डोर धड़कन से बंधी | भाग 33 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 33 | Hindi Romantic Story

 वह मुहब्बत जिसे शिवाय दो साल पहले जी रहे थे। वही मुहब्बत वह दोबारा जीने लगे थे। खुशी उन के हर अंदाज़ में झलकती थी।

❤️

सब तैयारी हो गई?

मैं क्या करुंगी जाकर? आप की मीटिंग है आप जाएं।

शिवाय कल से उसे मना रहे थे। लेकिन वह जाने के लिए तैयार ही नहीं हो रही थी।

जो मैं करूंगा वही करना। तैयारी कर लो। इस बारे में अब कोई बात नहीं होगी।

शिवाय फाइनल फैसला देते हैं। जिसे सुनकर शिवन्या नाराज़गी से अंदर जाने लगती है।

शिवाय उठ कर बहुत तेज़ी से उस के सामने जाते हैं। और उसे देखने लगते हैं।

नाराज़ हो?

नहीं....

तो फिर?

पता नहीं क्यों दिल नहीं मान रहा जाने का। वरना आप के साथ कहीं जाने पर मुझे खुशी होती है। आप भी मत जाएं। किसी और को भेज दें।

शिवन्या उदासी से कहती है।

तुम बेकार की बातें मत सोचो। बस अब तैयारी कर लो।

शिवाय उसको खुद से लगा कर साइड हग करते हैं। और बहुत प्यार से उसको प्यार करते हैं।

शिवाय के होंठों की छुअन और नज़दीकी।

दोनों की ही धड़कन बहुत तेज़ हो गई थी। यूं जैसे उनके सांसों की डोर धड़कन से बंधी हो।

शिवाय के दिल ने मान लिया था कि वह शिवन्या से मुहब्बत करते हैं।

उनकी धड़कन तो शिवन्या को देख कर पहले दिन ही तेज़ हो गई थी। लेकिन वह अपनी धड़कन के शोर को डांट कर खामोश करा देता थे।

मगर वक्त के साथ शिवन्या उसके करीब आती गई। श्लोका जो परछाई बन कर शिवन्या के साथ थी।

उस की हर आदत में श्लोका थी। और शिवाय श्लोका को ढूंढ़ता हुआ शिवन्या तक पहुंच गया।

आप जाएं सो जाएं। ठीक है मैं चल रही हूं। 

उसकी नज़दीकी से घबरा कर शिवन्या पीछे हटते हुए जल्दी से कहती है।

थैंक्स कहते ही शिवाय एक बार फिर उसके माथे पर अपने प्यार की मुहर लगा कर पीछे हट जाते हैं।

और शिवन्या अपनी बेतरतीब होती धड़कन को सम्हालती रुम में चली जाती है।

♥️

यह क्या? 

शिवाय हैरानी से सब को एक ही गाड़ी में बैठा देख कर पूछते हैं।

यह शिवन्या मैडम का हुक्म है कि हम सब एक गाड़ी से चलें। 

आदर्श शिवन्या की तरफ इशारा करते हैं। जो गाड़ी में पीछे मुग्धा के साथ बैठी हुई थी।

आइए बैठिए! और क्या कर सकते हैं? आदर्श शिवाय को अपने बगल में बैठने का इशारा करते हैं।

शिवाय एक नज़र शिवन्या को देखता है। जो उसे ही देख रही थी। और खामोशी से बैठ जाते हैं।

शिवाय शिवन्या का साथ चाह रहे थे। बिल्कुल वैसे ही जैसे श्लोका उस के साथ होती थी। वह शिवन्या से बहुत सारी बातें करना चाहता था। जो वह श्लोका से करते थे।

लेकिन शिवन्या उसके सारे प्रोग्राम को बिगाड़ देती है।

क्यों सर जी बहुत खामोश लग हैं क्या बात है? आदर्श गाड़ी चलाते हुए शिवाय से पूछते हैं। जो खामोश बैठे हुए थे। जबकि मुग्धा और शिवन्या पीछे बैठी बातें कर रही थी।

पीछे वाली मैडम की बातें सुन रहा हूं। शिवाय मुस्कुरा दिए।

हां तब ठीक है। वरना मुझे टेंशन हो गई कि कहीं कुछ और बात तो नहीं। आदर्श कुछ इशारा करते हुए शिवाय से कहते हैं। जिसे समझ कर शिवाय हंस पड़ते हैं।

तुम ना मुझे कुछ देर सुकून से बैठने भी नहीं दोगे। 

शिवाय नाराज़गी से कहते हैं।

वह क्या है ना जानेमन..... हम आप को उदास नहीं देख सकते। आप मुस्कुराते हुए अच्छे लगते हैं। आदर्श फुल मस्ती में थे।

शिवाय ज़ोर से हंस पड़े।

अब समझ में आ रहा है कि आदर्श को हर वक्त आफिस की क्यों पड़ी रहती है।

मुग्धा हंसते हुए कहती है। 

अरे भई आफिस काम करने जाता हूं। आदर्श ने सफाई दी।

मेरे सब समझ में आ रहा है। वर्कर को काम देकर आप दोनों ऐसे ही मस्ती करते हैं। 

सिग्नल पर गाड़ी रूकी हुई थी। 

शिवाय मेरी जान है। इस के बिना मैं नहीं रह सकता। आदर्श शिवाय की तरफ झुकते हैं। और शिवाय उसके गले में बाहें डाल देते हैं।

पीछे बैठी लेडिस हम से जल रही हैं। आदर्श सीधा होकर आंख पिंच करके शिवाय से कहता है।

और सब एक साथ बहुत ज़ोर से हंस पड़ते हैं।

.....

शाम को मिलते हैं। तुम लोग लंच कर लेना। 

वहां पहुंते ही फ्रेश होकर शिवाय और आदर्श सेमिनार में चले जाते हैं। सेमीनार के बाद उन को वहीं पर लंच भी करना था।

♥️

थोड़ा आराम कर लें। फिर मिलते हैं। आदर्श अपने रुम में जाते हुए कहते हैं।

हूं, सेमिनार अच्छे से हो गया। यह सबसे अच्छी बात है।

शिवन्या भी अपने रूम में है? अपने रूम में जाते-जाते शिवाय आदर्श से पूछते हैं।

हां, वह भी आराम कर रही होगी। फिर मिलते हैं।

हां ठीक है फिर...

दोनों अपने रूम में चले जाते हैं।

.....

एक दिन तो यूं ही चला गया। रात में डिनर के बाद वह सब एक साथ बैठे हुए थे। जब मुग्धा कहती है।

कोई बात नहीं रात अभी बाकी है। आदर्श मुस्कुराए।

अभी थोड़ी देर में गेम्स स्टार्ट होने वाला है। शिवाय ने खबर दी।

चलो चलते हैं। शिवन्या उठ खड़ी हुई।

मुझे नहीं जाना है। बेकार में हार जाऊंगी। मुग्धा ने हाथ खड़े कर किए।

हारने के डर से खेलना छोड़ दें। यह सही बात नहीं है।

चलें ना मिस्टर ओबेरॉय हम चलते हैं। शिवन्या शिवाय का हाथ पकड़ कर उठाती है।

मुझे नहीं खेलना यार....गेम खेले ज़माना हो गया। शिवाय ने मना किया।

ठीक है तब मैं भी नहीं जा रही। शिवन्या भी नाराज़गी से बैठ जाती है।

चलो.... शिवाय उठ खड़े हुए।

शिवन्या भी खुशी से उठ गई।

जाओ दोस्त जीत कर आना। हम यहां से देख रहे हैं। आदर्श मुस्कुरा कर शिवाय को आल द बेस्ट बोलते हैं।

यह म्यूज़िकल चेयर वाला गेम कितना पुराना है। लेकिन आज तक चल रहा है। 

जैसे ही म्यूज़िकल चेयर गेम का एनाउंस होता है। शिवाय शिवन्या से कहते हैं।

सही कह रहे हैं आप। लेकिन खेलने में मज़ा आता है। पूरे टाइम ध्यान चेयर और म्यूज़िक पर रहता है कि कब ना म्यूज़िक बन्द हो जाए। और चेयर मिल जाए। 

शिवन्या खुशी से कहती है।

सिर्फ तुम्हारे लिए आया हूं। वरना स्कूल के बाद कभी कोई गेम नहीं खेला हूं।

शिवाय शिवन्या के चेहरे की खुशी देख कर कहते हैं।

आप ने मेरी खुशी के बारे में सोचा। उस के लिए थैंक्स। 

कभी-कभी दूसरों की खुशी में अपनी भी खुशी शामिल होती है। शिवाय शिवन्या का हाथ पकड़ कर कहते हैं। अब वह शिवन्या को क्या बताते कि उस के साथ के लिए वह यहां तक आ गये। 

जारी है...

डोर धड़कन से बंधी भाग 32

डोर धड़कन से बंधी भाग 34




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