डोर धड़कन से बंधी | भाग 17 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 17 | Hindi Romantic Story
आदर्श शिवाय को देखने लगे। उनकी दो साल की दोस्ती है। लेकिन यूं लगता है बरसों पुरानी दोस्ती है। शिवाय के दिल की हर बात आदर्श को पता थी। और आदर्श किसी खज़ाने की तरह हर बात को अपने दिल में छुपाए हुए थे। क्योंकि उन पर शिवाय का विश्वास था। जो उन्हें बाकी रखना था।
मैं चलता हूं शिवाय। तुम आराम करो। आदर्श उठ गये।
शिवाय ने आंख खोले बिना हाथ आगे कर दिया। जिसे आदर्श ने थाम लिया। सब ठीक हो जाएगा दोस्त तुम फिक्र मत करो।
आदर्श बहुत यकीन से कहते हैं।
शिवाय आंख खोल कर उसे देखते हैं।
कुछ मत सोचो। जो हो रहा है होने दो। मत रोको अपने दिल को। करने दो उसे मनमानी। कहते हुए आदर्श शिवाय का हाथ छोड़ देते हैं।
कोई काम हुआ तो फोन करना। अब रात में नहीं आऊंगा। कल सुबह मिलते हैं।
ओ के बाय.... शिवाय ने हाथ हिला दिया। आदर्श बाहर निकल गये।
शिवन्या बाहर नहीं थी। आदर्श चुपचाप चले गये। वह चाहते थे कि अपने सवालों के जवाब वह खुद ढूंढें।
शिवन्या खाना लेकर शिवाय के रूम में आती है। आहट पाकर शिवाय आंख खोल देते हैं। शिवन्या प्लेट में निकालने लगती है।
शिवाय खामोशी से उसे देखते हैं।
खाना निकाल कर शिवन्या शिवाय के पास आती है। और सहारा देकर उठाती है।
शिवाय के बैठते ही शिवन्या अपने हाथ से खिलाने लगती है। शिवाय भी खामोशी से खाने लगते हैं।
खाना खिलाकर शिवाय को दवा देकर वह बाहर चली जाती है। वापस आकर शिवाय को लिटा देती है। और फिर बाहर चली जाती है।
खाना खाकर सब समेट कर शिवन्या वापस शिवाय के रुम में आ जाती है। और चेयर पर बैठ जाती है।
तुम जाओ मैं ठीक हूं। शिवाय उसकी तरफ करवट ले लेते हैं।
अब कुछ ठीक लग रहा? शिवाय की बात का जवाब देने के बजाए वह सवाल करती है।
तुम को कैसे पता कि आइसक्रीम खाने से मेरी तबियत खराब हुई है? शिवाय भी जवाब देने के बजाए उलटा सवाल करते हैं।
लगता है आप की तबियत अब ठीक है। कहते ही शिवन्या उठने लगते है। लेकिन शिवाय उसका हाथ पकड़ लेते हैं।
शिवन्या वैसे ही खड़ी-खड़ी शिवाय को देखती है। शिवाय की आंखों में एक रिक्वेस्ट थी। जैसे कह रहे हों मत जाओ। शिवन्या दोबारा बैठ जाती है।
शिवन्या चुपचाप बैठ जाती है। और बेड पर कोहनी रखकर थोड़ा झुक कर शिवाय का सर सहलाने लगती है।
शिवाय एक नज़र उसे देखते हैं। और हाथ बढ़ा कर शिवन्या के बाल से क्लैचर निकाल कर वहीं तकिये के पास रख लेते हैं। शिवाय के ऐसा करते ही उसके बाल आगे आ जाते हैं।
शिवन्या शिवाय को देखती है। लेकिन शिवाय आंख बन्द कर लेते हैं।
कॉफी पीने का मन कर रहा है। जब शिवन्या को लगता है कि शिवाय को नींद आ गई है। वह उठने ही वाली थी कि शिवाय कॉफी का कहते हैं।
शिवन्या चुपचाप उठ जाती है। और कॉफी बना कर लाती है। शिवाय को सहारा देकर उठाती है।
कॉफी पीते ही शिवाय लेट जाते हैं। शिवन्या वहीं कुर्सी पर बैठ जाती है।
नाराज़ हो मेरी बात से? शिवाय को शाम वाली बात याद आ गई।
नाराज़ होती तो इस वक्त यहां पर नहीं होती। मैं आप से मुहब्बत करती हूं। और आप को इस तरह परेशानी में छोड़ कर नहीं जा सकती। शिवन्या बहुत प्यार से कहती है।
तो फिर इतना खामोश क्यों हो? शिवाय ने उदासी से कहा।
अच्छा तो फिर क्या करूं। शिवन्या मुस्कुरा दी।
कुछ नहीं, शिवाय ने आंख बन्द कर ली।
मैं जा रही हूं, आप सो जाएं। शिवन्या उठने लगी। लेकिन शिवाय ने अचानक से उसका हाथ पकड़ लिया।
शिवन्या उठते-उठते दोबारा बैठ गई।
शिवाय अपनी तकिया साइड कर के बिल्कुल किनारे आ गये। और शिवन्या का हाथ अपने सर पर रख लेते हैं।
थोड़ी देर बाद दोनों ही बेखबर सो रहे थे। शिवन्या वहीं बेड पर सर रख कर सो जाती है।
रात में शिवाय की नींद खुलती है तो नज़र सीधे शिवन्या पर जाती है। शिवाय को श्लोका याद आ जाती है। और वह बेखुद हो जाते हैं।
जारी है....
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