नज़र अपने लैपटॉप पर जमा दी। जिस पर कोई मेल आया है।
तुम जानते हो मैं यह सब मज़ाक में करता हूं। लेकिन मुग्धा हमेशा सीरियस हो जाती है। और फिर मेरी शामत आ जाती है। आदर्श बेचारगी से कहता है।
हां मुझे पता है तुम ऐसे नहीं हो। मगर यह जो प्यार होता है ना। इस में हमारा दिल बहुत खुदगर्ज़ हो जाता है। यह जिस से प्यार करता है उसको खुद के इलावा किसी और को देखने की इजाज़त नहीं देता है।
शिवाय कहीं खो गये।
शिवाय.... आदर्श उठ खड़े हुए।
हूं, ठीक है अभी तुम जाओ। और मुझे भी काम करने दो। शिवाय ने जल्दी से अपनी नज़र लैपटॉप पर जमा दी।
ठीक है। लेकिन आज शाम को वह तुम्हारे यहां पहुंच जायेगी। कहते हुए आदर्श शिवाय के आफिस से बाहर आकर अपने केबिन में चले जाते हैं। और काम करने लगते हैं। लेकिन काम करते हुए भी आदर्श का दिमाग शिवाय की तरफ ही था।
आदर्श के जाते ही शिवाय लैपटॉप से नज़र हटा कर चेयर पर पीछे सिर रख लेते हैं। और कहीं खो जाते हैं।
शिवाय की आंखों में अतीत की परछाइयां तैरने लगी।
उन लम्हों का बोझ जो उन्होंने कभी साझा नहीं किया। दिल की धड़कनें तेज़ हो गई, यूं जैसे हर धड़कन किसी पुराने दर्द को आवाज़ दे रही हो।
वह गहरी सांस लेकर आंखें बन्द कर लेते हैं। लेकिन वे दर्द जैसे आंखों के कोने में जमा आंसूओं के साथ बाहर आना चाहते हों। वह उन लम्हों में खोकर बहुत दूर निकल जाते हैं।
फोन की रिंग शिवाय को हकीकत में ले आती है। शिवाय की आंख में आंसू थे। वह फोन उठा लेते हैं। उधर की बात सुनकर ओ-के करके शिवाय फोन रख देते हैं। और अपने लैपटॉप पर नज़र जमा देते हैं।
आफिस से निकल कर शिवाय सीधे लिफ्ट की तरफ बढ़ते हैं। और लिफ्ट से सीधे अपने फ्लोर पर पहुंच जाते हैं।
पाकेट से चाबी निकालकर लॉक खोल कर जैसे ही शिवाय ने दरवाजा खोला, एक हल्की सी जानी पहचानी खुशबू ने उनका स्वागत किया। घर शांत था, लेकिन किचन से आती हल्की आवाज़ ने उस खामोशी को तोड़ दिया। दीवारों पर लगी तस्वीरें, सोफे पर करीने से रखे कुशन, और टेबल पर रखा फूलदान सब कुछ व्यवस्थित था।
कहीं कोई बदलाव नहीं था। लेकिन कुछ तो था... लेकिन क्या?
शिवाय ख्यालों से बाहर आ गए। वह समझ गये कि वह किचन में है। क्योंकि उन की मेड ने फोन पर बता दिया था। लेकिन शिवाय को उस के आने से कोई फर्क नहीं पड़ता था।
शिवाय सीधे अपने बेडरूम में चले जाते हैं।
सर आप आ गये हैं। अब मैं जा रही हूं। वह किचन में खाना बना रही है। आज आप को बहुत दिनों के बाद घर का इंडियन खाना मिलेगा।
उसी वक्त रोज़ी आती है। और मुस्कुरा कर कहती है।
शिवाय सिर्फ रोज़ी की तरफ देखते हैं। और अपना सूज़ उतारने लगते हैं।
मैं जा रही हूं। मैंने उसे बोल दिया है। पांच मिनट में आप का खाना टेबल पर लगा होगा। आप खा लेना। मैंने उसे गेस्ट रूम दे दिया है वह उसी में रहेगी। आप को जो काम हो उसे बोल देना। आदर्श सर ने कहा है कि अब से आप के लिए वही खाना बनाएगी। तो अब से मैं बाकी काम कर दूंगी। खाना वह बना देगी।
रोज़ी सारी बातें शिवाय को बताती है। और फिर शिवाय की तरफ देखती है।
ठीक है आप जाएं। शिवाय ने जब देखा कि रोज़ी की बात खत्म हो गई। तो वह बोल पड़े।
शिवाय फ्रेश होकर बाहर जाते हैं। टेबल पर खाना लगा हुआ था। वहां पर वह नहीं थी।
शिवाय खामोशी से खाना खाने लगते हैं। खाते हुए शिवाय का दिल खुश हो गया। बेहद टेस्टी खाना था। शिवाय को लगा कि कितने दिनों बाद उस ने इतना टेस्टी खाना खाया था। खाना खाते ही शिवाय ड्राईंगरूम में जाकर बैठ गये। और मोबाइल देखने लगे।
आप की चाय....
शिवाय ने जैसे ही आवाज़ की तरफ देखा, उनकी नज़रें ठहर गई। सफेद कुर्ता ब्लैक जींस पहने हल्की मुस्कान के साथ वह सामने खड़ी थी। उसकी आंखों में कुछ तो ऐसा था जो सीधा दिल को छू जाए।
शिवाय का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, मानो समय थम गया हो।
यह कौन है? यह सवाल उन के मन में गूंजा। लेकिन उन की आवाज़ जैसे कहीं खो गई। शिवाय ने महसूस किया कि उनकी आंखों के कोने नम हैं।
शिवाय सोच रहे थे यह कैसे हो सकता है.....
जारी है.....
इस को पढ़ने से पहले पढ़े "धड़कन" क्योंकि यह धड़कन का सीज़न 2 है "डोर धड़कन से बंधी" पढ़े और अपनी राय दें।
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