डोर धड़कन से बंधी | भाग 11 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 11 | Hindi Romantic Story

शिवाय एक झटके में पीछे घूम कर उसे गले से लगा लेते हैं। लेकिन शिवन्या दूर हट जाती है। शिवाय उसे देखे बिना कमरे से बाहर निकल जाते हैं।

शिवन्या वहीं बैठ कर रोती चली जाती है।

शिवाय कमरे में जाकर बेड पर निढाल होकर गिर जाते हैं। ऐसा लगता था कि उनके शरीर में जान ही नहीं है।

शिवन्या तुम ने मुझे गलत समझा। मैं वह नहीं चाहता। जो तुम समझ रही हो। मेरा मकसद कुछ और था। 

मैं देखना चाहता था वह तिल जो श्लोका की पीठ और दोनों घुटनों पर था। मुझे तुम में श्लोका दिखती है। मुझे कैसे भी करके वह चेक करना है। अगर वह तिल तुम में नहीं है। तो तुम मुझ से कितना भी प्यार करती हो। मैं तुम्हारा नहीं हो सकता। 

मैं श्लोका के इलावा किसी को अपनी ज़िंदगी में शामिल नहीं कर सकता। फिर चाहे मुझे श्लोका मिले या ना मिले।

मैं श्लोका के बिना सारी ज़िन्दगी गुज़ार दूंगा। मैं मान लूंगा कि मेरी खुशियों का सफर उतना ही था।

अब मैं तुम से दूर रहने की कोशिश करूंगा शिवन्या। तुम मेरे ऊपर हावी हो जाती हो। और मैं श्लोका में खोकर तुम्हारे करीब आ जाता हूं।

शिवन्या जब रोते-रोते थक गई और शांत हुई तो उसको प्यास लगी। पानी लेने वह बाहर आई तो देखा। शिवाय का फोन बाहर रखा था। और बज रहा था।

शिवन्या फोन उठा कर देखती है। आदर्श की कॉल आ रही थी।

शिवन्या फोन लेकर शिवाय के रूम के पास जाती है। और नॉक करते ही अंदर चली जाती है। उसे यह टेंशन हो रही थी कि आदर्श सर ने इतनी रात को क्यों फोन किया।

शिवाय अपने बेड पर वैसे ही शूज़ पहने पैर लटकाए लेटे हुए थे।

आप का फोन बाहर था। आदर्श सर की कॉल आ रही थी।शिवन्या शिवाय की तरफ फोन करती है।

शिवाय तुरंत कॉलबैक करते हैं।

मैं अभी आ रहा हूं। फोन रखते ही शिवाय उठ खड़े होते हैं। 

क्या हुआ आदर्श सर ठीक हैं ना? शिवन्या को लगा कि सब ठीक नहीं है। इस लिए वह परेशान हो गई।

आदर्श की तबीयत खराब है। मैं जा रहा हूं। शिवाय कहते ही बाहर निकल गये।

मैं भी चल रही हूं। शिवन्या भी साथ हो जाती है।

शिवाय एक नज़र उसे देखते हैं। और बाहर निकल जाते हैं। वह जानते थे कि शिवन्या आदर्श को अपना भाई मानती है। 

क्या हो गया?

वहां पहुंचते ही शिवाय आदर्श के पास बैठ जाते हैं। 

सीने में बहुत तेज़ दर्द बता रहे हैं। मैंने डॉक्टर को कॉल कर दिया है। वह आते ही होंगे। मुग्धा शिवाय को बताती है।

और क्या दिक्कत है? शिवन्या परेशानी में पूछती है।

मुग्धा का ध्यान शिवन्या पर जाता है।

तुम कौन?

मैं शिवन्या, आप यह बताएं आदर्श सर को और क्या दिक्कत है?

शिवन्या जल्दी से जानना चाहती थी कि आखिर आदर्श सर को हुआ क्या है।

तुम होती कौन हो जानने वाली? मुग्धा जांचती नज़रों से पूछती है।

शिवन्या एक नज़र मुग्धा को देखती है। और आदर्श के पास जाकर बैठ जाती है और आदर्श से पूछने लगती है। आदर्श से पूछ कर शिवन्या तुरंत बाहर जाती है। फ्रीज से दूध निकाल कर गिलास में डालती है।

तुम मेरे घर में किस हक से यह सब कर रही हो?

मुग्धा शिवन्या को काम करते देख परेशानी से पूछती है। लेकिन शिवन्या जवाब देने के बजाय कमरे में जाती है। और आदर्श को दूध का गिलास देती है।

आप इस को पी लें। आप को आराम मिल जायेगा। शिवन्या आदर्श को दूध का गिलास देकर कहती है।

मैं तुम से पूछती हूं तुम कौन हो? और आदर्श का इतना ख्याल क्यों रख रही हो? मुग्धा एक बार फिर शिवन्या को शक की नज़र से देखते हुए पूछती है।

इस वक्त आपको अपने हस्बैंड की फिक्र होनी चाहिए। लेकिन आप उनकी फिक्र करने के बजाए मेरी फिक्र कर रही हैं।

आप को क्या लगता है मैं इन की महबूबा हूं? क्या मैं....

शिवन्या खामोश रहो। शिवाय गुस्से से कहते हैं। हालांकि शिवाय को गुस्सा मुग्धा पर आया था। लेकिन निकल शिवन्या पर गया था।

जारी है.....

डोर धड़कन से बंधी भाग 10

डोर धड़कन से बंधी भाग 12


Comments

Popular posts from this blog

नादां तेरे शहर को | Desolate Memories of a Mother's Love

Perfect Coffee at Home: Easy Recipes for Every Mood | घर पर परफेक्ट कॉफी बनाने का तरीका | ब्लैक, मिल्क और कोल्ड कॉफी रेसिपी

कुछ अनकही (कालेज वाला प्यार) भाग 1 | Kuch Ankahi: Unspoken College Love Story Part 1 | Emotional Hindi Romance