डोर धड़कन से बंधी | भाग 22 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 22 | Hindi Romantic Story
शिवाय आर्डर करते हैं। और फिर उस को उस रेस्टोरेंट के बारे में बताने लगते हैं।
रेस्टोरेंट की हल्की रौशनी, धीमा म्यूजिक और टेबल पर रखे कैंडिल की लौ एक सुकून भरा माहौल बना रही थी। एक ओर से आती हंसी, चाय कॉफी की खुशबू और बर्तनों की हल्की आवाज़ माहौल को रूमानी बना रही थी।
और फिर अचानक बात करते हुए शिवाय शिवन्या का हाथ थाम लेते हैं जो वह टेबल पर रखे हुए थी।
शिवन्या हैरानी से शिवाय को देखती है। लेकिन शिवाय की नज़र तो सामने थी। शिवन्या से अंजान बने शिवाय शिवन्या को कुछ भी सोचने का मौका नहीं देना चाहते थे।
और शिवन्या वह शिवाय के पल-पल बदलते रवैए से हैरान रह जाती थी।
इस वक्त भी शिवाय के हाथ पकड़ने पर हैरान हुई थी। वह शिवाय की आंखों को पढ़ना चाहती थी। वह जानना चाहती थी कि शिवाय के मन में उसके लिए क्या जज़्बात हैं। लेकिन शिवाय हमेशा खुद को छुपा जाते।
बेसाख्ता उस ने शिवन्या का हाथ थाम लिया था। कहीं ना कहीं श्लोका उसके ख्यालों में थी। और शिवन्या उसे उस का रुप लगती थी। इस लिए अक्सर वह कुछ ऐसी हरकत कर जाता जो शिवन्या को एक आस दे जाता। मगर शिवाय बहुत जल्द अपने रवैए से उसे गलत साबित कर देते।
शिवन्या धीरे से अपना हाथ अपनी तरफ खींचती है। जिसे शिवाय बहुत आसानी से छोड़ देते हैं।
शिवन्या शिवाय को देखती रह जाती है। और शिवाय सिर्फ मुस्कुरा कर रह जाते हैं।
खाना आते ही दोनों खाना शुरू कर देते हैं। खाना बहुत ही टेस्टी था। खाना खाते हुए भी शिवन्या का मन शिवाय की हरकतों में अटका हुआ था।
खाना खाते ही वह बाहर निकल जाते हैं। रास्ते में शेक पीकर दोनों देर रात घर पहुंचते हैं।
आज की शाम बहुत खूबसूरत रही। शिवाय खुशी से कहते हैं।
यह अचानक आप को क्या हो गया? शिवन्या हैरान थी। शिवाय के बदले हुए रवैए से।
क्या? शिवाय अंजान बन गये।
कुछ नहीं, मैं सोने जा रही हूं। कहते ही शिवन्या रूम में चली गई।
शिवाय भी रुम में चले गये। चेंज करते हुए वह शिवन्या के बारे में ही सोच रहे थे।
मैंने तुम्हारी तरफ कदम ज़रूर बढ़ा दिये हैं। लेकिन मुझे आगे क्या करना है। यह मुझे अच्छे से पता है। शिवाय मन ही मन इरादा करते हैं। और चेंज करके बालकनी पर चले जाते हैं।
सिगरेट शिवाय की हाथ में सुलग रही थी। जिसका कश लेते हुए शिवाय कुछ फैसला ले रहे थे।
एक ऐसा फैसला जो खुद शिवाय को गलत लग रहा था। लेकिन फिर भी वह खुद को इस फैसले के लिए तैयार कर रहे थे।
शिवाय का दिल खुद इस फैसले के लिए तैयार नहीं था। लेकिन फिर भी शिवाय यह फैसला लेना चाहते थे।
उसी वक्त शिवन्या आ जाती है। और शिवाय को देख कर हैरान रह जाती है।
आप किस खुशी में सिगरेट पी रहे हैं? शिवन्या नाराज़गी से पूछती है।
लेकिन शिवाय कोई जवाब देने के बजाए उसे देखते रहे। और फिर शिवाय हाथ आगे करके उसके बाल से क्लैचर निकाल कर उसे देखने लगते हैं।
क्या ज़रूरत है इतने छोटे बालों में क्लैचर लगाने की? शिवाय अपनी बेसाख्ता की गई हरकत पर खुद हैरान थे। क्यों वह ऐसा करते हैं। जब कि यह श्लोका नहीं है।
आप को मेरे बाल से दिक्कत है या फिर उसमें लगे क्लैचर से? शिवन्या हैरानी से पूछती है। क्योंकि शिवाय यह हरकत कितनी ही बार कर चुके थे।
और उस की बात पर शिवाय एक बार फिर उसे देखने लगे। अब मैं तुम को क्या बताऊं कि मुझे कौन सी चीज़ से दिक्कत है।
मुझे तुम्हारे हर अंदाज़ से दिक्कत है। तुम मेरे सामने होती हो तो मुझे मेरी श्लोका याद आ जाती है। और मैं उसे तुम में ढूंढ़ने लगता हूं।
क्या सोच रहे हैं? शिवन्या शिवाय को अपनी तरफ लगातार देखता पाकर घबरा जाती है।
लेकिन शिवाय उसका जवाब देने के बजाए खामोशी से अंदर चले जाते हैं।
शिवन्या हैरानी से शिवाय के रवैए पर गौर कर रही थी। जो हर पल बदल रहे थे। कभी आप बहुत अपने से लगते हैं। लेकिन कभी आप इतना पराये हो जाते हैं कि मुझे लगता है मैं कभी आप तक नहीं पहुंच पाऊंगी। शिवन्या दुखी मन से सोचते हुए अपने कमरे की तरफ बढ़ जाती है।
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आज मैं घर पर डिनर नहीं करुंगा। नाश्ता करते हुए शिवाय उससे कहते हैं। जो खामोशी से नाश्ता कर रही थी।
शिवन्या कोई जवाब देने के बजाए सिर्फ नज़र उठा कर देखती है और नाश्ता करने लगती है।
सुबह ही सुमन ने फोन कर के उसे याद दिला दिया था कि आज डिनर के लिए चलना है।
नाश्ता करते ही दोनों अपने-अपने रूम में चले गए।
तभी आदर्श का फोन आ जाता है कि वह आज मुग्धा के साथ डिनर करने चली जाए।
आपकी बीवी मुझे बर्दाश्त कर लेंगी? शिवन्या मज़ाक करती है।
उसी ने तो कहा है। शाम को मेरी मीनिंग है। तो मैंने मुग्धा से भी बोल दिया कि वह भी साथ में चल चले। लेकिन उसने कहा कि जब तक मेरी मीटिंग चलेगी वह बोर हो जायेगी।
इस लिए उसने बोला कि तुम को साथ ले लूं। तुम दोनों साथ रहना मीटिंग बाद मैं तुम लोगों को ज्वाइन कर लूंगा।
आदर्श ने उसे पूरी बात बताई।
ठीक है आ जाऊंगी। अब आप की बीवी की बात टाल नहीं सकती। शिवन्या एक बार फिर हंसती है।
फोन रखकर वह मुग्धा के बारे में सोचने लगी। एक ही मुलाकात हुई थी वह भी बहुत अच्छी मुलाकात नहीं थी। लेकिन आज जब आदर्श ने कहा तो वह मना नहीं कर सकी।
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शाम को शिवाय जल्दी से चले गए थे। डिनर टाइम शिवन्या भी तैयार हो कर आदर्श और मुग्धा के साथ चली गई। वहां जाकर आदर्श अपने क्लाइंट के साथ मीटिंग के लिए चले गये। वह और मुग्धा साथ बैठ कर बातें करने लगी।
बात करते हुए शिवन्या को बिल्कुल भी यह नहीं लगा कि यह पहली मुलाकात है।
तुम ने शिवाय को बोल दिया था? आदर्श मीटिंग खत्म होते ही उन के पास आ जाते हैं और यूं ही वह श्लोका से पूछ लेते हैं।
नहीं, उनको भी डिनर के लिए जाना था। शिवन्या आदर्श को एक नज़र देखती है।
अच्छा, आदर्श सोच रहे थे कि शिवाय किस के साथ डिनर पर गये हैं।
खाने का आर्डर देने के बाद वह बातें करने लगते हैं। खाना उनके टेबल पर लग चुका था।
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शिवाय और सुमन बात करते हुए डिनर कर रहे थे। डिनर करने के बाद उनका टेबल एक बार फिर एक खास अंदाज़ में सज जाता है।
यह सब क्या है? शिवाय हैरानी से सुमन को देखते हैं।
आज हम इंगेजमेंट कर लेते हैं। सुमन अंगूठी निकालते हुए कहती है।
यह तुम ने कैसे सोच लिया? शिवाय नाराज़ हुए।
क्यों आप यह नहीं करना चाहते? सुमन भी नाराज़गी से पूछती है।
नहीं, हम सिर्फ दोस्त हैं। और मैंने ऐसी कभी कोई बात नहीं की।
और तुम यह सब ? शिवाय को गुस्सा आने लगा।
अब हम शादी कर लेते हैं शिवाय। सुमन बहुत प्यार से कहती है।
तुम ने इतनी दूर तक सोच कैसे लिया? शिवाय का ग़ुस्सा बढ़ता जा रहा था। उसे हैरानी हो रही थी कि जब उसने सुमन से ऐसी कोई बात नहीं की। तो फिर वह इतना सब कैसे सोच बैठी।
क्यों हम शादी नहीं कर सकते? सुमन भी नाराज़गी से पूछती है।
बिल्कुल नहीं मैं तुम से तो क्या किसी से भी शादी नहीं कर सकता। मेरी ज़िन्दगी में श्लोका की जगह कोई नहीं ले सकता। शिवाय बहुत तेज़ आवाज़ से कहते हैं। और उठ खड़े होते हैं।
श्लोका... श्लोका... श्लोका जब सुनो तब श्लोका हर बात में श्लोका। पता नहीं तुम उस श्लोका नाम से कब बाहर आओगे।
वह मर गई है। अब वह वापस नहीं आएगी। तुम यह बात क्यों नहीं समझ लेते। सुमन बहुत तेज़ आवाज़ से कहती है।
हर किसी की नज़र उनकी तरफ उठ जाती है।
खबरदार जो तुम ने एक लफ्ज़ और कहा। मैं जा रहा हूं और आज के बाद मुझसे मिलने की कोशिश मत करना। वरना मैं कुछ कर बैठूंगा। और उस की ज़िम्मेदार तुम खुद होगी।
कहते हुए शिवाय टेबल पर हाथ मार कर सारा सामान बिखेर देते हैं।
शिवाय का खून खौल रहा था। उसका जी चाह रहा था कि सब कुछ तहस-नहस कर दे। कैसे वह कह सकती है कि श्लोका मर गई है। यह बात शिवाय के दिमाग में किसी हथौड़े की तरह लग रहे थे।
और फिर अचानक से वहां का माहौल बदल जाता है। थोड़ी देर पहले जो सब कुछ सजा हुआ था। अब सब बिखर चुका था।
जारी है...
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