इश्क जान | भाग 8 | Ishq Jaan Part 8 | Heartfelt Romance & Wedding Story
शजल के जाते ही उसे लगा उसकी ज़िन्दगी चली गई हो। वह अपने दिल पर हाथ रख लेता है। और कुछ सोचकर वह मुस्कुरा देता है।
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मुहब्बतों की कहानियां भी अजीब होती है। जिसे समझना हर किसी के बस की बात नहीं। और जो समझ गया। समझो वह जग जीत गया।
मुहब्बत भी कई तरह की होती है। हर मुहब्बत एक दूसरे से जुदा होती है। किसी की मुहब्बत किसी से मेल नहीं खाती।
जैसे रज़ील की मुहब्बत है। वह शजल को चाहते हुए भी खामोश है। वह दिल से उसे चाहे जा रहा है। मगर ना तो शजल से बात कर रहा है। और ना ही अपने प्यार का इज़हार कर रहा है। वह कौन से वक्त के इंतेज़ार में है। यह वही जानता है।
और दूसरी तरफ परमजीत की मुहब्बत जो अभी खामोश हैं। जिनके अंदाज़ में मुहब्बत तो झलकती है। मगर कोई ज़ल्दबाज़ी नहीं दिखती है। उन के दिल को तो इकरार है कि यह मुहब्बत है। मगर ज़ुबां पर इज़हार नहीं। दोनों ही शजल को चाहते हैं। मगर इस बात का इज़हार दोनों ही नहीं कर रहे।
और शजल....वह खुद ही खुद में उलझी हुई है। वह परमजीत को पसंद करती है। लेकिन जब से उसे पता चला कि रज़ील उसे चाहता है। ना जाने क्यों उस के दिल की बेचैनी बढ़ गई है। वह समझ नहीं पा रही कि यह बैचैनी क्यों है।
उस पर से राहिल का रिश्ता एक और धमाल मचा गया। वह जो रज़ील और परमजीत में उलझी थी। राहिल के रिश्ते ने उस गुथ्थी को और उलझा दिया।
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दो साल बाद एक बार फिर सारे रिश्तेदार अपने देश अपने शहर आ रहे थे। शादियों की तारीख फिक्स थी। हर कोई अपने हिसाब से आ रहा था। जिस की जैसी रिश्तेदारी वह वैसे ही आ रहा था।
हल्दी का फंक्शन शुरू होने वाला था। मेहमान आना शुरू हो गये थे।
हल्दी, संगीत, मेहंदी और शादी सब एक ही जगह रिजॉर्ट से होने वाली थी। हर किसी के रहने का इंतेज़ाम हो गया है। दुनिया भर में बसे रिश्तेदारों की कोशिश थी कि इस शानदार शादी में शामिल होना ही है।
हर किसी की खुशी और तैयारी एक अलग ही लेवल की थी। उसी शहर में रहने वाले रिश्तेदार खुश थे कि वह यह शादी आसानी से अटेंड कर पायेंगे।
पूरा रिजॉर्ट य्लो कलर के फूलों से सजा हुआ था। मद्धिम म्यूजिक बज रहा था। खाने का स्टाल लगा हुआ था। लोग बातें कर रहे थे कि 100 से ज़्यादा खाने की चीज़ें हैं। और शादी में यह खाने हज़ारों की गिनती में रहेंगे।
हर तरफ शादी के चर्चे थे। परमजीत य्लो ड्रेस पहने एक शान से बैठा हुआ था। हर कोई आकर उसे हल्दी लगा कर मुबारक बाद दे रहा था। और वह मुस्कुराते हुए सब को थैंक्स बोल देता।
फंक्शन अपने उरूज पर था। खाना खाने का दौर शुरू हो चुका था।
शजल नहीं आयेगी क्या?
परमजीत जो हल्दी की रस्म के बाद अब दोस्तों से बातों में बिज़ी था। उस के कानों तक यह सवाल पहुंचा तो उसने भी अपना ध्यान उन की बातों में लगा लिया।
नहीं आज नहीं आयेगी। अगले हफ्ते उस की भी शादी है। रोज़-रोज़ घर से निकलना ठीक नहीं है।
तब शादी वाले दिन आयेगी?
पता नहीं। मैंने पूछा था। लेकिन उस ने कोई सही से जवाब नहीं दिया। बोली देखा जायेगा।
परमजीत के ख्यालों में शजल का चेहरा आ गया। उसके होंठ मुस्कुरा उठे। लेकिन दिल से एक टीस उठी। काश! तुम मेरे होती।
यह मुहब्बत होती ही क्यों है। जब मिलना नहीं होता। परमजीत आसमान की ओर देखता है। उसके सवाल शायद ऊपर तक पहुंच चुके थे। लेकिन उस का जवाब उसे नहीं मिला।
वह दोस्तों से बातें करने लगा अपने मन के ख्यालों को किनारे रख कर। क्योंकि वह जानता था। अब सोचने से कोई फायदा नहीं है।
संगीत मेहंदी सब गुज़र गया। शादी का दिन आ पहुंचा।
शादी की सारी रस्में हो चुकी थी। दूल्हा दुल्हन स्टेज पर बैठे सब की मुबारकबाद क़ुबूल कर रहे थे।
सब से मिलते वक्त परमजीत की नज़र शज़ल पर पड़ गई।जो किसी से बातों में बिज़ी थी।
परमजीत उसे देख एक बार फिर खो गये। उस के दिल में कुछ बेचैनी सी हुई। उसकी आंख में हल्की नमी आ गई।
परमजीत को आज अपनी मुहब्बत महसूस हुई कि कितना उसे चाहने लगा था।
काश वह मां को मना लेता। पछतावा उस के दिल में घिर कर गये।
वह सामने से नज़र हटा कर मेहमानों से बातें करने लगा।
शादी मुबारक हो परमजीत....
परमजीत के कानों में एक मीठी सी खनकती आवाज़ आई।
उस ने आवाज़ की तरफ देखा।
जारी है...
इश्क जान भाग 8
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