डोर धड़कन से बंधी | भाग 32 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 32 | Hindi Romantic Story

कुछ समझने की कोशिश मत करो। जो हो रहा है होने दो। शिवाय एक बार फिर खोने लगे।

मुहब्बत का यह सफर आसान नहीं था।

खाना खाते ही दोनों बाहर निकल गये। ड्राइविंग शिवाय ने सम्हाल ली।

अब यहां? शिवाय के गाड़ी रोकने पर शिवन्या पूछती है।

आओ तो... शिवाय उतर गये। शिवन्या भी उतर गई।

तुम्हारे लिए आइसक्रीम और चाकलेट लेना है। शॉप की तरफ बढ़ते हुए शिवाय कहते हैं। और शिवन्या हैरानी से शिवाय को देखती है। लेकिन वह तो अपनी ही धुन में मग्न थे।

ना जाने कितनी ही चाकलेट और आइसक्रीम शिवाय रखते गये। वह मना करती रह गई। लेकिन वहां सुनने वाला कौन था।

इतनी सारी चाकलेट और आइसक्रीम का मैं क्या करूंगी? घर पहुंचकर शिवन्या हैरानी से पूछती है।

खाओगी और क्या करोगी। शिवाय लापरवाही से कहते हैं। 

और मेरे दांत खराब हो गये तो? 

कुछ नहीं होगा। कहते हुए शिवाय रूम में चले गए। और चेंज करने लगे।

चेंज करते ही शिवाय लेट गए। और स्क्रीन आन कर दी। और उसमें खो से गये।

स्क्रीन पर शिवाय और श्लोका डांस कर रहे थे। एक यही फोटो और वीडियो था जो उसके पास श्लोका की निशानी थी। जिसे रवि ने उसे भेजा था। जो उस ने अपनी शादी पर बनवाई थी।

रवि ने जब उसे यह फोटो और वीडियो भेजी तो वह फूट-फूट कर रोया था। यह तस्वीर उसकी ज़िन्दगी की यादगार तस्वीरें थी। 

श्लोका के साथ किया गया डांस वह लम्हा था जब शिवाय बहुत खुश थे। और आज शिवाय जब देखते हैं तो सिर्फ रोते हैं।

इस वक्त भी शिवाय श्लोका में खो जाना चाहते थे।

मिस्टर ओबेरॉय....शिवन्या दरवाज़े पर नॉक करके अंदर आती है। 

शिवाय स्क्रीन बन्द कर देते हैं।

आप की कॉफी... 

और तुम्हारी?

यह रही मेरी आइसक्रीम...

शिवन्या आइसक्रीम के डिब्बे की तरफ इशारा करती है। 

गुड....शिवाय मुस्कुरा दिए। उन की आंखों में कुछ मंज़र घूम गये।

नाराज़गी दूर हुई?

नहीं,

कोई बात नहीं दूर हो जायेगी। लेकिन यहां से जाने का सोचना भी मत। शिवाय ने एक बार फिर वार्निंग दी।

और अगर चली गई तो?

जाकर तो दिखाओ। फिर देखना मैं क्या करता हूं। शिवाय हक से कहते हैं।

और शिवन्या सिर्फ शिवाय को देख कर रह जाती है।

अब आप आराम करें। शिवाय की कॉफी खत्म होते ही शिवन्या उठ जाती है।

दो मिनट के लिए आना इसे रख कर। वह जैसे ही दरवाज़े से जाने लगती है। शिवाय कहते हैं।

कोई काम?

उसे रख कर आओ।

और शिवाय लेट कर आंख बन्द कर लेते हैं।

क्या हुआ? शिवन्या वापस आती है। और शिवाय को सोता देख कर हैरान रह जाती है। मुझे बुला कर खुद सो रहे हैं।

इधर बैठो। उसे बेड के पास रखी कुर्सी की तरफ इशारा करते हैं।

वह खामोशी से बैठ जाती है।

शिवाय एक नज़र उसे देखते हैं। और उसका हाथ अपने माथे पर रख लेते हैं।

शिवन्या हैरानी से उन्हें देखती है।

कुछ मिनट फिर चली जाना। कहते ही शिवाय आंख बन्द कर लेते हैं।

जैसे ही शिवन्या का हाथ उसके बालों में चलने लगता है शिवाय के होंठ हिलते हैं।

श्लोका....

शिवाय उसका हाथ अपने सर से उठा कर होठों को लगा लेता है। और दोबारा उसका हाथ अपने सर पर रख देता है। 

शिवन्या खामोशी से उस की एक-एक हरकत को देख रही थी।

कितनी ही देर वह वैसे ही बैठी शिवाय के सर का मसाज करती रही। जब उसे लगा कि शिवाय सो चुके हैं। तब वह अपने रूम में चली गई।

❤️

रिजॉर्ट सेमिनार में जाने वालों की फाइनल लिस्ट बन गई है। एक बार चेक कर लें।

शिवाय के मैनेजर शिवाय के सामने लिस्ट करते हैं। 

शिवाय एक नज़र लिस्ट को देखते हैं। और फिर कुछ सोच कर लिस्ट वहीं बैठे आदर्श की तरफ बढ़ा देते हैं।

आप जाएं। यह लिस्ट आदर्श सर फाइनल करके आप को बता देंगें।

फाइनल तो है यह लिस्ट। अब इस में क्या करना है?

आदर्श हैरान हुए।

मुग्धा और शिवन्या भी जायेंगी। कहते ही शिवाय लैपटॉप पर नज़र जमा लेते हैं।

इधर देखो मेरी तरफ....आदर्श मुस्कुरा दिए।

क्या हुआ? शिवाय भी मुस्कुरा पड़े।

रूम तुम दोनों का एक ही रहेगा? आदर्श इस वक्त मूड में थे।

हां, क्यों नहीं.... शिवाय भी हंसे।

अच्छा लगा तुम को खुश देख कर। 

मेरा मन भी आज बहुत हल्का लग रहा है। शिवाय सच्चाई बताते हैं।

अपने लोगों का दो दिन का बुक कर लेते हैं। पहले दिन सेमीनार है। उसी में सारा दिन निकल जायेगा। आदर्श उठ खड़े हुए।

हां ठीक है।

❤️

मिस्टर ओबेरॉय कॉफी....

डिनर के बाद शिवन्या कॉफी लेकर आती है। शिवाय हॉल में बैठे फिल्म देख रहे थे।

आओ तुम भी बैठो। शिवाय हाथ से अपने बगल में सोफे पर इशारा करते हैं।

वह चुपचाप अपना मग लेकर बैठ जाती है। और स्क्रीन पर नज़र जमा देती है।

शिवाय हाथ बढ़ाकर उसके बालों से क्लैचर निकाल कर उसको अपनी शर्ट पर लगा लेते हैं।

शिवन्या हैरानी से शिवाय को देखती है। इधर कुछ दिनों से शिवाय का रवैया बिल्कुल बदला हुआ था। लगता ही नहीं था कि यह वही पुराने शिवाय सिंह ओबेरॉय हैं। जो बात-बात पर गुस्सा हो जाते थे।

यह शिवाय सिंह ओबेरॉय तो हर वक्त मुहब्बत लुटाते रहते हैं।

क्या देख रही हो? अच्छा लग रहा हूं ना? बहुत ध्यान से खुद को देखता पाकर वह पूछ लेते हैं।

ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नहीं है। शिवन्या एक बनावटी मुक्का उस पर तानती हुए उठती है। और वहां से जाने लगती है।

सुनो....

हूं....

अच्छा लग रहा हूं ना?

हूं...

थैंक्स....

शिवाय दिल से मुस्कुरा दिए। शायद बहुत दिनों के बाद।

वह मुहब्बत जिसे शिवाय दो साल पहले जी रहे थे। वही मुहब्बत वह दोबारा जीने लगे थे। खुशी उन के हर अंदाज़ में झलकती थी।

जारी है...

डोर धड़कन से बंधी भाग 31

डोर धड़कन से बंधी भाग 33




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