डोर धड़कन से बंधी | भाग 8 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 8 | Hindi Romantic Story

आदर्श के केबिन में आते ही शिवाय सोफे की तरफ इशारा करते हैं। आदर्श खामोशी से सोफे पर बैठ जाता है। 

वह सोच रहे थे कि क्या बात हो सकती है। जो शिवाय ने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा हैं। 

क्योंकि जब कोई बहुत खास बात होती तो शिवाय यही करते थे। और आदर्श समझ जाते थे कि कोई खास बात है। 

लेकिन आदर्श की सोच इस बात पर अटकी हुई थी कि वह खास बात है क्या?

शिवाय भी इंटरकॉम पर अपनी सेक्रेटरी को बोल देते हैं कि जब तक वह ना कहें। कोई भी उनको डिस्टर्ब ना करें।

शिवाय आकर आदर्श के बगल में बैठ जाते हैं। और आदर्श को देखने लगते हैं।

क्या बात है सब ठीक है? आदर्श को टेंशन होने लगी।

कुछ भी ठीक नहीं है। शिवाय दुख से कहते हैं।

क्या हो गया शिवाय? तुम इतना परेशान क्यों हो? शिवाय को परेशान देख कर आदर्श भी परेशान हो जाते हैं।

आदर्श तुम मिस शिवन्या को वापस भेज दो प्लीज़। शिवाय बहुत दुख से कहते हैं।

क्या कर दिया शिवन्या ने? आदर्श की परेशानी बढ़ती जा रही थी।

वह कुछ दिन और रही मेरे साथ तो सब बिखर जायेगा। कुछ भी नहीं बचेगा। शिवाय गोल मोल जवाब देते हैं।

तुम साफ-साफ कहो, क्या बात है? मुझे टेंशन हो रही है।

आदर्श शिवाय का हाथ पकड़ लेता है।

तुम जानते हो आदर्श मैं श्लोका के सिवा किसी और लड़की की तरफ देखना पसंद नहीं करता। श्लोका से पहले मेरी ज़िन्दगी में कोई लड़की नहीं थी। और उस हादसे के बाद श्लोका को भूल नहीं पाया। तब से मैं उसे ढूंढ रहा हूं। 

मैंने कहां-कहां उसे नहीं ढूंढा। लेकिन वह नहीं मिली। उस के बाद मैं इंडिया नहीं गया कि अगर श्लोका मुझे ढूंढ़ते हुए आई। तो मैं उसे मिलूं। वह आज तक नहीं आई। लेकिन मैं इंतेज़ार में हूं।

तुम जानते हो इसी लिए मैंने अपना आफिस इसी बिल्डिंग में बनाया। मैं रहता यहीं पर हूं। ताकि श्लोका जब भी आये। मैं उसे मिलूं। शिवाय बोले जा रहे थे। और आदर्श खामोशी से सुन रहे थे। जब की आदर्श यह सारी बात जानते हैं। लेकिन फिर भी वह सुन रहे थे।

मैं ने गार्ड से बोल रखा है कि कोई भी शिवाय सिंह ओबरॉय को पूछे तो उस को मेरे पास भेज देना। कितने लोग आये मगर नहीं आई तो श्लोका नहीं आई।

मैं थक गया हूं। मैं सुसताना चाहता हूं आदर्श। 

मैं श्लोका से मिल कर उसे गले लगाना चाहता हूं। मैं उसे बताना चाहता हूं कि मैं उस के बिना कैसे ज़िन्दा रहा। मैं उसे बताना चाहता हूं आदर्श कि मैंने यह दिन और रात उसके बिना कैसे गुज़ारे हैं।

आदर्श कल रात मैं सुकून से सो गया। ऐसा लगा मेरी श्लोका आ गई हो। लेकिन वह श्लोका नहीं थी आदर्श.... वह शिवन्या थी। 

क्या? आदर्श हैरान रह गए।

हां आदर्श वह शिवन्या थी। लेकिन मुझे सुकून मिल गया। कल रात मैं बहुत परेशान था। और वह मेरे कमरे में आकर मेरे पास बैठ कर मेरा सिर सहलाती रही। बिल्कुल वैसे ही जैसे श्लोका करती थी। शिवाय खामोश हुए।

आदर्श भी खामोश थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह शिवाय से क्या कहे। 

आदर्श जब मैंने पहली बार उसे देखा तो मेरा दिल बिल्कुल वैसे ही धड़का था जैसे श्लोका को पहली बार देख कर मेरा दिल धड़का था। उसकी बातें उसका अंदाज़ सब श्लोका की तरह है। ऐसा क्यों? शिवाय उलझे हुए थे।

ऐसा कैसे हो सकता है। कोई किसी की तरह कैसे हो सकता है। आदर्श भी हैरान थे।

वही तो मैं भी सोच रहा हूं। शिवाय ने परेशानी से कहा। ऊपर से वह पहले दिन से मुझ से मुहब्बत का दावा कर रही है। शिवाय ने एक और राज़ खोला।

यह कौन है कहां से आई है। मुझे इस के बारे में सब बताओ। शिवाय ने जानना चाहा।

शिवाय मैंने तुम को जो बताया था वही सच है। डॉ खन्ना को अचानक से इंडिया जाना पड़ा। उनकी दादी की तबीयत खराब थी। वह शिवन्या का मुझे बता कर चले गए। 

मैंने उन से बात करने की कोशिश की थी। लेकिन उनका फोन ही नहीं लग रहा है। 

मुझे लगता है इंडिया जाते ही वह अपने गांव चले गए है। इस लिए उनसे बात नहीं हो पा रही है। और मुझे शिवन्या के बारे में कुछ नहीं पता।

डॉ खन्ना ने मुझ से एक बात कही थी कि उसके बारे में उससे कोई बात मत करना। वह जो करे उसे करने देना। लेकिन उस का ख्याल रखना। वह कहीं अकेली ना जाए। और ना ही ज़्यादा किसी से मिले। 

इस लिए मैंने उसे तुम्हारे घर में रखने का सोचा। तुम्हारे घर में वह सेफ रहेगी। आदर्श ने पूरी बात बताई।

आदर्श किसी कमज़ोर पल में मैं बहक गया तो क्या होगा? मैं श्लोका को क्या जवाब दूंगा? शिवाय की आंख में आंसू थे। वह बहुत बेचैन लगे। 

शिवाय की आंखों के जज़्बात और बातों के दर्द बहुत ही असहनीय थे।

जिसे देख कर आदर्श तड़प उठे।

एक बात कहूं शिवाय? प्लीज़ बुरा मत मानना। आदर्श ने बहुत हिम्मत कर के कहा।

बोलो...

तुम अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ जाओ। आदर्श ने कह ही दिया। जो वह कब से कहना चाह रहा था। लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। लेकिन आज बात निकली थी तो वह बोल गया।

तुम ऐसा कैसे कह सकते हो जब की तुम सब जानते हो। शिवाय नाराज़गी से कहते हैं। 


जारी है.....

डोर धड़कन से बंधी भाग 7

डोर धड़कन से बंधी भाग 9


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