डोर धड़कन से बंधी | भाग 7 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 7 | Hindi Romantic Story

मुझे आपकी बातों से फर्क पड़ता है। क्योंकि मैं आप से प्यार करती हूं। शिवन्या बहुत प्यार से शिवाय को देख कर कहती है।

उसकी बात पर शिवाय को हंसी आ गई। अजीब लड़की है। 

क्या हुआ? ऐसा क्या कह दिया जो आप इतना हंस पड़े। शिवन्या हैरान होती है।

कुछ नहीं तुम नहीं समझोगी। और यह जो तुम्हारे सर पर प्यार का भूत है ना उसको दूर भगा दो। शिवाय ने बेसाख्ता कहा।

शिवाय की बात पर शिवन्या ज़ोर से हंस पड़ी।

क्या हुआ? ऐसा क्या कह दिया जो तुम इतना हंस पड़ी।

शिवाय ने उसी के अंदाज़ में कहा।

कुछ नहीं, आप नहीं समझेंगे। शिवन्या ने भी बिल्कुल उसी के अंदाज़ में कहा। और दोनों हंस पड़े।

हंसते हुए अच्छी लगते हैं। शिवन्या ने उसे देखते हुए कहा। और शिवन्या के ऐसा कहते ही शिवाय की हंसी रूक जाती है। कुछ पुरानी बातें शिवाय के कानों में गूंज उठी।

जब दिल किसी को चाहने लगे और वह चाहत हमारे सामने हो तो अपने अन्दर एक अलग ही ऐहसास होता है।आंख चमकने लगती है। दिल और दिमाग में एक सुकून रहता है। लब बार-बार मुस्कुराते हैं। और दिल हर वक्त महबूब को देखने की चाह करता है।

शिवाय बिना रुके सीधे रूम में चले जाते हैं। और दरवाज़ा बन्द कर लेते हैं। बेड पर लेटते हुए शिवाय ने महसूस किया कि उनकी आंख में आंसू हैं।

तुम कहां हो श्लोका? मैं तुम्हारे बगैर नहीं जी पा रहा। मैं तब से तुम को ढूंढ रहा हूं। मगर तुम पता नहीं कहां छुप  गई हो। और अब यह शिवन्या जिसे देख कर मेरा दिल धड़क जा रहा है। जिस की बातें मुझे तुम्हारी याद दिलाती हैं। मैं भटक ना जाऊं श्लोका। मुझे डर लग रहा है। प्लीज़ अब तुम आ जाओ। 

शिवाय रोते हुए श्लोका से मन ही मन बातें कर रहे थे। और रोए जा रहे थे। लेकिन इस वक्त कोई नहीं था जो उसका आंसू पोंछे।

मिस्टर ओबरॉय....शिवन्या ज़रा सा दरवाज़ा खोल कर आवाज़ देती है।

लेकिन शिवाय कुछ नहीं बोलते। वह इस वक्त बोलने की पोजीशन में नहीं थे। इस लिए आंख बन्द करके सोते बन गये।

शिवाय ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो शिवन्या अन्दर आकर शिवाय के बेड के पास खड़ी हो जाती है। 

कमरे की मद्दिम रोशनी में शिवन्या को हर चीज़ साफ दिख रही थी। शिवाय उस के उलट साइड करवट लेकर सो रहे थे।

वह आज पहली बार शिवाय के रुम में आई थी। वह धीरे से वहीं बेड पर शिवाय के बगल में बैठ जाती है। और धीरे से शिवाय के सिर पर हाथ रख कर सहलाने लगती है।

शिवाय उसकी एक-एक हरकत को महसूस कर रहे थे।

शिवन्या के हाथ रखते ही शिवाय के अंदर एक तूफान सा उठने लगा। शिवाय की धड़कनें तेज़ हो गईं, और एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे वह सब कुछ भूल जाना चाहता हो। लेकिन श्लोका का ख्याल उसे रोक लेता था।

शिवन्या धीरे-धीरे उसकी तरफ झुककर बोली, "आप ठीक हैं, मिस्टर ओबरॉय? कुछ तो कहिए।" उसकी आवाज़ में इतनी मासूमियत इतना अपनापन था कि शिवाय को जवाब देने का मन हुआ, लेकिन वह चुप रहा।

शिवन्या ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "मुझे पता है, आप किसी गहरे दर्द में हैं। मैं जानती हूं कि मैं आपकी हर परेशानी को दूर नहीं कर सकती, लेकिन मैं इतना ज़रूर चाहती हूं कि आप खुश रहें।

शिवाय ने अपनी आंखें बंद ही रखीं, लेकिन उसकी सांसों की हलचल और तेज़ हो गई। वह खामोश ही रहे। 

शिवन्या बहुत देर तक वहीं बैठी शिवाय के सिर और माथे को सहलाती रही। और फिर अपने रूम में गई।

सुबह शिवाय की नींद खुली तो वह खुद को बहुत फ्रेश महसूस कर रहे थे। कितने दिनों बाद आज वह भरपूर नींद सोए थे।

शिवाय को रात की बात याद आ गई। शिवन्या तुम कौन हो? और क्यों आई हो मेरी ज़िन्दगी में? आते ही तुम को मुझ से प्यार हो गया। और मेरी धड़कन भी तुम को देख कर बढ़ जाती है। 

यही सब सोचते हुए शिवाय वॉशरूम चले जाते हैं। तैयार हो कर बाहर जाते हैं। उसको देखते ही शिवन्या नाश्ता लगा देती है। 

दोनों खामोशी से नाश्ता कर रहे थे। रात वाली बात के लिए शिवाय बिल्कुल अंजान बन गये। यूं जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं।

मिस्टर ओबरॉय मुझे कुछ काम है। मैं थोड़ी देर के लिए बाहर जाऊंगी।

शिवाय जब आफिस के लिए निकलने लगे तो शिवन्या कहती है।

शिवाय सवालिया निगाहों से उसे देखते हैं। यूं जैसे पूछ रहे हो कि मुझे क्यों बता रही हो।

आप को बताना ज़रूरी है। आप को पता होना चाहिए कि मैं कहां जा रही हूं। वह घर जहां एक से ज़्यादा लोग रहते हैं। वहां पर एक दूसरे के बारे में पता होना चाहिए। 

शिवन्या ने शिवाय को समझाते हुए कहा।

और उस की बात पर शिवाय कहीं खो गये। जब श्लोका ने कहा था कि डैड को पता होना चाहिए कि कौन कहां है।

शिवाय ने उसे देखा और बाहर निकल गये।

आदर्श के केबिन में आते ही शिवाय सोफे की तरफ इशारा करते हैं। आदर्श खामोशी से सोफे पर बैठ जाता है। 

वह सोच रहे थे कि क्या बात हो सकती है। जो शिवाय ने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहते हैं। 

क्योंकि जब कोई बहुत खास बात होती तो शिवाय यही करते थे। और आदर्श समझ जाते थे कि कोई खास बात है। 

जारी है......

डोर धड़कन से बंधी भाग 6

डोर धड़कन से बंधी भाग 8






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