डोर धड़कन से बंधी | भाग 12 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 12 | Hindi Romantic Story
शिवन्या खामोश रहो। शिवाय गुस्से से कहते हैं। हालांकि शिवाय को गुस्सा मुग्धा पर आया था। लेकिन निकल शिवन्या पर गया था।
क्यों खामोश रहूं। कब से यह बोले जा रही हैं। इन का सवाल ही खत्म नहीं हो रहा है।
आपको क्या लगता है। मैं आपके पति से प्यार करती हूं। शक्ल देखी है आपने अपनी पति की?
आपको क्या लगता है। आपके पति बहुत हैंडसम हैं। और कोई भी लड़की इन को देखते ही इन पर फिदा हो जायेगी?
अगर आप ऐसा सोचती हैं तो आप बहुत गलत सोचती हैं। क्योंकि आप के पति ऐसे नहीं हैं कि इन को देखते ही इश्क हो जाए।
इस लिए आप यह खुशफहमी दिल से निकाल दें। और अपने पति पर विश्वास करें और इन से प्यार करें।
शिवन्या गुस्से से बोले जा रही थी। और आदर्श और शिवाय खामोश बैठे थे। और मुग्धा तो हैरानी से सिर्फ उसे सुन और देख रही थी।
और हां, मैं किसी और से प्यार करती हूं। और वह बहुत हैंडसम और गुड लुकिंग है। आपके पति की तरह नहीं है। पता नहीं क्या समझती हैं अपने पति को कहीं का शहज़ादा?
और हां एक बात और.... मैं इन के आफिस में काम करती हूं। लिफ्ट में सर मिल गये और इन्होंने बताया कि आदर्श सर की तबियत है। तो मैं आ गई।
वरना मुझे कोई फिक्र नहीं कि आपके पति को क्या हुआ है।
शिवन्या मुंह बनाकर कहती है। और वहीं पास में रखी चेयर पर बैठ जाती है।
मुग्धा को तो समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले।
और आदर्श और शिवाय को यहां पर बोलने की ज़रूरत नहीं थी।
उसी वक्त डॉक्टर आ गये। और आदर्श को देख कर मेडिसिन लिख दी।
मैं मेडिसिन लेकर आता हूं। शिवाय उठ खड़े हुए।
नहीं शिवाय अभी रहने दो। दूध पीने के बाद मुझे आराम लग रहा है। अगर कोई दिक्कत हुई तो मैं फोन पर दूंगा। तब दवा ला देना। अभी रहने दें। आदर्श ने मना कर दिया।
तुम सच कह रहे हो? शिवाय को फिक्र हो रही थी।
हां बिल्कुल सच कह रहा हूं। क्योंकि मुझे इतनी तकलीफ थी कि मैं बता नहीं सकता। लेकिन अब ठीक हूं।
ठीक है मैं जा रहा हूं। कोई काम हुआ तो तुरंत फोन करना। कहते ही शिवाय बाहर निकलने लगे।
मैं भी जा रही हूं। और दोबारा आऊंगी। लेकिन आपके इस सड़ियल पति से इश्क करने नहीं। इंसानियत भी कोई चीज़ होती है।
हम लड़कियां इंसानियत के नाते आप के पति से बात कर लेती हैं। और आप को लगता है कि हम इन को पसंद करते हैं।
आगे से आपके पति किसी लड़की से बात कर रहे हों तो समझ लेना कि वह लड़की इंसानियत के नाते बात कर रही है। ना की वह आपके पति को लाइन मार रही है। कहते ही शिवन्या भी बाहर निकल जाती है।
तुम को इतना बुरा नहीं कहना चाहिए। आदर्श तुम्हारा इतना ख्याल रखता है। और तुम ने इतना बुरा बोल दिया आदर्श के बारे में।
घर आकर शिवाय शिवन्या पर नाराज़ होते हैं। शिवाय को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा शिवन्या को इस तरह आदर्श के बारे में बोलना।
आप फिक्र ना करें। बहुत रात हो गई है आराम करें। शिवन्या शिवाय को देख कर कहती है। जो उसे ही देख रहे थे।
तुम वहां किस से प्यार करने की बात कर रही थी? शिवाय के मन का सवाल मुंह से निकल गया।
है कोई जो मुझसे बहुत प्यार करता है। शिवन्या कहीं खो जाती है।
तो फिर तुम मुझसे क्या? शिवाय बात अधूरी छोड़ देते हैं।
आप मुझे अच्छे लगे इस लिए।
वैसे मेरा प्यार मुझ से दूर हैं तो सोचा क्यों ना तब तक .... शिवन्या ने बात अधूरी छोड़ दी। और मुस्कुरा कर शिवाय को देखती है।
उसकी बात पर शिवाय को बहुत तेज़ गुस्सा आता है। और वह अपने रूम में जाने लगते हैं। लेकिन शिवन्या तेज़ी से शिवाय के सामने आ जाती है।
उसके सामने आते ही शिवाय का दिल बहुत तेज़ी से धड़कता है। हालांकि चेहरे पर वही गुस्से के भाव थे।
मिस्टर ओबरॉय आपका प्यार मिल जाए तो फिर क्या बात है। कहते ही शिवन्या शिवाय का हाथ थाम कर उसको अपने होंठों से लगा लेती है।
शिवन्या के ऐसा करते ही शिवाय के अंदर तरंग गूंज जाती है। वह चाहता है यह पल यूं ही रूक जाए। मगर तुरंत वह अपने ख्यालों से बाहर आ जाता है। और अपना हाथ खींच कर सीधे रूम में जाकर दरवाज़ा बंद कर लेते हैं।
और शिवन्या बहुत ज़ोर से हंस पड़ती है। इतनी ज़ोर से की उसकी हंसी शिवाय को अपने बंद कमरे में साफ सुनाई दे रही थी।
लेकिन शिवन्या के आंख के आंसू शिवाय नहीं देख पाये। जो हंसने के बाद उसकी आंखों में थे।
जारी है.....
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