डोर धड़कन से बंधी | भाग 44 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 44 | Hindi Romantic Story
फैसला हो चुका है। और शिवाय सिंह ओबेरॉय अपना फैसला नहीं बदलते। जब तक कि कोई ठोस वजह ना हो। कहते ही शिवाय लैपटॉप पर नज़र जमा लेते हैं।
जिसे आदर्श देखते रह जाते हैं।
क्या फायदा ऐसी शादी का जिसमें खुशी ही ना हो। उससे अच्छा तो तुम ऐसे ही ठीक हो।
शिवाय को एक नज़र देख कर कहते हुए आदर्श केबिन से बाहर निकल जाते हैं। शिवाय का जवाब सुने बिना।
....
कभी-कभी दिन कितना जल्दी बीत जाता है। एक वक्त ऐसा था कि मेरा वक्त नहीं कट रहा था।
और अब देखो....
मैं सोच रहा हूं कि वक्त धीरे चले। मगर वह सरपट भाग रहा है।
डिनर के बाद कॉफी पीते हुए शिवाय शिवन्या से कहते हैं।
शिवन्या खामोशी से शिवाय को देखती है। शायद कहने के लिए उस के पास इस वक्त कुछ नहीं था।
देखते ही देखते शादी का दिन भी आ गया।
कल तुम्हारे अंकल आ रहे हैं। कल तुम भी चली जाओगी।
परसों मेरी फैमिली और दोस्त आ रहे हैं।
हर कोई खुश है। तुम को अंकल से मिलने की खुशी है। मेरी फैमिली और दोस्तों को मेरी शादी की खुशी है।
और एक मैं हूं....पता नहीं किन उलझनों में उलझा हुआ हूं।
बोलते-बोलते शिवाय की आवाज़ भारी हो जाती है। वह जल्दी से अपने आंख की नमी को साफ करते हैं।
मिस्टर ओबेरॉय....शिवन्या तड़प जाती है।
जल्दी से शिवाय के करीब जाकर वह कंधों से थाम लेती है।
मिस्टर ओबेरॉय आप इतना क्यों सोच रहे हैं। श्लोका आप का प्यार है।
अगर आप के दिल में कोई उलझन है। और आप का दिल नहीं मान रहा तो आप यह शादी ना करें। या कुछ दिन बाद करें।
शिवन्या की आवाज़ धीमी थी। मगर हर शब्द दिल में उतर जाने वाला।
शिवाय हल्का सा मुस्कुराते हैं, मगर वह मुस्कान आंखों तक नहीं पहुंचती।
फैसला हो चुका है, शिवन्या.... और मैं अपना फैसला नहीं बदलता।
पर कभी-कभी अपने फैसले से ज़्यादा....दिल की सुननी चाहिए।
शिवन्या उसके कंधे पर पुश करते हुए कहती है।
शिवाय की नज़रें कहीं दूर टिक जाती हैं, मानो वहां से कोई जवाब ढ़ूंढ रहे हों।
दिल....वह धीरे से बुदबुदाते हैं, दिल तो बहुत पहले किसी के नाम हो चुका है, और अब बस एक ज़िम्मेदारी निभानी है।
कमरे में एक गहरी खामोशी फैल जाती है।
बाहर हल्की हवा खिड़की से आती है, जैसे दोनों के बीच बंधी हुई अनकही बातों को अपने साथ बहा ले जाना चाहती हो।
उसे देखते ही जब मेरी धड़कन बदली तो मैं हैरान रह गया था।
शिवाय ने कहना शुरू किया।
एक गांव की लड़की मेरे दिल में बस गई। मैं उसका आदी हो गया।
मेरा दिल उसका साथ चाहता। और आंखें उसका दीदार। वह मेरा हर तरह से ख्याल रखती, वह मुझे समझती थी। ऐसा लगता था, हमारा बरसों का साथ है।
वह मुस्कुराती तो मैं मुस्कुरा देता। वह उदास होती तो मेरा दिल बैचैन हो जाता।
उसका एहसास मेरे दिल में तरंग ला देता था।
हमारे बीच कोई वादे नहीं थे। कोई प्यार का इज़हार नहीं था। हम ने जीने मरने की कसमें नहीं खाई।
लेकिन हम साथ थे। एक-दूसरे के साथ....
लेकिन किस्मत....वो तो अपने ही नियम लिखती है।
और फिर वह हादसा....हम बिछड़ गये।
उस दिन के बाद से जैसे शिवाय के अंदर कोई मर गया था।
कहते-कहते शिवाय रो पड़े।
उस की आंखों में भी एक गहरा दर्द उतर आया था। जैसे हर शब्द वह महसूस कर रही हो।
उस की आंखों से भी आंसू निकल पड़े।
मैं उसके लिए हर दिन तड़पा, मुझ से उसकी जुदाई बर्दाश्त नहीं होती थी। मुझे लगता था मैं मर जाऊंगा। लेकिन मैं ज़िंदा रहा। रोता रहा, तड़पता रहा। उसको ढूंढता रहा।
उसने एक बार मुझ से पूछा था कि अगर मैं चली गई तो आप क्या करेंगे?
और मैंने हंस कर कहा था कि मैं तुम्हें वापस ले आऊंगा।
और वह वापस आ गई....
और उसके आते ही मुझे ऐसा लगा.... जैसे मेरी तड़प खत्म हो गई हो, मेरी आंखें सूख गई हो। मेरे पास कहने के लिए अल्फाज़ ना हों।
मेरा बेचैन दिल भी ठहर गया। वह दिल जो श्लोका को देख कर मचल उठता था। आज वह भी खामोश हो गया। यूं जैसे वह उसे पहचानता ही ना हो।
शिवाय भीगे अल्फाज़ से बोलते जा रहे थे।
अगर दिल नहीं मान रहा तो फिर आप क्यों उस बंधन में बंध रहे हैं? मन में आया ख्याल शिवन्या पूछ ही लेती है।
क्योंकि वह मेरी चिंता तब से करती है, जब वह मुझे जानती भी नहीं थी।
जब डैड ने अंकल से हमारी शादी का वादा किया था। तब उसने डैड से कहा था कि वह मुझे वादे की भेंट नहीं चढ़ाएगी।
वह चाहती तो मुझ से शादी कर सकती थी। लेकिन उसे मेरी फिक्र थी।
और आज मैं उसे सिर्फ इस लिए ना अपनाऊं कि मेरा दिल उसे देख कर नहीं धड़कता। मेरी आंख उसे देख कर नहीं चमकती। मेरे होंठ उसे देख कर नहीं मुस्कुराते। यह गलत होगा शिवन्या।
शादी के बाद मैं सिर्फ यह याद रखूंगा कि मैं उस से कितनी मुहब्बत करता था।
क्योंकि आज मेरा दिल शिवन्या के लिए तड़प रहा है।
मिस्टर ओबेरॉय....शिवन्या बेसाख्ता उसे गले लगा लेती है।
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