डोर धड़कन से बंधी भाग 27 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 27 | Hindi Romantic Story

 आप जल्द से जल्द अपना आईडी प्रूफ जमा करें। वरना हम आप पर कार्यवाही करने के लिए मजबूर हो जायेंगे। और हां जब तक आप आईडी प्रूफ नहीं दे देती। तब तक आप यह जॉब नहीं छोड़ सकती।

शिवाय गुस्से से अपनी बात कह कर अपनी चेयर बैक साइड गुमा लेते हैं।

और शिवन्या चुपचाप खड़ी हैरानी से देखती रह जाती है। और फिर तेज़ी से बाहर निकल जाती है।

शिवाय यह शिवन्या यहां पर क्यों आई थी?

शिवन्या के निकलते ही आदर्श अंदर आते हैं। और हैरानी से शिवाय से पूछते हैं। 

जो अभी भी चेयर का रूख मोड़े बैठे हुए थे।

आदर्श आगे जाकर शिवाय की चेयर की तरफ चले जाते हैं। और हैरानी से शिवाय को देखने लगते हैं। जिस की आंख आंसुओं से भरी हुई थी।

शिवाय मेरे दोस्त क्यों कर रहे हो यह सब? आदर्श दुख से कहता है। उसे अपने दोस्त की तकलीफ देख कर बहुत तकलीफ हुई।

उठो यहां से। आदर्श शिवाय का हाथ थाम कर उठा देते हैं। और सोफे पर बैठा कर खुद भी बैठ जाते हैं। और शिवाय को देखने लगते हैं। जिसके चेहरे पर बरसों की थकन लग रही थी।

उसका आईडी प्रूफ देखना था। शिवाय सर पीछे सोफे पर टिकाते हुए कहते हैं।

क्या हुआ देख लिया फिर? आदर्श के लहजे में नाराज़गी थी।

गुस्सा होकर इस्तीफा दे कर जा रही थी। मैंने भी गुस्से में धमकी दे दी। शिवाय उदासी से बोले। 

लग ही नहीं रहा था कि वहां पर कोई बॉस बैठा है। वहां पर तो एक टूटा हुआ हारा हुआ सख्श बैठा था। जो सब कुछ हार चुका था। लेकिन फिर भी उस उम्मीद में बैठा हो कि शायद वह कोई बाज़ी जीत जाए।

क्या ज़रूरत है उसका आईडी प्रूफ देखने की? आदर्श को यह बात समझ ही नहीं आ रही थी कि वह क्यों देखना चाहता है।

आदर्श मैं उस की तरफ बढ़ रहा हूं। शिवाय हारे हुए से बोले।

यह तो बहुत खुशी की बात है। फिर यह बीच में आईडी प्रूफ कहां से आ गया?

आदर्श शिवाय की बातों से उलझ पड़ा।

मुझे उसके पति के बारे में जानना है। वह क्यों साथ नहीं रहते? कहां है वह? वह क्यों मेरी तरफ बढ़ रही है। पहले दिन से वह मुझ से प्यार का दावा करती है। 

जिस उलझन में शिवाय उलझे थे। अब उस में आदर्श को भी उलझा चुके थे।

कल वह मेरे गले लगी तो मैं पीछे नहीं हट पाया आदर्श।

शिवाय टूटे दिल से कहते हैं।

मेरे दोस्त यह तो बहुत अच्छी बात है। आदर्श खुशी से कहते हैं।

मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा? शिवाय किसी छोटे बच्चे की तरह सवाल करते हैं।

कुछ मत करो यार। बस वही करो जो तुम्हारा दिल कहे। बाकी सब वक्त पर छोड़ दो।

वह बहुत गुस्से में गई है। शिवाय भोलेपन से कहते हैं। जिसे देख कर आदर्श को हंसी आ जाती है।

हंस लो। हंस लो। मेरी बेबसी पर। 

तुम्हारी बेबसी पर नहीं। तुम्हारी मासूमियत पर हंसी आ रही है।

अब जाओ उसे मनाओ। आदर्श हंसते हुए कहते हैं।

मैं नहीं मनाऊंगा। वरना वह खुश हो जायेगी। शिवाय एक बार फिर मासूम बने। 

और आदर्श फिर हंस पड़े।

तो फिर ठीक है रहने दो उसे वैसे ही नाराज़। आदर्श उठते हुए कहते हैं।

आदर्श... शिवाय आदर्श का हाथ थाम लेते हैं।

मैं अब कुछ नहीं कर सकता। आदर्श ने हाथ खड़े कर दिये।

मेरी मीटिंग है मैं जा रहा हूं। आप रूक रहे हैं या घर जा रहे हैं? आदर्श खड़े-खड़े ही पूछते हैं।

घर जाकर क्या करना है अभी? गुस्से में लाल होकर गई है। क्या पता देखते ही कत्ल कर दे। अब शिवाय भी मुस्कुरा दिए।

और बनो बॉस, भूल गये कि घर जाकर बॉस नहीं रहोगे। अब जाओ देखो खाना भी मिलता है या नहीं।

आदर्श हंसते हुए बोले।

मैं बॉस हूं हर जगह। फिर चाहे खाना मिले ना मिले। 

ध्यान रहे खाना मिले ना मिले। लेकिन दिल ना टूटे। कहते ही आदर्श कदम आगे बढ़ा लेते हैं।

और शिवाय सिर्फ देखते रह जाते हैं।

मुझे माफ करना मेरे दोस्त। मैं चाहता हूं अब तुम खुद फैसला लो। एक ऐसा फैसला जिसे तुम्हारा दिल स्वीकार करे।

अपनी केबिन में बैठे आदर्श मन ही मन शिवाय से बातें कर रहे थे। वह चाहते तो शिवाय को और वक्त दे सकते थे। लेकिन वह शिवाय को तन्हाई देना चाहते थे। ताकि वह सोच सके। 

आदर्श की कोई मीटिंग नहीं थी। वह बैठे आगे की बातों पर गौर करने लगे। क्योंकि उसे पता था कि शिवाय एक बार फिर उसी के सामने अपनी उलझन ले कर आयेंगे। और वह चाहता था कि वह उसे सही राय दे सकें। जो शिवाय के लिए बेहतर हो।

जारी है...

डोर धड़कन से बंधी भाग 26

डोर धड़कन से बंधी भाग 28




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