कालेज वाला प्यार "कुछ अनकही" | Part 3 | College Love: Untold Emotions

हां, अच्छी गुज़र रही है। अच्छा परिवार है। पति अच्छे हैं।  दौलत इज़्ज़त सब है। दानिया मुस्कुरा दी।

दानिया की मुस्कान के पीछे छिपे दर्द को समीर ने शायद पढ़ लिया था। लेकिन वह कुछ नहीं बोला। दोनों की खामोशी बहुत कुछ कह रही थी।

और तुम? दानिया की नज़र अब समीर पर थी।

मैं भी खुश हूं तुम्हारी तरह सब कुछ है मेरे पास। बीवी-बच्चे इज़्ज़त दौलत! समीर मुस्कुराये। लेकिन सब कुछ होने के बाद भी अंदर कहीं एक खालीपन है। जो आज तक नहीं भरा। समीर इस बार हंस दिये।

दानिया मुस्कुरा दी। उसे खुशी हुई कि उस ने जिस से प्यार किया। वह उससे सच्चा प्यार करता था।

इस मुस्कुराहट की वजह? समीर की नज़र दानिया पर से हट ही नहीं रही थी।

आदत हो गई ना हर बात पर मुस्कुराने की। शायद इस लिए।

ज़िंदगी के वह तीन बेहतरीन साल जब हम सब साथ में इसी कालेज में पढ़े। और फिर हमारा वह साथ, और हमारा वह प्यार, हमारे बीच कोई वादे नहीं हुए। जीने-मरने की कोई कसमें नहीं थी। हम तो सिर्फ साथ के हर लम्हों को जी रहे थे। हमें नहीं पता था कि हमारे साथ कल क्या होगा। हम तो सिर्फ आज में जी रहे थे।

दानिया थोड़ा ठहरे। शायद बीते दिनों के किसी पल में खो गई थी।

और फिर हम ने अपने घर वालों से शादी करने की इच्छा ज़ाहिर की। लेकिन उन्होंने मना कर दिया। और हम दोनों ही खामोश हो गये। समीर ने कहना शुरू किया।

मुहब्बत के वह पल हमारी आंखों में थे। जीने-मरने के वादे नहीं थे। मगर एक ख्वाहिश थी। काश! हम साथ जी पाते। समीर के लहजे में दर्द था।

जारी है......

क्या समीर और दानिया की खामोशी के पीछे छुपी मुहब्बत कभी उनके जीवन में कोई नया मोड़ ला पाएगी? जानने के लिए पढ़ें अगला भाग।

कालेज वाला प्यार "कुछ अनकही" भाग 4

कालेज वाला प्यार "कुछ अनकही" भाग 2

 

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