डोर धड़कन से बंधी | भाग 2 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 2 | Hindi Romantic Story
शिवाय ने जैसे ही आवाज़ की तरफ देखा, उनकी नज़रें ठहर गई। सफेद कुर्ता और ब्लैक जींस पहने हल्की मुस्कान के साथ वह सामने खड़ी थी।
उसकी आंखों में कुछ तो ऐसा था जो सीधा दिल को छू जाए।
शिवाय का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, मानो समय थम गया हो।
यह कौन है? यह सवाल उन के मन में गूंजा। लेकिन उन की आवाज़ जैसे कहीं खो गई। शिवाय ने महसूस किया कि उनकी आंखों के कोने नम हैं।
क्या हुआ? चाय नहीं पीना है।
रहने दें। शिवाय ने हाथ से चाय की तरफ इशारा किया। वह भी वहीं बैठ कर चाय पीने लगी।
शिवाय अपनी चाय ले कर उठ गये। और अपने रूम में जाकर दरवाज़ा बन्द कर लेते हैं।
यह नहीं हो सकता यह गलत है।
मेरा दिल श्लोका के इलावा किसी और को देख कर कैसे धड़क सकता है। शिवाय अपनी धड़कन को महसूस कर रहे थे। जो सच में बहुत तेज़ी से धड़क रहा था।
और धड़कन उस लड़की को देख कर तेज़ हुई थी।
शिवाय ने उसी वक्त आदर्श को फोन किया।
पांच मिनट में आदर्श उस के बेडरूम में था।
क्या हुआ मेरे भाई इतना अर्जेंट में क्यों बुलाया? आदर्श हैरान हुए।
इस लड़की को अभी के अभी तुम यहां से ले जाओ। शिवाय ने गुस्से से कहा।
ऐसा क्या कर दिया जो तुम इतना गुस्सा हो रहे हो? आदर्श हैरानी से पूछता है।
बस मैंने कह दिया कि इसे अभी के अभी यहां से ले जाओ। तो ले जाओ। मैं और कुछ नहीं जानता। शिवाय गुस्से से कहते हैं।
क्या हुआ खाना अच्छा नहीं था? आदर्श वजह जानना चाहता था। लेकिन शिवाय कुछ बताने को तैयार नहीं था।
यह मेरा हुक्म है कि तुम उस लड़की को अभी यहां से लेकर जाओ। शिवाय को अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
वह यहीं रहेगी। मैं उसे कहीं नहीं ले कर जा रहा।
और उस लड़की का नाम शिवन्या है। कहते ही आदर्श उठ खड़े होते हैं। और शिवाय की तरफ देखते हैं।
शिवाय भी खामोशी से उसे देखते हैं।
शिवाय के आंखों का दर्द आदर्श पढ़ लेते हैं। लेकिन कुछ कहने के बजाय खामोशी से बाहर निकल जाते हैं। और सीधे अपने फ्लैट में चले जाते हैं।
शिवाय के सामने चाय रखी थी। जो बिल्कुल ठंडी हो चुकी थी।
शिवाय बेड पर लेट जाते हैं। उसकी आंख में आंसू थे। तुम कहां हो श्लोका? प्लीज़ मेरे पास आ जाओ। बहुत तन्हा है तुम्हारा शिवाय....
शिवाय श्लोका को याद कर रहे थे। और आंखों से आंसू बह रहे थे।
शिवन्या रूम में जाकर सोच रही थी कि क्या वह शिवाय से मिल चुकी है। लेकिन बहुत याद करने के बावजूद भी उसे याद नहीं आया कि वह उस से कभी मिली है।
अगर मैं शिवाय से नहीं मिली तो फिर उन से मिलकर इतना अपनापन इतनी खुशी क्यों हुई। यही सब सोचते हुए उसे नींद आ गई।
सुबह नाश्ता रेडी कर के शिवन्या वहीं पर थी।
उसी वक्त शिवाय आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं। शिवन्या भी साथ में बैठ जाती है। शिवाय एक नज़र उसे देखते हैं।
जींस टॉप पहने हाथ में घड़ी पहने वह उसे बिल्कुल श्लोका लगी। लेकिन उसके बाल बहुत छोटे थे। लेकिन उसे भी उसने क्लौचर में फंसा रखे थे।
शिवाय खामोशी से खाने लगे। लेकिन आज ब्रेकफास्ट करते हुए शिवाय को अच्छा लग रहा था।
आप लंच कब करेंगे? शिवन्या ने बात शुरू की।
कोई फिक्स टाइम नहीं है। शिवाय की नज़र उस पर उठ गई।
नज़र उठते ही शिवाय बेचैन हो गये। यह क्यों मेरे साथ ऐसा हो रहा है? क्यों इसे देख कर मेरी धड़कन बढ़ जाती है। जब की ऐसा मेरे साथ सिर्फ श्लोका को देख कर होता था।
शिवाय के नाश्ता करते ही शिवन्या उसकी चाय निकाल कर उसके सामने रख देती है।
इतना सब करने की ज़रूरत नहीं है। मैं कर लूंगा। शिवाय को अच्छा नहीं लगा।
जब तक हूं तो करने दें। फिर तो चली ही जाऊंगी।
वैसे एक बात बताएं... आप क्यों चाहते हैं कि मैं यहां ना रहूं? जब की मेरा एक दिन भी नहीं हुआ यहां आये। अचानक से शिवन्या ने सवाल कर दिया। जिस की उम्मीद शिवाय को नहीं थी।
तो फिर कब जा रही हैं? शिवाय ने भी पूछ लिया।
मुझे यहां आदर्श सर लेकर आयें हैं। जब तक वह नहीं कहेंगे। मैं यहां से नहीं जाऊंगी। शिवन्या ने हक से कहा।
और शिवाय उसे देखते रह गये। और उठ कर अपने रूम में चले गये। और तुरंत अपना बैग लेकर बाहर चले गये।
शिवन्या हैरानी से सिर्फ देखती रही। और शिवाय के जाते ही दोबारा बैठ कर खाने लगी। नाश्ता करते ही रोज़ी आ गई। और शिवन्या वहीं बैठ कर उससे बातें करने लगी।
शिवाय आफिस पहुंच कर आदर्श को अपने केबिन में बुलाते हैं। आदर्श बैठे सोच ही रहे थे कि उसकी आफत आने वाली है।
और वही हुआ। शिवाय की बात सुनकर आदर्श हैरान रह गये।
जारी है....
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