डोर धड़कन से बंधी | भाग 4 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 4 | Hindi Romantic Story
क्यों ना बोलती। वैसे भी वह बिल्कुल भी अच्छी नहीं है। जब तक मैं नहीं थी तो ठीक था। लेकिन अब मैं हूं तो कोई नहीं।
शिवन्या बहुत प्यार से शिवाय को देख कर कहती है। और अपना खाना कम्पलीट करने लगती है। और शिवाय उसे देखते रह जाते हैं।
शिवाय की नज़र शिवन्या पर टिकी थी क्योंकि शिवाय समझ गये थे कि उन्हें क्या करना है।
खाना खाते ही शिवाय उठ जाते हैं। शिवन्या सब समेट कर रूम में चली जाती है। लेकिन थोड़ी ही देर बाद वह टैरिस पर थी।
तुम यहां क्या करने आई हो? शिवाय पहले से ही टैरिस पर थे। और सिगरेट पी रहे थे। उसे देख कर हैरान रह गये।
मुझे पता था आप सिगरेट पी रहे होंगे। इस लिए मैं यहां आई। शिवन्या नाराज़गी से कहती है।
और उसकी बात पर शिवाय हैरान रह जाते हैं।
तुम को कैसे पता कि मैं सिगरेट पी रहा हूं? शिवाय ने जानना चाहा।
टेंशन में सिगरेट ही तो याद रहती है। शिवन्या जल्दी से कहती है।
मैं जा रही हूं सोने, इस के बाद मत पीना। कहते ही शिवन्या वापस मुड़ती है।
सुनो,
जी,
कुछ नहीं, जाओ।
शिवाय खामोश हो गये। शिवाय की टेंशन बढ़ चुकी थी।
इसे कैसे पता कि मैं टेंशन में सिगरेट पीता हूं। शिवाय सोचे जा रहे थे। मगर उनके पास कोई जवाब नहीं था। वह अंदर चले गये। देखा वह हॉल में बैठी फिल्म देख रही थी।
आइये फिल्म देखते हैं। वह शिवाय को देख कर बैठने को कहती है।
लेकिन शिवाय उसकी बात को अनसुना करके अंदर जाने लगते हैं।
मिस्टर ओबरॉय आइये ना। शिवन्या एक बार फिर कहती है। और उठ कर शिवाय के पास चली जाती है।
चलिए ना अकेले मज़ा नहीं आ रहा फिल्म का। कहते ही शिवाय का हाथ पकड़ कर सोफे पर जाकर बैठ जाती है। शिवाय भी खामोशी से बैठ जाते हैं। दोनों फिल्म देखने लगते हैं।
तुम को कैसे पता कि मैं टेंशन में सिगरेट पीता हूं? शिवाय की सूई अभी उसी बात पर अटकी हुई थी।
ऐसा मैंने देखा है इस लिए कहा। और छोटी-छोटी बातों में टेंशन ना लिया करें। सब ठीक हो जायेगा।
शिवन्या शिवाय को देख कर कहती है।
और शिवाय उसे देखते रह जाते हैं। यह कौन है? कहां से आई है? क्यों आई है? लेकिन शिवाय के पास उसके किसी भी सवाल का जवाब नहीं था।
कुछ अपने बारे में बताओ। अचानक शिवाय उस से पूछते हैं।
और वह हैरानी से शिवाय को देखने लगती है।
मैं आप को अच्छी लगती हूं। आप को मुझ से प्यार हो गया। इस लिए आप यह पूछ रहे हैं ना? मुझे भी आप अच्छे लगते हैं। मुझे भी आप से प्यार हो गया। लेकिन मैंने तो आप से कुछ नहीं पूछा।
मुहब्बत लफ्ज़ो की मोहताज नहीं होती है। वह तो खामोशी से हो जाती है। और फिर कुछ भी जानने की ज़रूरत नहीं रहती है। शिवन्या किसी ज्ञानी की तरह बोल रही थी। और शिवाय हैरानी से उसे देख रहे थे।
क्या हुआ ऐसे क्यों देख रहे हैं? शिवन्या हैरानी से शिवाय से पूछती है।
कल तुम आई हो। और आज तुम को मुझ से प्यार हो गया? शिवाय हैरानी से उसे देखते हुए पूछते हैं।
आज नहीं कल, मुझे कल ही आप से प्यार हो गया था। शिवन्या खुशी से कहती है।
दिमाग खराब है तुम्हारा। जाकर सो जाओ। और मेरा दिमाग खराब मत करो। कहते ही शिवाय उठ खड़े हुए। और रूम में जाने लगे।
मेरी गलती थी जो मैं तुम्हारे पास बैठा। शिवाय गुस्से में कहते हैं।
मिस्टर ओबरॉय मेरी मुहब्बत कुबूल कर लें। सुकून मिल जायेगा। शिवन्या ज़ोर से कहती है।
शिवाय के कदम ज़रा सा ठहरते हैं। लेकिन फिर वह रूम में चले जाते हैं।
चेंज करते हुए शिवाय उसे ही सोचे जा रहे थे।
वह कैसे ऐसी बातें कर गई। और मैं खामोशी से सुनता रहा। वरना कोई इस तरह की बातें उस से नहीं करता है। क्योंकि हर कोई जानता है कि मैं श्लोका के सिवा किसी और का नाम सुनना भी नहीं चाहता हूं। कल मैं इसे अच्छे से समझा दूंगा। यही सोचते हुए शिवाय लेट गये।
जारी है....
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