डोर धड़कन से बंधी | part 70 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 70 | Hindi Romantic Story

तुम जब उस रात मेरा हाथ छुड़ा गई थी, मुझे लगा मैं अपनी ज़िन्दगी से दूर हो गया। मुझे ऐसा लगा कि सफर शुरू होते ही मैं थक गया। तुम्हारा साथ, तुम्हारे प्यार की आदत ऐसी हो गई है कि तुम्हारे बिना जीने का सोच कर ही डर लगने लगता है। 

लेकिन फिर जैसे ही तुम ने मेरा हाथ थामा, मेरे अंदर नई जान आ गई, मैं जी उठा श्लोका…कहते-कहते शिवाय की आंखों में नमी तैर गई।

आप ने सोचा भी कैसे कि मैं आप का साथ नहीं दूंगी? श्लोका हैरानी से पूछती है।

दिल मान नहीं रहा था, लेकिन दिमाग वरगला रहा था कि तुम्हारी श्लोका तुम्हारा साथ नहीं दे रही। और फिर मैं इसी कशमकश में था कि तुम आ गई। और मेरा दिल एक बार फिर जीत गया। शिवाय फख्र से उसे देख कर कहते हैं।

मैं बाबा की शॉल और डैड की पेन लेने गई थी।

वह शॉल जो बाबा ने कहा था कि यह शॉल मैं अपने दामाद के कंधे पर देखना चाहता हूं। जिसे बाबा अपने हाथों से तो आप को नहीं दे सके। लेकिन आप हर खुशी के मौकै पर उसे अपने कंधे पर रखना नहीं भूलते।

आप के कंधे पर बाबा की दी हुई शॉल नहीं होती बल्कि उन का आशीर्वाद होता है। यू जैसे उनका हाथ आप के कंधों पर हो।

और वह पेन जिसे डैड ने आपको पन्द्रह साल की उम्र में दी थी और कहा था… यह देखने में एक पेन ज़रूर है लेकिन अगर तुम चाहो तो इस से अपनी तकदीर लिख सकते हो। अगर यह पेन तुम्हारे साथ रही तो तुम दुनिया को बदल सकते हो।

डैड के अल्फाज़ आप ने ही तो मुझे सुनाए थे। फिर हम कैसे बाबा और डैड के आशिर्वाद के बिना घर से निकल जाते। हर अच्छे काम को करने के लिए हमारे लिए बड़ो का आशिर्वाद ज़रुरी होता है। तो इस सफर में हम अपने बड़ों के आशिर्वाद के बिना कैसे निकल जाते।

आज हमारे साथ हमारे बड़ों का आशीर्वाद है। हम ज़रूर जीतेंगे शिवाय। श्लोका बहुत यकीन से कहती है।

तुम्हारा इसी यकीन पर तो मुझे गर्व है। शिवाय प्यार से उसे देखते हुए कहते हैं।

तभी दरवाज़े पर नॉक होता है।

मैं देखता हूं राहिल होगा, कॉफी लेकर आया होगा। कहते ही शिवाय दरवाज़े की तरफ बढ़ते हैं।

सबा तुम? सामने दरवाज़े पर सबा को काफी का मग लिए देख कर शिवाय हैरानी से पूछते हैं।

हां, राहिल भाई ने कहा था कि आप को कॉफी बना कर दे दूं। सबा जल्दी से कहती है।

राहिल कहां हैं? शिवाय ने जानना चाहा।

वह आज जल्दी सो गए हैं…वैसे ऐसा होता नहीं है। लेकिन पता नहीं क्यों…खैर आप कॉफी ले लें। वह कहते ही कॉफी का मग शिवाय की तरफ बढ़ाती है।

आप दोनों एक ही मग से पियेंगे? वह उत्सुकता से पूछती है।

हां, कोई दिक्कत?… शिवाय ने आईब्रो उचकाई।

नहीं, यह तो अच्छी बात है। हम ने सुना है जो मियां बीवी एक बर्तन से खाना खाते हैं उनमें प्यार बढ़ता है। वह थोड़ा झिझक कर कहती है।

मुहब्बत तो खैर हम दोनों में पहले से ही बहुत है, अगर ऐसा करने से और बढ़ जायेगी तो यह और अच्छी बात है। शिवाय भी मुस्कुरा कर जवाब देते हैं।

आप दोनों किसी फिल्म की हीरो-हीरोइन जैसे लगते हैं। वह शिवाय की पर्सनालिटी देख कर कह ही देती है, जो बात उसने उनको देख कर उसके मन में आई थी।

अच्छा…शिवाय हंस पड़े।

मैं जाऊं? वह मासूमियत से पूछती है।

जैसी आप की इच्छा…शिवाय के होंठों पर मुस्कान आ गई।

ठीक है फिर मैं जाती हूं। कहते ही वह जाने के लिए मुड़ गई।

और शिवाय हंसते हुए अंदर चले जाते हैं।

सारे घर वाले बहुत ही साफ दिल के लगते हैं।

शिवाय श्लोका को कॉफी का मग देकर कहते हैं।

हूं, बस पैसों की वजह से घर में बात लगी रहती है। अगर पैसा आ जाए तो मुझे लगता है वह बात भी खत्म हो जाए। श्लोका सोचते हुए कहती है।

हूं, शिवाय का मन कहीं और था।

सबा को देख कर पूजा की याद आ गई। शिवाय उदासी से कहते हैं।

वह बिल्कुल ठीक होगी, आप फिक्र ना करें। उसके साथ उसका पूरा परिवार है। श्लोका खुशी से कहती है। जबकि मन ही मन वह भी उदास थी। अभी महीना भर भी नहीं हुआ उसकी शादी को। कितना मिस करती होगी हमें वह।

हमारे बच्चे हमारी ताकत हैं शिवाय…हमें मज़बूत बनना है, हमें दिखा देना है अपने बच्चों को कि ज़िन्दगी में कितनी ही मुश्किलें क्यों ना आ जाए। हमें कभी भी हिम्मत नहीं हारना है।

श्लोका शिवाय का हाथ थाम कर कहती है और बेड की तरफ बढ़ जाती है।

आप कॉफी पिएं मैं चेंज करके आती हूं। श्लोका कॉफी का मग शिवाय को देकर कहती है और अंदर बाथरूम में चली जाती है।

श्लोका तुम कितनी आसानी से अपना दर्द छिपाकर मुझे हौसला दे रही हो। जबकि तुम खुद अंदर से टूट रही हो। शिवाय को खुशियां देने के लिए तुम कुछ भी करने को तैयार रहती हो। लेकिन आज देखो तुम्हारा शिवाय तुम्हारी सारी खुशियों को छीन कर तुम को इस तरह ज़िन्दगी गुज़ारने पर मजबूर कर गया। लेकिन तुम आज भी मुस्कुरा कर मेरा साथ दे रही हो।

सोचते हुए शिवाय की आंख नम हो गई। वह जल्दी से कॉफी का मग अपने होंठों से लगा लेते हैं। शायद वह अपने आंसुओं को भी उन चाय के घोंटों के साथ अपने अंदर उतार लेना चाहते थे। क्योंकि अगर उन आंसुओं को श्लोका देख लेगी तो उसे बहुत तकलीफ होगी। और वह श्लोका को अब और तकलीफ नहीं देना चाहते थे।

जारी है…

डोर धड़कन से बंधी भाग 69

डोर धड़कन से बंधी भाग 71



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