डोर धड़कन से बंधी | part 67 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 67 | Hindi Romantic Story
ओबराय इंडस्ट्री की बुनियाद मैंने रखी थी, लेकिन उस बुनियाद को तनावर दरख्त उस ने बनाया। और तुमने इतनी आसानी से वह सब कह दिया जिसको कहने का हौसला इस घर में किसी को नहीं।
प्रेम तुम ने बहुत गलत किया, तुम अपने डैड को नहीं पहचान पाए। मेरी तरह तुम भी धोखा खा गए…शिवाय हीरा है हीरा, मैंने उसे कभी मां का प्यार नहीं दिया, लेकिन वह खामोश रहा। पढ़ाई के बाद बिज़नेस ही उसकी ज़िन्दगी थी। और तुम ने उसकी ज़िन्दगी ही उस से छीन ली। ममता जी दुख से कहती हैं।
मौम को काजल से भी ऐतराज था, जब कि उन्होंने खुद लव मैरिज की थी। प्रेम खुद को बुरा होता देख जल्दी से कहता है।
क्या?…हर कोई शाकड था उसकी बात सुनकर कर।
तुम क्या जाने प्रेम की प्रेम क्या होता है…तुम्हारा तो सिर्फ नाम प्रेम है। प्रेम की मूरत तो वह दोनों हैं। तुम ने उनके प्रेम पर उंगली उठा दी…वह प्रेम जिस की उन्होंने पूजा की थी।
तुम्हें पता है तुम दोनों का नाम प्रेम और पूजा क्यों है? उन के प्रेम और पूजा का वरदान हो तुम दोनों…लेकिन तुम…आदर्श कहते-कहते रुक गए। उन की आंखों के सामने शिवाय के आंसू और श्लोका के दर्द आ गए। आंसुओ से उनका गला रूंध गया। वह वहीं सोफे पर बैठ गए।
पा…पूजा दौड़ कर आदर्श के पास चली जाती है।
प्रेम तुम ने मेरे बेटे से उसका सब कुछ छीन लिया। सुधीर जी रो दिए।
दादू मुझे माफ कर दें। प्रेम जल्दी से सुधीर जी के कदमों में बैठ गया।
उस ने जो किया वह उसके संस्कार तो नहीं थे। वह तो काजल के प्रेम में अंधा हो गया था।
जिसको दौलत से प्यार होता है, वह इंसानों से कभी प्यार नहीं कर सकता। सुधीर जी काजल की तरफ देख कर कहते हैं।
और जो सच्चा प्यार करते हैं वह श्लोका की तरह अपने प्रेम के लिए सब कुछ छोड़ देते हैं। सुधीर जी की बात आदर्श पूरी करते हैं।
कहां हो सकता है वह, किसी को कोई आइडिया? सुधीर जी सब को देख कर पूछते हैं।
मैं सारे बंगले, फार्म हाउस सब जगह फोन करके पता करता हूं। अमोल जल्दी से कहता है।
तुम्हें क्या लगता है वह उन जगहों पर गया होगा, कभी नहीं…आदर्श कुछ सोच कर कहते हैं।
आदर्श सही कह रहा है।
कहां होंगे डैड किस हाल में होंगे। उन के पास कोई नहीं, पैसा नहीं, फोन नहीं…पूजा कहते-कहते एक बार फिर रो पड़ी।
पुलिस को खबर दी जाए? ममता जी को ख्याल आया।
नहीं, मौम डैड को ढूंढ़ने की ज़रूरत नहीं है, वह खुद आ जायेंगे।
पूजा फैसला सुनाती है।
डैड ने कहा था कि वह खुद को परख कर कभी भी वापस आ सकते हैं।
प्रेम जल्दी से कहता है।
हर कोई नाराज़गी से उसे देखता है।
पा चलें?...पूजा उठ कर आदर्श से पूछती है।
हां, आदर्श भी उठ खड़े होते हैं और पूजा को कंधे से लगा लेते हैं।
पा...पूजा रो पड़ती है।
मत रो पूजा... तुम्हारे मौम डैड बहुत बहादुर हैं। वह जहां भी होंगे बिल्कुल ठीक होंगे। उन्होंने कभी किसी का बुरा नहीं किया है। उन के साथ भी कुछ बुरा नहीं होगा।
आदर्श पूजा को तसल्ली देते हैं। और उसे साथ लेकर आगे बढ़ जाते हैं।
आरव ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है। आदर्श पूजा को आगे बैठने का इशारा करते हैं और खुद पीछे बैठ जाते हैं।
जैसे ही घर पर गाड़ी रुकती है, आदर्श उतर जाते हैं।
पा हम आते हैं। आरव पूजा को देख कर कहता है।
ठीक है…आदर्श अंदर चले जाते हैं।
आरव गाड़ी मेन रोड पर ले लेता है, कुछ दूर जाकर एक सुकून की जगह जाकर वह गाड़ी रोक देता है। और पूजा को देखने लगता है।
पा ने कहा है ना कि मौम-डैड ठीक होंगे। तो वह ठीक होंगे, क्योंकि पा डैड को बहुत अच्छे से जानते हैं। इस लिए तुम टेंशन मत लो प्लीज़…तुम को परेशान देख कर मुझे दुख हो रहा है। आरव बहुत प्यार से उसका हाथ थाम कर कहता है।
आरव, भाई ने यह ठीक नहीं किया, पूजा एक बार फिर रो देती है।
प्रेम इस वक्त काजल के प्रेम में अंधा है, क्या अच्छा क्या बुरा वह सब भूल गया है। इस वक्त वह अपनी नहीं बल्कि काजल की ज़ुबान से बोल रहा है। आरव उसे समझाता है।
तुम ने भी तो मुझ से प्यार किया था, लेकिन तुम ने तो कोई ऐसी हरकत कभी नहीं की। तुम भाई को समझाओ की काजल अच्छी लड़की नहीं है। पूजा मासूमियत से कहती है।
काजल प्रेम से प्यार नहीं करती, वह उसकी दौलत से करती है।
तुम टेंशन मत लो, जिस नहीं उसे लगेगा कि यह दौलत उसे मिलने वाली नहीं, उसी दिन वह प्रेम को छोड़ देगी। तब प्रेम को समझ आयेगा। अभी वह कुछ नहीं समझेगा।
मौम डैड भी शायद इसी लिए घर से गए हैं। आरव सोचते हुए कहता है।
तुम सही कह रहे हो, मुझे भी अब समझ आ रहा है। लेकिन अगर उसने सब कुछ अपने नाम कर लिया तो…
डैड भी नहीं हैं…
पूजा की परेशानी खत्म ही नहीं हो रही थी।
वह कुछ नहीं कर पायेगी, शिवाय सिंह ओबेरॉय को हराना बच्चों का खेल नहीं है …आरव गर्व से कहता है। और पूजा को साइड हग करता है।
वह पूजा को आइसक्रीम खिलाता है। उससे इधर-उधर की बातें करता है, जब उसे लगता है कि वह अब ठीक है तब वह गाड़ी घर की तरफ मोड़ देता है।
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चलो अब सो जाओ, ज़्यादा कुछ सोचो मत…सब ठीक हो जायेगा कहते ही शिवाय उठ कर खिड़की के पास जाकर खड़े हो जाते हैं। बाहर नज़र जमाए उन का मन दूर कहीं अटका हुआ था। कुछ गुत्थी थी जिसे सुलझाना बहुत ज़रूरी था।
तभी दरवाज़े पर दस्तक होती है।
मैं देखता हूं, शिवाय श्लोका को इशारा करते हैं, और दरवाज़ा खोल देते हैं। बाहर असमा का बेटा खड़ा था। उसके हाथ में दो कप थी।
कॉफी…दरवाज़ा खुलते ही वह कॉफी की तरफ इशारा करता है।
इस की ज़रूरत नहीं थी। शिवाय जल्दी से कहते हैं।
जब की वह रोज़ रात को सोने से पहले कॉफी पीते थे। लेकिन अब ज़िन्दगी बदल चुकी थी। और वह चाहते थे कि इस बदली हुई ज़िन्दगी को वह जल्द से जल्द कुबूल कर लें।
क्योंकि जितना जल्दी वह इस ज़िन्दगी को अपना लेंगे, उतनी ही उनके लिए आसानी होगी।
अम्मा ने कहा था कि कॉफी आप लोगों के लिए भी बना दूं, हो सकता है आप लोगों की आदत हो।
मैं रोज़ पीता हूं मुझे कोई दिक्कत नहीं है। जहां एक कप वहां तीन कप…वह मुस्कुरा कर कहता है।
आओ अंदर आओ…शिवाय भी मुस्कुरा दिए।
अपनी कॉफी भी लेकर आऊं? वरना ठंडी हो जायेगी।
हां ज़रूर…
वह तुरंत कॉफी लेकर आ गया। और वहीं पर रखी कुर्सी पर बैठ गया। शिवाय बेड पर बैड गए। श्लोका जो बेड पर लेटी हुई थी वह भी उठ कर बैठ गई।
सिर्फ तुम ही कॉफी पीते हो क्या? शिवाय ने बात शुरू की।
जी, देर तक जागता हूं तो आदत हो गई है कॉफी की। राहिल कॉफी पीते हुए कहता है।
अभी तुम ही डांट सुन रहे थे। शिवाय सीधे मुद्दे पर आ गए।
जी, पढ़ा-लिखा बेरोज़गार बन्दा हूं। इतना सुनना तो हक बनता है। वह मुस्कुरा कर कहता है।
हिम्मत वाले लगते हो? बेरोज़गारी की वजह?
हमारे जैसे बेरोज़गार अपने देश में भरे पड़े हैं, उनमें से एक मैं भी हूं, राहिल उदासी से कहता है।
क्या करने के ख्वाब हैं?
ख्वाब को मारो गोली…एक वक्त के बाद नानू की सजाई हुए चप्पल की दुकान संभालूंगा।
फिर भी? शिवाय जानना चाहते थे कि वह करना क्या चाहता है।
फैशन डिजाइनर हूं, बड़े शौक से पढ़ाई की थी, सोचा था पढ़-लिख कर कुछ बनूंगा। अम्मा को खुशी और नानू को आराम दूंगा।
लेकिन सारे सपने पर लगाकर उड़ गए।
और रह गया यह राहिल जो अपनी बेकारी की वज़ह से रोज़ सम्मानित होता है। लेकिन अब और सम्मान लेने की हिम्मत नहीं है। अब चुपचाप चप्पल की दुकान खोल कर सुकून से चप्पल बेचूंगा। इज़्ज़त बेचने से तो अच्छा ही होगा चप्पल बेचना। राहिल कहते ही उठ जाता है।
कॉफी पिएं वरना ठंडी हो जायेगी। वह उन की रखी हुई कॉफी की तरफ इशारा करता है।
कोई बात नहीं हम ठंडी ही पीते हैं। श्लोका जल्दी से कहती है।
शिवाय ने उसकी बात पर ध्यान ही नहीं दिया।
शिवाय का दिमाग तो कहीं और ही चल रहा था।
अपना बिजनेस शुरू करोगे?
शिवाय के कहते ही उसके कदम जहां थे वहीं रूक गए।
क्या? बिज़नेस? पागल हो गए हैं क्या आप? वह हैरानी से कहता है।
सॉरी…उसे अपने अंदाज़ गलत लगे।
कोई बात नहीं आओ बैठो। शिवाय ने कुर्सी की तरफ इशारा किया। और सुकून से कॉफी पीने लगे। वह चुपचाप बैठा उन की कॉफी खत्म होने का इंतेज़ार करने लगा कि कब उन की कॉफी खत्म हो, और वह बात शुरू करें।
जारी है…
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