डोर धड़कन से बंधी | Part 68 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 68 | Hindi Romantic Story
कोई बात नहीं आओ बैठो। शिवाय ने कुर्सी की तरफ इशारा किया। और सुकून से कॉफी पीने लगे।
वह चुपचाप बैठा उन की कॉफी खत्म होने का इंतेज़ार करने लगा कि कब उन की कॉफी खत्म हो, और वह बात शुरू करें।
लेकिन शिवाय बहुत सुकून से कॉफी पी रहे थे, वह देखना चाहते थे कि उसमें कितना सब्र है।
सब्र वाले बंदे हो…कॉफी का मग रखते हुए शिवाय सोचते हैं, और मुस्कुरा कर उसे देखते हैं।
एक महीने बाद अगर चप्पल की दुकान ही करनी है, तो फिर क्यों ना इस एक महीने का फायदा उठाओ। जो नौकरी एक साल में नहीं मिली, वह एक महीने में मिलने से रही।
और अगर मिल भी गई तो कौन सा तुम राजा हो जाओगे। शिवाय उसे हर तरह से परख रहे थे।
वह कुछ नहीं बोला, चुपचाप शिवाय के आगे बोलने का इंतेज़ार करता रहा।
मुझे अपना वर्क दिखाओ…शिवाय ने फैसला ले लिया।
वह उठा और चुपचाप बाहर चला गया। और तुरंत लैपटॉप लेकर वापस आ गया। और उसमे कुछ देखने लगा, और फिर लैपटॉप शिवाय के सामने कर देता है।
शिवाय और श्लोका दोनों उस के वर्क को देखकर हैरान रह जाते हैं। बहुत खूबसूरत वर्क था।
तुम अपनी एक कम्पनी बनाओ…उसका अच्छा सा नाम रखो, बैंक में एकाउंट खोलो, आठ दस लेडिस शर्ट डिज़ाइन बनाओ, सिम्पल सी, उसका फैब्रिक चूज़ करो, सस्ते में अच्छा, उसकी कटिंग से लेकर सिलने तक, और उसकी फिनिशिंग से लेकर पैकिंग तक का सारा इंतेज़ाम करो।
शिवाय ने अपनी बात खत्म की, और उसे देखने लगे।
और फिर उस शर्ट को सिर पर रख कर गली-गली बेचने के बारे में नहीं बताया आपने…शर्ट ले लो शर्ट…सस्ती-सस्ती शर्ट…वह ऐसी ऐक्टिंग करता है शर्ट बेचने की, कि श्लोका और शिवाय बहुत ज़ोर से हंस पड़ते हैं।
श्लोका की तो हंसी ही नहीं रूक रही थी। और वह बेवकूफों की तरह उनको हंसता देख रहा था।
चप्पल बेचने से तो अच्छा ही है…शिवाय ने भी मज़ाक किया।
मतलब नानू के बाद आप का ही नम्बर है मेरा मज़ाक उड़ाने का… अंदर कमरे में बैठ कर हमारी बातें सुनेंगे। और फिर हमारा मज़ाक उड़ाएंगे। मैं कल ही नानू से बोल कर यह कमरा खाली कराता हूं। और दूसरे किराए दार से लाख रूपया लेकर चप्पल की दुकान शुरू करता हूं।
पता नहीं अम्मा को आप लोगों में क्या दिख गया है कि आप की दीवानी हो गई हैं।
उन को किसी तरह की तकलीफ ना हो। राहिल मुंह बनाकर अम्मा की नकल करते हुए कहता है। और कप उठा कर जाने लगता है।
सुनो…
वह रूकता है…
कल से हमारे लिए एक कप कॉफी लाना, इस टाइम हम दोनों एक ही कप से पीते हैं।
वह आगे बढ़ा, बिना कुछ बोले।
और हां…
अगर ज़िन्दगी में कुछ बनना चाहते हो, नानू को आराम और अम्मा को सम्मान देना चाहते हो तो बिज़नेस की पूरी तैयारी करके मेरे पास आ जाना।
नहीं तो फिर वह तुम्हारे नानू की चप्पल की दुकान है ही। शिवाय कह कर उठे और वाशरूम चले गए। वह वैसे ही खड़ा रहा। और फिर बाहर निकल गया।
श्लोका ने सुकून की सांस ली।
आप लाजवाब हो शिवाय… वह मुस्कुरा दी।
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यह तुम सुबह-सुबह तैयार होकर कहां जा रही हो? प्रेम हैरानी से काजल को तैयार देखकर पूछता है।
मैं आफिस जा रही हूं। वह इत्मीनान से कहती है।
तुम्हारा आफिस में क्या काम?
जो पढ़ाई तुम्हारे डैड ने पढ़ी है, वही पढ़ाई मैंने भी पढ़ी है। अगर तुम्हारे डैड बिज़नेस कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं। वह घमंड से बोलती है।
ठीक है फिर जाओ…मैं भी आफिस के लिए निकल ही रहा था। चलो रास्ते में तुम को छोड़ता जाऊंगा। प्रेम कुछ सोच कर कहता है।
नहीं रहने दें, डैड की गाड़ी बाहर खड़ी है, मैं उसी से चली जाऊंगी। वह मुस्कुराई।
डैड की गाड़ी को कोई हाथ भी नहीं लगाता, और तुम उससे जाने की बात करती हो? ऐसा सोचना भी मत।
मौम आयेंगी तो बहुत नाराज़ होंगी। मौम डैड की गाड़ी से भी उतना ही प्यार करती हैं जितना डैड से क्योंकि यह डैड की सबसे फेवरेट गाड़ी है।
जब आयेंगे तब देखा जायेगा, अभी तो मैं जा रही हूं। वह मुस्कुराते हुए कहती है और बाहर निकल जाती है।
आफिस जाकर तुम कुछ नहीं कर पाओगी काजल…बिज़नेस करना अगर इतना आसान होता तो आज हर कोई बिज़नेस कर रहा होता।
प्रेम चाय पीते हुए सोचता है।
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अरे वाह पराठे तो बहुत अच्छे हैं…आदर्श पराठा खाते हुए कहता है।
पूजा ने बनाया है। मुग्धा प्यार से पूजा को देख कर कहती है।
आप को पसंद है ना इसलिए बना दिया। पूजा मुस्कुरा कर कहती है।
घर का काम करना अच्छी बात है, लेकिन हमेशा करने की ज़रूरत नहीं है, घर में कुक हैं, स्टाफ हैं।
हां, लेकिन कभी-कभी मेरी पसंद की चीज़ों को बना सकती हो।
आदर्श प्यार से कहते हैं।
घर पर भी मैं मौम डैड के लिए उनके पसंद की चीज़ें कभी-कभी बनाती थी। कहते-कहते अचानक उसे मौम-डैड की याद आ गई। उसकी आवाज़ भर्रा गई।
पूजा बेटा तुम मौम-डैड की फिक्र बिल्कुल मत करो, वह जहां भी होंगे। बहुत अच्छे से होंगे। और वह बहुत जल्द वापस आएंगे।
आदर्श उठकर उसके पास आते हैं और उसके सिर पर हाथ रख कर कहते हैं।
क्या हुआ? उसी वक्त आरव अन्दर से रेडी होकर आता है, और वहां का माहौल देखकर परेशान हो जाता है।
यह तुम्हारी शिकायत कर रही है कि तुम इसका ठीक से ख्याल नहीं रखते। आदर्श आरव को देख कर कहते हैं।
आरव हैरानी से उन्हें देखता है।
नहीं आरव ऐसा नहीं है, पा मज़ाक कर रहे हैं। आप तो मेरा इतना ख्याल रखते हैं।
आरव के कुछ कहने से पहले ही पूजा जल्दी से बोल देती है।
और उसकी बात पर हर कोई मुस्कुरा देता है। और पूजा अपनी बात पर खुद ही शर्मा जाती है।
पूजा बेटा आरव को अच्छे से नाश्ता कराओ। हम बाहर हॉल में हैं। कहते ही आदर्श और मुग्धा बाहर चले जाते हैं।
पराठा खाएंगे? पूजा जल्दी से आरव से पूछती है। जो बहुत प्यार से उसे देख रहे थे।
आप ज़हर खिला दें, हम वह भी खा लेंगे…और आप पराठों की बात करती हैं। वैसे अभी मुझे बटर ब्रेड और जूस दे दें। आरव शरारत से कहता है।
लो ज़हर लगा कर खा लें…पूजा भी उसको ब्रेड देते हुए मुस्कुरा कर कहती है।
जी ज़रूर…आपने इतना प्यार से दिया है, खाना ही पड़ेगा।
कहीं ऐसा ना हो, किसी दिन दे ही दूं।
मुहब्बत से दिया हुआ हर तोहफा कुबूल है…फिर चाहे वह ज़हर ही क्यों ना हो। वह शायराना अंदाज़ में कहता है।
सारी हरकत आशिकों वाली आ गई हैं। पूजा सेब काट कर उस के मुंह में डालती हुई कहती है।
सामने जब ऐसी महबूबा हो तो आशिकी अपने आप आ जाती है। आरव उसके हाथ को अपने होंठों से लगा कर कहता है।
मुहब्बत एक खूबसूरत नशा है जिसकी लत एक बार लग जाए, फिर वह आसानी से जाती नहीं है।
जारी है…
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