डोर धड़कन से बंधी | भाग 66 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 66 | Hindi Romantic Story
तभी बाहर से हाजी साहेब के तेज़-तेज़ बोलने की आवाज़ें आने लगती हैं। शायद वह लोग बाहर ही थे। कमरा इतना पास था कि बाहर की आवाज़ आसानी से अंदर आ रही थी।
एक तो मियां तुम कुछ करोगे नहीं, ऊपर से तुम्हारी अम्मा दरियादिली दिखाते हुए चूड़ियां भी वापस कर आई हैं। सोचा था एडवांस के पैसों से दुकान किराए पर लेकर तुम को उस दुकान पर लगा दूंगा। लेकिन तुम्हारी अम्मा ने सब चौपट कर दिया।
मैंने दुकान के लिए बात कर लिया है। पैसों का इन्तेज़ाम हो जाए तो दुकान पर लग जाओ। बहुत सुन ली मैंने तुम्हारी बात, अब और नहीं।
हाजी साहेब गुस्से में बोलते जा रहे थे।
नानू मुझे थोड़ा सा और वक्त दे दीजिए, मैं कोशिश कर रहा हूं, जल्द ही कोई अच्छी जॉब मिल जायेगी। मैं यह चप्पल की दुकान नहीं चला सकता। राहिल नाराज़गी से कहता है।
तुम्हारे कहने पर कब से इंतेज़ार कर रहा हूं, अब और नहीं। तुम अपनी डिग्रियों और शौक को लपेट कर गंगा में फेंक आओ। और चुपचाप से दुकान सम्भालो।
हाजी साहेब एक बार फिर नाराज़ हुए।
अम्मा…राहिल असमा की तरफ मदद के लिए देखता है।
बहुत सुन लिया तुम्हारी, और तुम्हारे अम्मा की बात, अब और नहीं।
हाजी साहेब आज बहुत नाराज़ थे। एक तो राहिल उन की बात नहीं सुन रहा था, दूसरे असमा के चूड़ियां वापस करने पर।
नानू, हमारी अम्मा आप की बेटी भी लगती हैं। आप हमेशा हमारी अम्मा को ही सुनाते हैं। अपनी बेटी को कुछ नहीं कहते।
सबा हंसते हुए अपने नानू के पास जाती है और उन के गले में बांहें डाल कर कहती है।
क्यों कहूं मैं अपनी बेटी को कुछ? वह तो बहुत अच्छी है। हाजी साहेब भी मुस्कुरा कर कहते हैं।
अंदर बैठे श्लोका और शिवाय के होंठों पर भी उन की बातें सुनकर मुस्कान आ जाती है।
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शिवाय रूम में गया क्या?
सुधीर जी शिवाय की तरफ आते हैं, शिवाय गांव में स्कूल के लिए बिल्डिंग बनवा रहा था जिस की देख-रेख सुधीर जी ही कर रहे थे। उसी सिलसिले में वह शिवाय से कुछ बात करने आए थे।
उन को पता था शिवाय इस वक्त नीचे फैमिली के साथ ही रहता है।
लेकिन शिवाय को ना देख कर वह वहां पर बैठे प्रेम से पूछते हैं।
डैड नहीं है…प्रेम धीरे से कहता है।
नहीं हैं मतलब? कहीं गए हैं? सुधीर जी को थोड़ा अजीब लगा।
डैड घर छोड़ कर चले गए हैं। प्रेम जल्दी से कहता है।
क्या? सुधीर जी अपनी जगह से उठ खड़े होते हैं।
लेकिन क्यों? शिवाय इस तरह का फैसला नहीं ले सकता।
सुधीर जी गुस्से से कहते हैं।
लेकिन इस बार उन्होंने फैसला ले लिया। काजल जल्दी से कहती है।
तुम खामोश रहो…मैं प्रेम से बात कर रहा हूं। सुधीर जी का ग़ुस्सा बढ़ता जा रहा था।
हां आदर्श अभी तुरंत यहां आओ, शिवाय घर पर नहीं है। सुधीर जी आदर्श को फोन करते हैं।
मदन उधर से अमोल को बुला कर लाओ, वहां पर खड़े स्टाफ से सुधीर जी कहते हैं और चुपचाप बैठ जाते हैं।
क्या हुआ डैड? इतना जल्दी में बुलाया। अमोल परेशानी से पूछता है। अमोल के साथ ममता जी भी आ गईं थीं।
हां,बैठो…आदर्श को आने दो। सुधीर जी उसे बैठने का इशारा करते हैं।
दस मिनट में आदर्श पूजा और आरव भी आ जाते हैं।
क्या हुआ अंकल सब ठीक तो है। शिवाय कहां हैं? आदर्श आते ही सवाल करते हैं।
उसी के लिए तो बुलाया है, शिवाय घर पर नहीं है…
सुधीर जी परेशानी से कहते हैं।
क्या मतलब? शिवाय घर पर नहीं हैं? अमोल हैरानी से पूछता है।
यह कह रहा है कि शिवाय घर छोड़ कर चला गया है।
क्या? सब की चींख निकल जाती है।
भाई डैड घर छोड़ कर क्यों जायेंगे? पूजा उठ कर प्रेम के पास जाकर सवाल करती है।
क्या हुआ था कि शिवाय को इतना बड़ा फैसला लेना पड़ा?
सुधीर जी की सख्त आवाज़ सब को हिला देती है।
सुधीर जी की नज़र प्रेम पर टिक गई।
हर कोई प्रेम को देखने लगा, क्योंकि घर पर वही था।
डैड ने बेकार में बात को बढ़ाया था, वरना उन को जाने की ज़रूरत नहीं थी। प्रेम गोल-गोल जवाब देता है।
यह बताओ बात क्या हुई थी? सुधीर जी की सख्त आवाज़ एक बार गूंजती है।
मैंने डैड से सिर्फ इतना कहा था कि मेरे हिस्से का सब कुछ काजल के नाम कर दें। प्रेम जल्दी से कहता है।
और…सुधीर जी के चेहरे की सख्ती वैसी ही बनी है। जिस को देख कर अच्छे-अच्छे डर जाएं।
और फिर उसी में बात बढ़ गई। प्रेम इतना ही कह पाया।
आदर्श चुपचाप बैठे सुन रहे थे।
पूजा तो रोने लगी। आरव उसे तसल्ली देने लगा।
अमोल शिवाय को फोन लगाओ…सुधीर जी अमोल से कहते हैं।
डैड अपना फोन छोड़ कर गए हैं…प्रेम अब डर रहा था।
क्या? और श्लोका?
उन का भी फोन यहीं है प्रेम की हालत खराब हो चुकी थी।
इतना सब कुछ हो गया, तुम ने हमें बताना भी ज़रूरी नहीं समझा। अगर मैं ना आता तो…
सुधीर जी की आंख नम हो गई। अल्फाज़ उन का साथ नहीं दे रहे थे अब।
तुम सिर्फ सब कुछ पूजा के नाम करने के लिए कहोगे, और वह घर छोड़ कर चला जायेगा… ऐसा तो नहीं है मेरा दोस्त।
आदर्श प्रेम के सामने जाकर खड़े हो गए। प्रेम डर कर खड़ा हो गया।
आदर्श का अंदाज़ ही बता रहा था कि वह कुछ भी कर सकते हैं।
बात में बात बढ़ गई मैंने डैड से बोल दिया कि यह सब आप का नहीं है बल्कि दादू का है सब कुछ। और फिर…
और फिर वह घर छोड़ कर चला गया। सुधीर जी गुस्से से उठ कर उसका गिरेबान पकड़ कर उसकी बात पूरी करते हैं।
मुझे तो पता ही नहीं था कि तुम इतने बड़े हो गए हो कि अपने बाप पर उंगली उठाने लगे।
कल तुम ने अपने बाप पर उंगली उठाई है, आप तुम अपने बाप के बाप पर उंगली उठाओगे।
तुम्हें क्या पता कि मैंने उसे क्या दिया था। और उस ने क्या से क्या कर दिया।
तुम जो कहते हो कि मैंने उसे सब कुछ दिया था तो तुम आज यह लो मैंने उसे सिर्फ एक कंपनी दी थी जो कि इसी शहर में थी। और मेरे बेटे ने उस एक कंपनी से हज़ारों कंपनियों को पूरी दुनिया में खड़ा कर दिया।
ओबराय इंडस्ट्री की बुनियाद मैंने रखी थी, लेकिन उस बुनियाद को तनावर दरख्त उस ने बनाया। और तुमने इतनी आसानी से वह सब कह दिया जिसको कहने का हौसला इस घर में किसी को नहीं।
जारी है…
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