डोर धड़कन से बंधी | भाग 23 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 23 | Hindi Romantic Story

और फिर अचानक से वहां का माहौल बदल जाता है। थोड़ी देर पहले जो सब कुछ सजा हुआ था। अब सब बिखर चुका था।

शिवाय गुस्से से बोले जा रहे थे। साथ ही साथ सुमन भी चिल्ला रही थी। 

शिवाय.... आदर्श जो दूसरी तरफ बैठा मुग्धा और शिवन्या से बातें कर रहा था। आवाज़ सुनकर आता है कि कहां पर इतना शोर हो रहा है? और वह देख कर हैरान रह जाता है कि वहां कोई और नहीं उसका दोस्त शिवाय था।

आदर्श एक नज़र दोनों को देखता है। और तुरंत शिवाय का हाथ थाम कर वहां से निकल जाता है। पीछे सुमन चिल्लाती रहती है। लेकिन उसकी बात सुनने वाला वहां कोई नहीं था।

आदर्श शिवाय के साथ बाहर निकल कर उसकी गाड़ी में बैठ जाते हैं। और मुग्धा को फोन करते हैं।

तुम लोग घर चली जाना। मुझे कुछ काम आ गया है। मैं बाद में आ जाऊंगा। 

बात करने के बाद आदर्श खामोशी से शिवाय की ओर देखते हैं। जो अब शांत लग रहे थे।

आदर्श गाड़ी स्टार्ट कर देते हैं। कुछ दूर जाकर गाड़ी रोक देते हैं। और शिवाय की ओर ध्यान से देखते हैं। यूं जैसे अब वह उसकी बात सुनने के लिए तैयार हो।

आदर्श वह मुझ से शादी करना चाहती थी। 

वह ऐसा कैसे कह सकती है? जब कि वह जानती है कि मैं श्लोका के सिवा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकता। शिवाय उदासी से कहते हैं।

लेकिन आदर्श कोई जवाब देने के बजाए सिर्फ उसे देखते रहे। यूं जैसे आगे की बात सुनने के इंतेज़ार में हो।

तुम जानते हो ना आदर्श जब वह मेरे आफिस आई थी तो उस का नाम सुनकर मैं चौंक गया था। क्योंकि उसका नाम सुमन था।

मीटिंग के बाद मैं उससे मिला। मैं उस में अपनी श्लोका सुमन को ढूंढने लगा। हालांकि उसके किसी भी बात से नहीं लगा कि वह मेरी श्लोका सुमन है। लेकिन फिर भी मैं उससे मिलने लगा। उस की आदत उसकी बातों में मैं श्लोका को तलाश करने लगा। 

और फिर मुझे समझ आ गया कि वह मेरी श्लोका सुमन नहीं है। उसका सिर्फ नाम सुमन है। लेकिन मैं इस दोस्ती को अचानक से खत्म नहीं कर सकता था। इस लिए हमारी दोस्ती चलती रही।

वह मुझे समझ चुकी थी। उसे कहीं से श्लोका के बारे में सब पता लग गया था। वह यह भी समझ चुकी थी कि मैं उसमें श्लोका को ढूंढ रहा हूं। और वह इस बात का फायदा उठाने लगी। दोस्ती के नाम पर उसे मेरे पैसों से प्यार था।

शिवाय बोलते जा रहे थे। और आदर्श खामोशी से सुन रहे थे। यह सारी बातें आदर्श जानते थे। लेकिन आज फिर आदर्श इतना ध्यान से सुन रहे थे। जैसे पहली बार सुन रहे हों।

वह मुझ से पैसा बटोरती रही। लेकिन मैं खामोश था। मगर आज वह मुझ से शादी की फरमाइश करने लगी आदर्श।

वह ऐसा सोच भी कैसे सकती है। मैंने उसे कोई आस कोई उम्मीद नहीं दी। मैंने उससे कभी कोई वादा नहीं किया। उस के बावजूद वह इतना सब सोच बैठी। कहते-कहते शिवाय को गुस्सा आने लगा।

आज तुम ने मना कर दिया ना? आदर्श ने जानना चाहा।

हां, मैंने बोल दिया कि अब से हमारी दोस्ती खत्म। शिवाय गुस्से से कहते हैं।

अब तुम शांत हो जाओ। आदर्श ने शिवाय के कंधे पर हाथ रखा।

वह कहती है श्लोका मर चुकी है। 

मुझे श्लोका नहीं मिलेगी आदर्श? शिवाय दुख से कहते हैं। 

आदर्श खामोश रहते हैं। शिवाय की बातों का उसके पास कोई जवाब नहीं था।

तुम खामोश क्यों हो। जवाब दो मेरी बात का। मैं उससे मिलने के लिए तड़प रहा हूं। शिवाय की आंख नम हो गई।

आदर्श अपने दोस्त को देख कर रह गये। वह उसका दर्द दूर नहीं कर सकते थे। 

अगर उसके बस में होता तो कब का शिवाय का दुख दूर कर देते। मगर यह तो शिवाय की मुहब्बत थी। जो वह उसे नहीं दे सकता था।

श्लोका कहां है? है भी या नहीं? वह कुछ नहीं जानता। हालांकि वह अक्सर शिवाय को आगे बढ़ने की राय ज़रूर देता। मगर शिवाय हर बार उसे मना कर देते। वह श्लोका की जगह किसी और को देने का सोच भी नहीं सकते थे।

तुम वहां कैसे आ गये थे? अचानक से शिवाय को याद आ गया।

मैं भी डिनर करने आया था। मुग्धा और शिवन्या के साथ। आदर्श ने मुस्कुरा कर कहा।

क्या कहा? मुग्धा और शिवन्या? शिवाय हैरान रह गया।

हां, मुग्धा को समझ आ गया कि शिवन्या बुरी लड़की नहीं है। आदर्श ने खुशी से कहा।

मुझे लेकर नहीं आये? शिवाय ने शिकवा किया।

आज मीटिंग यही पर थी। मुग्धा को भी साथ ले आया। अकेले वह बोर होती। इस लिए शिवन्या को भी बोल दिया। शिवन्या को साथ आने की बात मुग्धा ने ही कही थी। आदर्श मुस्कुराए।

क्या बात है। शिवाय को हैरानी हो रही थी क्योंकि शिवन्या  ने उसे बुरा कहा था। उसके बावजूद भी वह उससे दोस्ती करना चाहती है।

क्या सोच रहे हो? आदर्श के मन में कुछ चल रहा था। मगर वह शिवाय से कहने से डरते थे। क्योंकि वह शिवाय को और दुख नहीं देना चाहते थे।

एक बात कहूं? आदर्श इरादा कर ही लेते हैं।

बोलो। 

शिवन्या के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है? आदर्श बिल्कुल सीरियस थे।

किस बारे में? शिवाय हैरान हुए।

उसकी बहुत सारी आदतें श्लोका से मिलती हैं। कहीं वही तुम्हारी श्लोका तो नहीं? आदर्श अपनी गाड़ी को धीरे-धीरे पटरी पर आ रहे थे।

वह मेरी श्लोका नहीं हो ही सकती। उसका एक चार साल का बेटा है। यह बात तुम अच्छे से जानते हो। शिवाय ने बात खत्म कर दी।

वह तुम्हारी श्लोका ना सही। लेकिन तुम्हारी श्लोका जैसी तो है। आदर्श की गाड़ी लाइन पर आ रही थी।

तो..

तो यह कि तुम उसकी तरफ बढ़ो। अगर तुम्हारा दिल मान जाए तो तो तुम उस की मुहब्बत को कुबूल कर लो। आदर्श ने जल्दी से अपनी बात खत्म कर दी।

आदर्श की बात पर शिवाय हैरानी से उसे देखते हैं।

हां शिवाय आगे बढ़ जाओ। यह सही मौका है ऐसा ना हो कि तुम इसे भी खो दो। आदर्श खामोश शिवाय के मन में एक और कंकर फेंकते हैं।

शिवन्या....

हां शिवन्या.... अब मत सोचो। आगे बढ़ जाओ।

और श्लोका? वह वापस आई तो मैं उसे क्या जवाब दूंगा?यह सच है अक्सर मेरे कदम शिवन्या की तरफ बढ़ जाते हैं। लेकिन सिर्फ इस लिए कि उसमें मुझे श्लोका नज़र आती है। 

लेकिन फिर मुझे अपनी गलती का ऐहसास होता है कि यह श्लोका नहीं शिवन्या है। मैं अपने कदम पीछे कर लेता है। शिवाय खोए हुए से बोलते हैं।

वही तो मैं कह रहा हूं। अपने कदम पीछे मत करो। श्लोका ने हमेशा तुम को समझा है। इस बार भी वह तुम को समझ जायेगी। आदर्श यकीन से कहते हैं। 

इतना यकीन? शिवाय हैरान हुए।

हां, यह यकीन मुझे तुम्हारी बातों ने ही दिया है। श्लोका के हर अल्फाज़ जो उसने तुम से कहे। और वह अल्फाज़ जो तुम ने मुझ से कहा उस के बारे में। उसी अल्फाज़ पर यकीन कर के मैं यह बात कह रहा हूं। 

उसे तुम पर यकीन था। और वह यकीन इतना कमज़ोर नहीं है शिवाय। जो तुम इतना डर रहे है।

मुझे यकीन है तुम कभी उस के सामने शर्मिंदा नहीं होगे। आदर्श यकीन से कहते हैं।

इतना यकीन? शिवाय की हैरानी बढ़ती जा रही थी।

हां, तुम्हारे यकीन से ही तो मुझे यकीन मिला है। आदर्श बज़िद थे अपनी बात मनवाने के लिए। ऐसा लग रहा था कि वह आज शिवाय को कायल कर के ही रहेंगे।

शिवाय कुछ बोलने के बजाए सिर्फ उसे देखते रहे।

ऐसे क्या देख रहे हो? घर चलें? शिवन्या इंतेज़ार कर रही होगी। आदर्श ने मुस्कुरा कर कहा।

वह क्यों इंतेज़ार करेगी? वह सो चुकी होगी। अब शिवाय भी मुस्कुरा दिए।

चलो फिर आज आज़मा लेते हैं। कौन गलत है और कौन सही। 

लेकिन अगर मैं सही हुआ तो तुम आगे बढ़ जाओगे। आदर्श ने फैसला सुनाया।

और अगर मैं सही हुआ? शिवाय इस बार हंसे।

पहले मुझे गलत तो साबित करो। उसके बाद ना तुम सही होगे। आदर्श भी अब खुल कर हंसे।

जारी है...

डोर धड़कन से बंधी भाग 22

डोर धड़कन से बंधी भाग 24





Comments

Popular posts from this blog

नादां तेरे शहर को | Desolate Memories of a Mother's Love

Perfect Coffee at Home: Easy Recipes for Every Mood | घर पर परफेक्ट कॉफी बनाने का तरीका | ब्लैक, मिल्क और कोल्ड कॉफी रेसिपी

कुछ अनकही (कालेज वाला प्यार) भाग 1 | Kuch Ankahi: Unspoken College Love Story Part 1 | Emotional Hindi Romance