डोर धड़कन से बंधी | भाग 30 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 30 | Hindi Romantic Story
लेकिन वह मुझे नहीं मिली आदर्श। पता नहीं वह कहां छिप कर बैठी है। एक बार वह मुझे मिल जाए। फिर देखना मैं उसे कहीं जाने ही नहीं दूंगा। कहते हुए शिवाय मुस्कुरा दिए। लेकिन उसकी आंख से आंसू बह रहे थे।
तुम्हारी मुहब्बत देखकर ही तो मैंने जाना कि मुहब्बत क्या होती है। आदर्श शिवाय का हाथ थाम कर कहते हैं।
तुम मेरे करीब आते गए। हमारी दोस्ती बढ़ती गई। धीरे-धीरे मेरे दिल के हर राज़ तुम पर खुलते गये। और आज देखो हम एक-दूसरे के बगैर एक दिन नहीं रह सकते।शिवाय अपने हाथ पर रखे आदर्श के हाथ को पुश करते हुए कहते हैं।
कहते हैं वक्त हर ज़ख्म भर देता है। मेरा भी ज़ख्म भरने लगा। श्लोका को ढूंढ़ने के साथ-साथ मैंने अपनी यहां पर कम्पनी खोल ली। तुम मेरे लिए अपना काम छोड़कर यहां मेरे साथ काम करने लगे।
उस के बाद से मैं इंडिया नहीं गया। मैंने उसी जगह अपना आफिस खोला। जहां हम अलग हुए थे कि अगर श्लोका मुझे ढूंढ़ते हुए आये तो मैं उसे मिल जाऊं।
शिवाय सिंह ओबेरॉय का बोर्ड चमक रहा है। लेकिन वह पता नहीं कहां है कि उसको नहीं दिखा। शिवाय एक बार फिर ना उम्मीद हुए।
श्लोका तो मिली नहीं। लेकिन तुम शिवन्या को ले आये। इस ने आकर मेरी ठहरी हुई ज़िंदगी में हलचल मचा दी। मैं जो खामोशी से श्लोका की यादों के साथ ज़िंदगी गुज़ार रहा था। इस ने आकर मेरी शांत ज़िंदगी में कंकर फेंक कर हलचल मचा दी।
अंकल कब आ रहे हैं? आदर्श ने बात बदल दी। उससे अब शिवाय का दुख देखा नहीं जा रहा था।
सिर्फ डैड नहीं सब लोग आ रहा है। मौम डैड अमोल और अराध्या।
डैड चाहते हैं कि अब मैं शादी कर लूं। सब लोग मुझे मनाने आ रहे हैं। अपनी बात कह कर शिवाय खुद ही खुद पर हंस पड़े।
यह तो बहुत अच्छी बात है। डाक्टर खन्ना भी वापस आ रहे हैं। एक साथ सब बात फाइनल हो जायेगी। आदर्श खुशी से कहते हैं।
कौन सी बात फाइनल हो जायेगी? शिवाय हैरान हुए।
तुम्हारी और शिवन्या की शादी की बात। आदर्श अब खुल कर हंसे।
यह तुम ने कैसे सोच लिया? शिवाय भी हंसे।
हम तो ऐसे ही सोचते हैं। आदर्श ने खुद की तारीफ की।
तुम को लगता है वह मुझ से शादी करेगी?
तुम करोगे ना?
अच्छा मैं करूंगा? मुझे तो पता ही नहीं था।
नहीं पता तो अब पता कर लो।
और श्लोका? शिवाय के मन में तो श्लोका ही छाई हुई थी।
तुम शिवन्या के करीब क्यों आये? आदर्श सीरियस हो गये।
क्योंकि इसकी आदतें, इसकी बातें श्लोका जैसी हैं। शिवाय भी सीरियस हो गये।
तो फिर समझ लो। यही तुम्हारी श्लोका है। आदर्श ने फैसला सुनाया।
आज रात अकेले में सुकून से मेरी बात पर गौर करना। अगर तुम्हारी धड़कन शिवन्या को कुबूल कर ले तो आगे बढ़ जाना।
वरना डाक्टर खन्ना आ ही रहे हैं। वह चली जायेगी। और तुम भूल जाना कि कभी कोई श्लोका जैसी शिवन्या तुम्हारी ज़िन्दगी में आई थी।
फिर कोई तुम से शादी की बात नहीं करेगा। मैं अंकल से बोल दूंगा कि वह अमोल और अराध्या की शादी कर दें।
आदर्श एक के बाद एक फैसला सुना रहे थे।
यह आज तुम किस मूड में हो? शिवाय हंस दिये।
इस मूड में मुझे बहुत पहले आ जाना चाहिए था। खैर कोई बात नहीं देर आयद दुरुस्त आयद.... आदर्श हंसे।
मुझे अब तुम से डर लगने लगा है। शिवाय ने डरने की ऐक्टिंग की।
और शिवाय की शक्ल देख कर आदर्श भी हंस पड़ें।
चलो कुछ काम कर लिया जाए। आदर्श उठ गए।
तुम काम करो। मैं घर जा रहा हूं। शिवाय भी उठते हुए कहते हैं।
आदर्श बहुत ध्यान से शिवाय को देखते हैं। और बाहें फैला देते हैं।
और शिवाय बिना रुके आदर्श के गले लग जाते हैं।
उसे मना लेना! आदर्श शिवाय के कान में धीरे से कहते हैं। और शिवाय की पीठ थपथपा देते हैं।
दोनों बाहर निकल जाते हैं। आदर्श अपने केबिन में चले जाते हैं। और शिवाय बाहर निकल जाते हैं।
शिवाय के मन में कुछ तो चल रहा था।
लेकिन क्या...
शायद वह भी यह जानने के लिए बैचैन था। शायद इसी लिए वह घर जा रहा था। घर जाकर उसे सुकून मिलेगा या फिर कोई और उलझन उसका इंतेज़ार कर रही है। वह नहीं जानता। लेकिन उस के कदम बहुत तेज़ी से बढ़ रहे थे।
जारी है...
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