डोर धड़कन से बंधी | भाग 29 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 29 | Hindi Romantic Story

शिवाय हाथ बढ़ाकर उसके बालों से क्लैचर निकाल देते हैं।बिना कुछ बोले। 

शिवन्या के कदम ठहर जाते हैं।

सुबह की बात के लिए सॉरी...

लेकिन शिवन्या कोई जवाब दिये बिना आगे बढ़ जाती है। 

रूको एक मिनट प्लीज़....

शिवन्या रूकती है लेकिन शिवाय की तरफ देखे बिना खडी़ रहती है।

मेरी तरफ देखो। शिवाय के होंठों पर मुस्कान आ गई। उसकी नाराज़गी देख कर।

शिवन्या शिवाय की तरफ मुड़ती है।

मेरी बेबसी देख कर खुशी हो रही है। कहते ही शिवन्या जाने के लिए मुड़ जाती है।

यह मुस्कान तुम्हारी नाराज़गी दूर करने के लिए है। तुम्हारी बेबसी पर मुझे खुशी होगी? इतना ही जान पाई मुझे। कहते ही शिवाय कॉफी का मग उठा कर उससे पहले आगे बढ़ जाते हैं। और वह वहीं खामोश खड़ी देखती रह जाती है।

सुबह शिवाय उठते हैं तो देखते हैं न शिवन्या थी और ना ही सनी था। उनका नाश्ता टेबल पर रखा हुआ था। 

नाश्ता करते ही शिवाय आफिस चले गए।

❤️

अब तुम भी मुझे छोड़ रहे हो।

लंच टाइम शिवाय आदर्श को देख कर कहते हैं।

किसने कहा? आदर्श हैरान हुए।

मैं देख रहा हूं।

अच्छा.... आदर्श हंसे।

आओ लंच करते हैं। आदर्श प्लेट में खाना निकालने लगते हैं। शिवाय भी खामोशी से खाने लगते हैं।

अब बताओ क्या कह रहे थे?

खाना खाकर कॉफी लेकर आदर्श सोफे पर बैठे शिवाय को कॉफी देते हैं। और खुद भी बैठते हुए पूछते हैं।

लेकिन शिवाय जवाब देने के बजाए सिर्फ आदर्श को देखते जाते हैं कि कैसे आदर्श उसकी ज़िन्दगी में आए। और आज वह उसके सबसे करीब है।

शिवाय तुम को याद है हम कैसे मिले थे? आदर्श ने जब शिवाय को खामोश देखा तो खुद ही बात शुरू कर दी।

मैं वह वक्त कैसे भूल सकता हूं। मेरी ज़िन्दगी का सबसे बुरा वक्त था वह। शिवाय के ज़ख्म ताज़ा हो गये।

जब तुम्हारे होटल में आग लगी। तो तुम अपने डैड को आग लगने की खबर मैसेज करते हो।

सुधीर अंकल आग लगने का सुन कर परेशान हो गये। मेरे और तुम्हारे डैड दोस्त थे। लेकिन हम कभी नहीं मिले थे। क्योंकि मैं हमेशा से सिंगापुर रहा। और मेरी फैमिली इंडिया में।

पढ़ाई के बाद मेरी जॉब भी यहीं लग गई। और मैं यहीं का होकर रह गया। मुग्धा की फैमिली भी यहीं थी। इस लिए मौम की पसंद को देखते हुए मैंने मुग्धा से शादी कर ली। जो उनकी दोस्त की बेटी थी।

तुम्हारे होटल में आग लगने की बात सुधीर अंकल ने डैड को बताई। और डैड ने मुझे फोन करके तुम्हारे बारे में पता करने के लिए कहा।

मैं उसी वक्त तुम्हारे होटल पहुंचा। पूरा होटल आग की लपेट में आ चुका था। फायर ब्रिगेड आग को बुझाने में लगी थी।

मैं कितनी ही देर बाद तुम से मिला था। सारे लोगों को वहीं पास के एक होटल में भेज दिया गया था।

जब मैं मोबाइल से तस्वीर दिखा कर किसी तरह तुम्हारे पास पहुंचा तो तुम बेतहाशा रो रहे थे।

इतना कह कर आदर्श रूके। शिवाय की तरफ देखा। जिस की आंख में इस वक्त भी आंसू थे।

तुम से मिल कर मैंने पहले अंकल को खबर दी कि तुम ठीक हो। लेकिन फिर तुम ने जब बताया कि श्लोका नहीं मिल रही है तो मेरे होश उड़ गये। 

तुम मुझे तसल्ली दे रहे थे कि श्लोका मिल जायेगी। लेकिन दिल उसे देखने के लिए बेचैन था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कहां से उसे ढूंढ लाऊं।

जब सीढ़ी पर भगदड़ हुई। और हमारा हाथ छूट गया। उसके बाद वह मुझे नहीं मिली। कहते-कहते शिवाय रो पड़े।

हम ने उसे कहां नहीं ढूंढा। अस्पताल जख्मी लोगों में वह नहीं थी। हम ने बड़ी हिम्मत करके मरे हुए लोगों में चेक किया। लेकिन वह नहीं मिली। हम ने हर उस जगह उसे ढूंढ़ा जहां पर उस होटल के लोगों को रखा गया था। लेकिन वह नहीं मिली। उस आग में हज़ारों लोगों की जान गई।

कोई गिनती नहीं कोई जानकारी नहीं। क्योंकि सब कुछ जल चुका था।

शिवाय मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं तुम को कैसे सम्हालूं। तुम श्लोका के लिए पागल हो रहे थे। कभी-कभी तो मुझे डर लगने लगता था कि कहीं तुम सच में पागल ना हो जाओ।

तुम को किसी बात का होश नहीं था। खाना-पीना कपड़े तुमको किसी भी बात से मतलब नहीं था। तुम को सिर्फ श्लोका से मिलना था। तुम्हारी एक ही रट थी मुझे श्लोका से मिलना है।

हमारी कोशिश जारी थी। तुम को अंकल ने इंडिया बुलाया। लेकिन तुम नहीं गये। तुम श्लोका को ढूंढ़ते रहे। 

सुधीर अंकल यहां आये। उन्होंने तुम को बहुत समझाया। कि इंडिया चलो। श्लोका मिलेगी तो हमारे पास आ जायेगी। हम ने हर जगह उसकी मिसिंग का बोल दिया है। लेकिन तुम नहीं गये।

अंकल को तुम्हारी फिक्र थी। वह श्लोका को तो खो ही चुके थे। वह तुम को खोना नहीं चाहते थे।

लेकिन तुम एक ही बात कहते थे कि श्लोका मुझे ढूंढ़ते हुए आयेगी तो मैं उसे मिलूं।

तुम्हारी मुहब्बत देख कर मुझे हैरत होती थी। ऐसी मुहब्बत मैंने सिर्फ किताबों में पढ़ी थी। या फिर फिल्मों में देखी थी। मुझे हैरत होती थी कि कैसे कोई किसी से इतनी मुहब्बत कर सकता है।

आदर्श की आंख भी नम हो चुकी थी। वह खामोश हो गये।

काश! उसका मोबाइल उस के पास होता तो वह मुझे मिल जाती। शिवाय एक बार फिर पछताए।

मैंने उस का और अपना दोनों फोन अपनी पाकेट में रख लिया। मुझे लगा यह ज़्यादा सेफ रहेगा। लेकिन मैं गलत रहा आदर्श। अगर उसका फोन उसके पास होता तो वह जहां भी होती मुझे फोन तो करती।

वह मेरी वजह से मुझे नहीं मिल रही है। मेरी गलती से आज वह मेरे पास नहीं है। शिवाय को एक बार फिर अपनी गलती पर अफसोस होता है।

नहीं शिवाय मैंने कितनी बार कहा है कि उस में तुम्हारी कोई गलती नहीं है। वही होना था। 

सुधीर अंकल वापस इंडिया चले गए। क्योंकि वहां आफिस का काम भी देखना था। तुम को किसी चीज़ से कोई मतलब नहीं था। तुम्हारा सिर्फ एक ही मकसद था। श्लोका को ढ़ूंढ़ना।

लेकिन वह मुझे नहीं मिली आदर्श। पता नहीं वह कहां छिप कर बैठी है। एक बार वह मुझे मिल जाए। फिर देखना मैं उसे कहीं जाने ही नहीं दूंगा। कहते हुए शिवाय मुस्कुरा दिए। लेकिन उसकी आंख से आंसू बह रहे थे।

जारी है....

डोर धड़कन से बंधी भाग 28

डोर धड़कन से बंधी भाग 30



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