इश्क जान | Ishq Jaan Part 4 | Heartfelt Romance & Wedding Story
कुछ निगाहें शजल पर नज़र जमाये हुऐ थी। मगर वह उससे अंजान थी।
मुहब्बत एक इबादत है।
मिलन है आशिकी उनकी
जो मिल जाए मुहब्बत तो
खुदा को पा वह लेते हैं......
रात में मेंहदी का फंक्शन था। उसे जाने का बिल्कुल भी मन नहीं हो रहा था।
उस दिन वहां से आकर उसका दिल बेचैन था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे।
उसके सामने दो चेहरे आ और जा रहे थे।
परमजीत जिसे वह पसंद करती है। परमजीत उसे पसंद करता है या नहीं उसे नहीं पता। मुहब्बत तो बहुत दूर की बात है।
रज़ील जो कि उसे पसंद करता है। रज़ील एक खूबसूरत और अच्छा इंसान जिसे कोई भी लड़की पसंद कर सकती है। मगर वह उसे पसंद करता है।
इन दो चेहरों ने उसे उलझन में डाल दिया था।
वह जो किसी ने कहा है कि तुम जिसे चाहते हो वह ना मिले, तो तुम उसके हो जाओ जो तुम्हें चाहता है।
पिछले दो साल उसने इंतेज़ार किया था इन दिनों का। इस बार उसे कोई फैसला लेना था। क्योंकि मम्मी ने भी सोच लिया था कि इस बार उसका रिश्ता तय कर दिया जाए। क्योंकि रिश्ते तो बहुत आ रहे हैं। अब इन्हीं में से किसी को देख कर शादी तय कर दी जाए।
रात को मेहंदी के फंक्शन में वह पहुंच चुकी थी। बहुत सारी निगाहें उस पर उठी थी।
उसने इधर-उधर देखा। और सबसे मिलती हुई नारवाल के पास पहुंच गई। जहां और भी बहुत सारी लड़कियां थी। सारी औरतें मेहंदी लगवाने में बिज़ी थी।
शजल मेहंदी लगवा लो। किसी कोने से आवाज़ आई।
अभी नहीं।
शजल ने यूं ही कहा।
बड़ा सा स्टेज बना हुआ था। जिस पर बैठ कर हर कोई मेहंदी लगवा रहा था।
परमजीत की मम्मी भी वहीं बैठी हुई थी। दोनों ने एक-दूसरे को देखा।
शजल मुस्कुरा दी। वह भी मुस्कुरा दी।
शजल फिर इधर-उधर देखने लगी।
उसी वक्त परमजीत आकर अपनी मम्मी की गोद में लेट गया। कुछ इस तरह से कि उसका चेहरा शजल की तरफ था।
क्या हुआ? इस तरह क्यों लेट गये?
परमजीत की मम्मी ने प्यार से बेटे को देखते हुए कहा।
कुछ नहीं, ऐसे ही आपकी गोद में लेटने का मन कर रहा था।
शजल ने उसकी तरफ देखा। वह भी उसे ही देख रहा था। दोनों की निगाहें मिली। मगर ज़ुबां खामोश थी। शजल ने निगाहें झुका ली।
परमजीत उसे देखता रहा। मेंहदी कलर के सिम्पल लहंगा सूट जिस पर बहुत सिम्पल वर्क किया हुआ था। चुन्नी को उसने बायें साइड कंधे पर रखा हुआ था। बारीक सा डायमंड का पेंडेंट सेट उसने पहन रखा था। जिसकी चमक उसके चेहरे को और हसीन बना रही थी।
परमजीत उसे निहारता रहा। शजल जब भी उसके तरफ देखती उसे खुद को देखता पाती।
परमजीत ने मेहंदी कलर का इंडो वेस्टर्न ड्रेस पहन रखा था। जिस में वह बहुत जंच रहा था।
परमजीत की मम्मी ने उससे कह दिया था कि इस शादी के बाद उसका रिश्ता तय कर देंगी। इस लिए अगर शादी में कोई पसंद आये तो बता देना। वरना वह खुद ही उसका रिश्ता तय कर देंगी।
दो साल पहले शादी में उसने शजल को देखा था। उसे उसकी सादगी पसंद आई थी।
और फिर वह लोग वापस शारजाह चले गए। इस बार जब आने का हुआ। और मम्मी ने कहा कि इस बार उसका रिश्ता पक्का करके आयेंगी।
इस लिए उस की नज़र शजल पर थी।
परमजीत ने भी देख लिया था कि शजल उसको बार-बार देखती रहती थी।
मुहब्बत करने वाली नज़रें मुहब्बत को पहचान लेती थी। परमजीत ने भी उसकी नज़र को पहचान लिया था।
परमजीत आंख बंद किए सारी बातें सोचता रहा। और फिर कुछ फैसला करके उसके होंठों पर मुस्कान आ गई।
उसने आंख खोली। शजल उसे ही देख रही थी। उसने एक नज़र मुस्कुरा कर शजल को देखा। शजल भी बेसाख्ता मुस्कुरा दी।
परमजीत उठ कर खड़ा हो गया। और वहां से चला गया।
शजल उसे जाता हुए देखती रही।
शजल मेहंदी लगवा लो।
नारवाल ने कहा तो उसने सोचा लगवा ही लेती हूं। वरना हर कोई यही कहेगा। उसने दोनों हाथ आगे कर दिए।
बहुत ही सिंपल लगाना।
उसने लड़की को बताया।
तुझे देख ही वह समझ गई है कि तुझे सिम्पल लगाना है। तेरी सादगी तुझे सब से अलग कर रही है। वरना देख लो सबकी ज्वेलरी और ड्रेस ऊपर से भर-भर के मेहंदी भी लगी हो। यह नहीं कि जब शादी हो जाए तब लगवाए। नहीं सब को हर वक्त तैयार रहना है।
नारवाल ने वहां बैठ कर सबकी नकल उतारी। जिसे सुनकर शजल खूब हंसी।
मेहंदी लगते ही कर वह खाने के लिए चली गई। उसकी मम्मी उसकी प्लेट में खाना निकाल कर उसे साइड में भेज देती हैं। जहां पर टेबल रखा था।
वहां पर उसको देखकर उसकी दोस्त लोग भी आ गई।
और सब ने जोक मारना शुरू कर दिया।
सुनो जिन मांओं के बेटे की शादी नहीं हुई है। वह बहुत ध्यान से एक-एक लड़की को देख रही हैं। इस लिए ज़रा ध्यान से रहना।
उसकी दोस्त पिंकी ने आंख मारते हुए सबसे कहा।
और सब ज़ोर से हंस पड़ी।
अरे नादान... अभी मैंने समझाया ना। अब तुम लोग इतनी ज़ोर से हंस रही हो। अगर किसी को तुम्हारी हंसी अच्छी ना लगी तब। इस लिए सब लोग अच्छे से रहो।
पिंकी ने एक बार हंसते हुए कहा। और सब एक बार फिर ज़ोर से हंस पड़ी।
और हां, अगर किसी को किसी मां का लाडला पसंद आ जाए तो मुझे बता देना। मैं बात आगे तब पहुंचा दूंगी। वह भी बिल्कुल फ्री में।
पिंकी ने एक बार फिर आगे की तरफ झुक कर सबसे कहा। और एक बार उनकी हंसी सब को अपनी तरफ देखने पर मजबूर कर गई।
शजल रज़ील को कुछ संदेशा देना है?
इस बार पिंकी ने बहुत धीरे से शजल की तरफ झुक कर कहा।
शजल ने हैरानी से पिंकी की तरफ देखा।
मुझे सब पता है। प्यार करने वाला मिल रहा है अपना लो। क्या पता कल कौन मिले।
पिंकी धीरे से कह कर उठ गई। मीठा लेने के लिए।
मगर उसके लिए सोचने का बहुत कुछ छोड़ गई।
कुछ निगाहें अभी भी शजल पर थी। मगर वह अंजान थी। उन निगाहों से।
यह कैसी कशमकश है। जो उसे बेचैन कर रही है। यह कैसी उलझन है। जो सुलझने के बजाय और उलझती जा रही है।
दिलों के इस बाज़ार में यह कैसी सौदागिरी है। उसका मन बहुत सारे सवालों से घिरा हुआ था। मगर वहां पर जवाब कोई भी नहीं था।
जारी है...
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