डोर धड़कन से बंधी | भाग 42 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 42 | Hindi Romantic Story

मैं शिवाय से ज़्यादा मिलूंगी ही नहीं कि उसे मुझ पर शक हो। मैं कल ही अपना सबसे मज़बूत वार कर देती हूं। जिससे उसे मुझ पर शक करने की कोई गुंजाइश ही ना रहे।

क्या करेंगी आप? अनु को फिक्र हुई।

तुम चिंता मत करो। तुम्हारी प्यारी श्लोका के प्यारे शिवाय को मैं अपना बना कर रहूंगी।

श्लोका ज़ोर से हंसती है।

अनु अपनी मजबूरी पर तड़प उठती है। 

❤️

मैं जा तो रहा हूं श्लोका के साथ बाहर, लेकिन मेरा दिल खुश क्यों है? शिवाय तैयार होते हुए सोच रहे थे। लेकिन जाना भी ज़रूरी है। क्योंकि आदर्श का यह हुक्म है कि मैं उस के साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक्त बिताऊं।

शिवाय तैयार हो कर कमरे से बाहर आए। शिवन्या वहीं पर बैठी हुई थी।

मैं डिनर बाहर करुंगा। ना जाने क्यों शिवाय को कहते हुए अच्छा नहीं लगा। उसे लगा जैसे वह चोरी कर रहे हों। लेकिन बताना भी ज़रूरी था। कहते ही वह बाहर निकल गये।

और शिवन्या अपनी जगह बैठी रह गई। उसे लगा उस का बहुत कीमती कुछ आज उससे दूर हो गया हो।

.....

आप कुछ कम बोलने लगे हैं?

मॉल में साथ टहलते हुए श्लोका शिवाय से कहती है।

इंसान हमेशा एक सा नहीं रहता। वक्त इंसान को बदल देता है। शिवाय उदासी से कहते हैं।

शिवाय आप को याद है। जब मैं अनु के पास रुक जाती थी। और ज़रा सी देर हो जाती तो आप परेशान हो जाते। आप चाहते थे कि मैं जहां भी रहूं। लेकिन शाम होते ही घर आ जाऊं।

आफिस से आकर आप मेरा साथ चाहते थे। है ना?

श्लोका अपनी बात कह कर उससे कंफर्म करती है।

मैं कुछ नहीं भूला हूं। हर पल मुझे याद है। शिवाय कहीं खो से गए।

चलिए आइसक्रीम खाते हैं। श्लोका तुरंत बात बदल देती है। वह नहीं चाहती थी कि शिवाय को कोई ऐसा पल याद आ जाए। जो उसे पता ना हो तो वह पकड़ी जाए।

चलो... शिवाय भी आगे बढ़ गये।

आप नहीं खाएंगे? श्लोका आइसक्रीम लेते हुए कहती है।

नहीं, मेरा कॉफी पीने का मन है। आइसक्रीम से जुड़ी बहुत सारी यादें थीं उनके साथ। लेकिन शिवाय खामोश रह गये। वरना आइसक्रीम को लेकर वह श्लोका को कितना परेशान करते थे।

उन बातों को याद करके शिवाय के होंठों पर मुस्कान आ गई।

ठीक है। आप कॉफी पी लें। श्लोका का ध्यान आइसक्रीम पर था। वह शिवाय की मुस्कान नहीं देख पाई।

मॉल घूम कर वह डिनर कर के बाहर निकले तो शिवाय को लगा कि वह कितना थक चुके हैं।

श्लोका की बातों से वह इतना ऊब जायेगा। उस ने यह कभी नहीं सोचा था। वरना उस की तो ख्वाहिश होती कि उसकी और श्लोका की बातें कभी खत्म ना हों।

शिवाय मुझे लगता है अब आप मेरा साथ नही चाहते?

बाहर निकलते हुए श्लोका वह बात कह ही देती है जो वह कब से महसूस कर रही थी।

ऐसा कुछ नहीं है, शिवाय जल्दी से कहते हैं। हालांकि यह बात उन्होंने बस कह दी थी।

अगर आप मेरा साथ नही चाहते तो.... श्लोका ने बात अधूरी छोड़ दी। लेकिन उसकी आंखें बहुत कुछ कह गई।

शिवाय ने उसकी ओर देखा, पर कुछ नहीं बोले।

उनकी खामोशी में बहुत कुछ छुपा था।

खामोशी जो कभी मोहब्बत की होती है, तो कभी पछतावे की।

शिवाय अब थकने लगे थे...

थकान सिर्फ शरीर की नहीं थी, मन की थी, आत्मा की थी।

वो जबरन मुस्कुरा रहे थे...खुद को समझा रहे थे कि यह सब ज़रूरी है।

पर सच तो यही था...

उन्हें श्लोका के साथ बिताया हर पल अब एक बोझ लगने लगा था।

चलिए...

शिवाय ने कार का दरवाज़ा खोला।

श्लोका कुछ कहना चाहती थी, लेकिन रुक गई। और गाड़ी में बैठ गई।

कार में सन्नाटा पसरा था।

श्लोका अपना फोन पर्स में से निकाल कर देखने लगी।

गाड़ी सिग्नल पर रूकी। श्लोका का फोन उस के हाथ से छूट कर गिर गया।

वह उठाने के लिए झुकी....उसका बाल भी आगे की तरफ आ गये।

उसके बैक डीप गले का टॉप....

बिल्कुल अचानक शिवाय की नज़र उसके पीठ पर गई। उसका बड़ा सा काला तिल उसकी पीठ पर चमक रहा था।

वह मोबाइल उठा कर सीधी हो गई। और खिड़की से बाहर देखने लगी।

गाड़ी दोबारा चलने लगी। लेकिन शिवाय का मन उलझ चुका था। 

आदर्श का शक गलत था। यही श्लोका है। 

गाड़ी साइड करना तो.... मैं आंटी के लिए आइसक्रीम लेकर आती हूं।

श्लोका एक तरफ इशारा करते हुए कहती है।

गाड़ी रोक कर शिवाय भी साथ में उतर जाते हैं।

आइसक्रीम लेकर वह वापस आ रहे थे कि तभी श्लोका लड़खड़ा जाती है। जब तक शिवाय उसे थामते वह ज़मीन पर बैठ चुकी थी।

उसके बैठते ही उसका स्कर्ट घुटनों के ऊपर तक हो जाता है। 

शिवाय भी बैठ चुके थे।

शिवाय की नज़र बेसाख्ता उस के घुटनों पर चली गई। उस के दोनों घुटनों पर बड़ा सा तिल चमक रहा था।

शिवाय....

श्लोका कराहती है।

आंहां... तुम ठीक हो? शिवाय संभले।

मैं तो ठीक हूं, लेकिन अब आप ठीक नहीं मिस्टर शिवाय सिंह ओबेरॉय.....

श्लोका मन ही मन सोचती है। और मन ही मन मुस्कुरा भी देती है।

मुझे उठने में मदद करें शिवाय....

हां, उठो। शिवाय उसे कंधों से थाम कर उठाते हैं। और गाड़ी में ले जाकर बैठाते हैं।

तुम ठीक हो ना? चली जाओगी? या मैं चलूं?

उस के घर के पास गाड़ी रोक कर शिवाय पूछते हैं।

नहीं, मैं अब ठीक हूं। चली जाऊंगी। श्लोका उतरते हुए कहती है।

ठीक है अपना ध्यान रखना। 

शिवाय वापस आकर गाड़ी में बैठ कर गाड़ी स्टार्ट कर देते हैं।

वह जल्द से जल्द घर पहुंच जाना चाहते थे।

❤️

मैं नेक्स्ट वीक श्लोका से शादी कर रहा हूं।

आदर्श जैसे ही शिवाय के केबिन में आकर बैठते हैं। शिवाय धमाका करते हैं।

क्या? आदर्श हैरानी से देखते हैं।

जारी है...

डोर धड़कन से बंधी भाग 41

डोर धड़कन से बंधी भाग 43



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